कमल मिश्रा की विशेष रिपोर्ट:-
कानपुर। शहर में आवास की बढती मांग को देखते हुए केडीए ने शहर के आस-पास स्थित गांवों की जमीनों पर नजरे गड़ा दी है। गांवों में जमीनों पर नजर रखने के लिए टीमें बनाई गयी हैं जो ग्राम समाज की जगह को चिन्हित करेगी और ऐसी जमीनों पर जो कब्जे है उन्हे उखाड़ फेंकेगी। बताया जाता है कि खाली जगहों पर छोटी-छोटी परियोजनाएं विकसित की जायेगी। शहर में लगे राजस्व गांव बारा सिरोही, सिंहपुर कछार, बैरी, अकबरपुर, बांगर, देहली सुजानपुर, बिनगवां, अर्रा, खाडेपुर, चकेरी, अहिरंवा, बर्रा, पनकी, गंगागंज आद में ग्राम समाज की भूमि पर बने अवैध निर्माण को हटवाया जायेगा। इसके लिए तहसीलदारों को जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है। उन्हें एक पखवारे में सर्वे करके जमीनों के बारे में जानकारी देनी है। केडीए बीच बीच में किसानों की आ रही जमीनों को भी लेने की तैयारी कर रहा है जवाहरपुरम व कपली, माती में किसानों से बात चल रही है।
खेती पर मंडरा रहा खतरा
आवासीय योजना को विकसित करने के चक्कर में ग्राम समाज और खेती की जमीनों पर केडीए की नजर है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकांश आबादी गांव में है। विकास के नाम पर गांवो में अवासीय योजना बनाना भविष्य पर खतरा है। केडीए द्वारा साफ किया गया कि ग्राम समाज की जमीनों के साथ योजना के लिए जिन किसानो की खेतिहारी जमीन बीच में आयेगी उन्हे भी खरीद लिया जायेगा जो एक गंभीर बात है। ऐसे में किसान के हांथ से जमीन चली जायेगी और इसी प्रकार खेती की जमीनो पर मकान खडे होते रहे तो पैदावार भी प्रभावित होगी। साथ ही गांवो के भौगोलिक क्षेत्र में भी परिवर्तन होगा। किसान जमीन बेंचकर खाली हो जायेंगे और कुछ समय बाद उनके सामने आर्थिक संकट खडा हो जायेगा। फिलहाल ग्राम समाज और खेती करने वाले किसानो की जगह खरीदकर किसी योजना को डेवलप करना भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।