एक ओर भारत में बढ़ती मैडिकल टूरिज्म तथा देशवासियों के लिए मंहगे होते उपचार के बीच की खाई पाटने की आवश्यकता पर बल दिया
नई दिल्ली, जन सामना ब्यूरो। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के 46वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर युवा डाक्टरों और संकाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने उनसे स्वास्थ्य क्षेत्र में उपचार की नैतिकता और रोगी के प्रति करुणा बनाये रखने का आह्वाहन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि एकमात्र डाक्टर ही जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर बन कर खड़ा रहता है, वही मानव जीवन में कुछ वर्ष जोड़ सकने की क्षमता रखता है।
देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त विषमताओं पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक ओर दूसरे देशों के नागरिक भारत में उपचार के लिए आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर महंगा उपचार, महंगी दवाऐं, देश के आम नागरिक की पहुंच से बाहर जा रही है। उन्होंने कहा हमें इस विरोधाभास का निराकरण करना ही होगा और गुणवत्तापूर्ण सस्ती स्वास्थ्य सेवाऐं और उपचार देश के सभी नागरिकों को उपलब्ध कराना होगा। इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने शहरों और गांव के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर का उल्लेख किया और गांवों में भी आधुनिक स्वास्थ्य सेवाऐं उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में ही चिकित्सकीय उपकरणों के उत्पादन से न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं को सस्ता बनाया जा सकता है बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी हो सकती है और रोजगार के अवसर भी बढ़ाये जा सकते हैं।
एम्स के गौरवशाली इतिहास की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने चिकित्सा क्षेत्र में पाठ्यक्रम के सतत उन्नयन और परिवर्तन पर बल दिया और आधुनिक शोध को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की आवश्यकता जताई।
उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि दिल्ली स्थित आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित पाठ्यक्रम को देश के अन्य एम्स तथा मेडिकल कालेज भी स्वीकार कर लागू करेंगे।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने डॉ0 ऐ. के. सराया, डॉ0 समीरा नंदी, डॉ0 कमल बक्शी तथा डॉ0 गोमती गोपीनाथ को उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए लाइफ टाइम अचीव अवार्डस से सम्मानित किया।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री जे.पी. नड्डा तथा संस्थान के निदेशक प्रो0 रणदीप गुलेरिया समेत अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।