Thursday, November 7, 2024
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ग्रामीणों के लिए मुसीबत बने छुट्टा पशु

कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। जिले में छुट्टा पशु कस्बों और ग्रामीण इलाकों में लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। ग्रामीण इलाकों व कस्बों में इन छुट्टा पशुओं के कारण तमाम हादसे हो रहे हैं। इसके साथ व्यस्त इलाकों में भी छुट्टा घूम रहे सांड़ों का आतंक है। तमाम लोग इनके हमलों का शिकार हो चुके हैं। कई लोगों की तो इन हमलों में मौत तक हो चुकी है जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इन हादसों के बावजूद जिम्मेदार अफसरों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है।
ग्रामीण इलाकों में छुट्टा पशु फसलों के लिए मुसीबत साबित हो रहे हैं। कई जिलों में किसानों को रात-रात भर जागकर फसल की रखवाली करनी पड़ रही है। किसान पहले ही तमाम तरह की दिक्कतों से जूझ रहे हैं और अब छुट्टा पशु उनके लिए नई मुसीबत बन गए हैं।
कानपुर देहात में 6 तहसीलें क्रमशः सिकन्दरा, अकबरपुर, भोगनीपुर, डेरापुर, रसूलाबाद, मैथा व 10 विकासखंड क्रमशः अकबरपुर, सरवनखेड़ा, डेरापुर, राजपुर, संदलपुर, अमरौधा, मलासा, झींझक, रसूलाबाद, मैथा हैं। यहाँ की जनसंख्या लगभग 20 लाख है।
राजपुर ब्लॉक के जगइयापुर निवासी रामअवतार कटियार का कहना है कि हमारे गाँव में कई किसानों की फसल इन छुट्टा पशुओं के कारण नष्ट हो चुकी है जिससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। पहले विभिन्न जिलों में कांजी हाउस हुआ करते थे मगर अब इन कांजी हाउसों पर भी ताला लग चुका है। इसकारण लोगों की समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। इस बाबत पूछने पर जिम्मेदार अफसर टालमटोल करने लगते हैं और कोई सटीक जवाब नहीं देते।
इसी गाँव के किसान सर्वेश कुमार का कहना है कि छुट्टा जानवर किसानों के दुश्मन बने हुए हैं। आवारा पशुओं के झुंड रातोंरात हरी-भरी फसल चौपट कर देते हैं। प्रशासन इसका कोई स्थायी समाधान नहीं निकाल रहा है।
राजपुर ब्लॉक के अल्हनीपुर गांव के कृषक राजकिशोर कटियार का कहना है कि हम लोग रात-रात भर जागकर इन जानवरों से फसलों की रखवाली करते हैं। गांवों से लेकर मुख्यमार्ग तक छुट्टा जानवरों और जानलेवा सांड़ों का आतंक है।
कई गाँवों के किसानों ने फसल को छुट्टा जानवरों से बचाने के लिए हजारों-लाखों खर्च कर कंटीले तार लगा रखे हैं, जिसमें फंसकर अब तक दर्जनों गौवंश घायल हो चुके हैं। कई किसानों ने तो आरी वाला तार लगा रखा है जिनसे घायल होकर गौवंश मर जाते हैं। कुछ किसानों ने बेल के कांटों और बांस से अपनी फसल को बचाने का प्रबंध कर रखा है जिससे गौवंश को तो हानि नहीं पहुंचती, लेकिन कुछ पशु बाड़े को तोडक़र फसल नष्ट कर देते हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरवनखेड़ा कानपुर देहात में कार्यरत राजेश बाबू कटियार का कहना है कि छुट्टा जानवर ग्रामीण क्षेत्रों मे किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहें हैं व कस्बों में आवारा पशु लोगों के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। राह चलते कब, कहां और कौन इनके कारण चोट खा जाए, नहीं कहा जा सकता। राजपुर, सिकन्दरा, अकबरपुर, पुखरायां, झीझक, मुगीसापुर,संदलपुर, डेरापुर आदि जगह जानवरों का आतंक छाया हुआ है। प्राय: इनके आपस में लडने से भी अफरातफरी हो जाती है। कस्बों में ही आवारा पशुओं की संख्या तकरीबन तीन हजार के ऊपर ही होगी। इनके हमले और लड़ाई में दर्जनों लोग घायल भी हो चुके हैं।
जनपद में 20 लाख की आबादी छुट्टा जानवरों के खौफ में है। व्यस्त सड़कों पर चहलकदमी करते आवारा मवेशी सड़क हादसों का सबब बन रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग छुट्टा घूम रहे मवेशियों के झुंड से खौफजदा है। आम जनता से लेकर अधिकारी वर्ग तक आवारा जानवरों की अचानक बढ़़ी तादाद के पीछे सरकारी नीति को जिम्मेदार मानता है मगर वे खुले तौर पर इस बारे में कुछ भी बोलने से कतराते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि बूचड़खानों पर लगी रोक आवारा जानवरों की बढ़ती आबादी के लिए जिम्मेदार है। आवारा कुत्ते और सांड़ राह चलते लोगों और विशेषकर बाइक सवारों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार पिछले छह महीनों के दौरान सांड़, गाय और कुत्तों के कारण होने वाले सडक़ हादसों की संख्या में खासी बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।