योगी सरकार के नकारा अधिकारियों की वजह से एक गाय की तड़प तड़प कर मौत
कानपुर नगर, धर्मेन्द्र रावत। गाय के नाम पर देश में हो रही राजनीति को जनता अब समझ चुकी है। देश में दलित से लेकर मुसलमानों को गौरक्षा के नाम पर हो रही गुंडागर्दी का आये दिन सामना करना पड़ रहा है। गौरक्षा के नाम पर उपद्रव इतना ज्यादा हो गया है कि इसे रोकने के लिए आपको याद होगा स्वयं देश के प्रधानमंत्री जी को भी अपील करनी पड़ी थी। लेकिन यही गौरक्षक उस समय नजर नहीं आते है। जब गौ माता बीमार हो उसे गौरक्षकों की जरूरत हो तब कोई भी राजनीतिक दल इस ओर अपना ध्यान नहीं देता है। जी हा हम बात कर रहे एक गाय की जो कि बीमार होकर तड़प-तड़प कर मर गई।
कल शाम को कानपुर दक्षिण क्षेत्र के बर्रा- 6 न्यू एल. आई. जी. में एक गाय की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी। उसी समय स्थानीय लोगों के द्वारा सबसे पहले बजरंगदल वालों को सूचना दी गई लेकिन उनके द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। कई सामाजिक संस्था चलाने वालों से भी मदद मांगी गई लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली।
स्थानीय निवासी संजय श्रीवास्तव, रोहित शुक्ला, रूपेश श्रीवास्तव के द्वारा नगर निगम कंट्रोल रूम में कई बार फोन किए कि गये गाय की हालत बहुत गंभीर है किसी डॉक्टर को भेजो तो ताकि गाय का सही उपचार हो सकें लेकिन नगर निगम के कर्मचारी ने जो जवाब दिया आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मैं डॉक्टर नहीं भेज सकता जब गाय मर जाये तब बता देना हम उठवा लेंगे।
ऐसे है योगी सरकार के अधिकारी। मरने के बाद गाय को नगर निगम वालों को स्थानीय लोगों के द्वारा बुला कर गाय को उनके सुपर्द किया।
हमारे संवाददाता को स्थानीय लोगों ने बताया गाय को कुछ लोगों के द्वारा खुल्ला छोड़ दिया जाता है। जब तक गाय दुधारू रहती है। तब तक उसको व्यापारिक तौर पर रखा जाता है। दूध नहीं देने पर उसे खुला छोड़ दिया जाता है। इसकी शिकायत करने पर गाय पालने वाला व्यापारी भड़क जाता है एक नहीं सैकड़ो गाय को छोड़ेगे जो करना है कर लो। अब लोगों के सामने सबसे बड़ी समस्या उत्पन्न हो जाती है कि गाय अगर बीमार है तो उसको उपचार के लिए कही ले जाना भी गुनाह हो गया है। जैसा कि पिछली घटनाऐं गाय के नाम पर फर्जी गौरक्षकों के द्वारा निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा जा चुका है। इस वजह से लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर गाय को ले जाने में डर महसूस कर रहे है।