सासनी, जन सामना संवाददाता। रमजान के पाक महीने में जुमे या शनिवार को होने वाली ईद-उ-फितर को लेकर मुस्लिमों में काफी उत्साह है। ईद की तैयारियां भी जोरों पर हैं, बाजरों में कपडों के साथ अन्य सामान की भी खरीदारी की जा रही है। इसी उत्साह के चलते महीने के आखिरी जुमे को नमाज अता और सजदा कर अलविदा किया गया। सैकडों मुस्लिमों ने मस्जिदों में नमाज अता कर मुल्क और कौम की सलामती की दुआ की। आखिरी जुमे को मुस्लिामें ने ईदगाह पहुचंकर सफाई की और मौजूद कूढे करकट को उठाकर एक ओर डलवाया। वहीं नमाजियों के बैठने वाली जगह पर साफ सफाई की। इसके बाद जामा मस्जिद में मौलाना हाफिज मुबारिक ने नमाज अता कराई। नूरी मस्जिद में मौलाना उमर रूबी ने नमाज अता कराकर मुल्क और कौम की सलामती की दुआ की।इस दौरान उन्होंने बताया कि जुमे की नमाज पढ़ने के लिए तीन नियम गुसल, इत्र और सिवाक बनाए गए हैं. पहले नियम गुसल के अनुसार जुमे को दिन नहाना बहुत जरूरी है। ताकि आपका शरीर पाक हो जाए. इसके बाद है इत्र लगाना, ऐसा माना जाता है कि हफ्ते के बाकि दिन आप इत्र लगाएं या ना लगाएं लेकिन जुमे के दिन इसे जरूर लगाएं. तीसरा नियम है सिवाक, इसमें जुमे के दिन दांतों को साफ करना जरूरी माना गया है. इन तीनों नियमों का पालन करने के बाद ही जुमे की नमाज अल्लाह तक पहुंचती है। वहीं अलाउद्दीन हसन शाह बिलाली की दरगाह पर सज्जाना गद्दी नशीन हजरत डा. इरशाह हसन शाह बिलाली ने नमाज अता कराकर जुमे को अलविदा कहा। इसके अलावा छौंडा गडउआ, नगला भूरा, आदि जगहों पर भी आखिरी जुमे की नमाज अता की गई। जहां सैकडों मुस्लिमों ने सजदा करते हुए मुल्क और कौम की सलामती की दुआ की।