फिरोजाबाद, श्रीकृष्ण चित्तौड़ी। डाॅ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा द्वारा संचालित स्नातक,स्नातकोत्तर परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के बाद भी छात्र छात्राओं को चार चार साल का समय निकल जाने के बाद भी डिग्री प्राप्त नहीं हो पा रही है। चैबान मुहल्ला निवासी शिक्षक शैलेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने कहा है कि अम्बेडकर विश्वविद्यालय के डिग्री प्रदान करने वाले अधिकारी गण यह भी बता पाने में सकोच एवम झिझक महसूस करते है कि विद्यार्थियों को डिग्री किस सन की कब और कितने समय महीने बाद प्राप्त हो सकेगी। विश्वविद्यालय के डिग्री प्रदान करने वाले सेक्सन के बाहर नोटिस बोर्ड पर कोई भी किसी प्रकार की सूचना नहीं लिखी जाती कि किस सन तक की डिग्री विश्वविद्यालय बना कर प्रदान कर रहा है। नतीजा यह होता है कि डिगरियां प्राप्त करे हेतु विश्वविद्यालय कैंपस में स्थित बैक में डिग्री हेतु चालान भरने वालों की लम्बी लम्बी लाईने लगी रहती है चालान भरने के बाद शुरू होता है डिग्री प्राप्ति हेतु विश्वविद्याालय का चक्कर काटना । श्री चतुर्वेदी ने कहा कि डिग्री बनाने वाले विभाग में कर्मचारियों को इतनी भी फुरसत नहीं होती है िक वह छात्र छात्राओं को बता पाते कि किस सन तक की डिग्रीयां विश्वविद्याालय बना कर दे रहा है। डिग्री विभाग में अधिकारियों तथा लिपिक वर्ग की मनमानी चल रही है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्ार तथा कुलपति का इस ओर कतई घ्यान नहीं है । श्री चतुर्वेदी ने बताया कि उनकी पुत्री कु. सुरभि चतुर्वेदी ने सन् 2013 में बीकाॅम एम.जी बालिका पीजी कालेज से उत्तीर्ण की है डिग्री प्राप्ति हेतु उन्होंने चालान भी 29 जून को विश्वविद्यालय परिसर बैंक में बनवाय लिया है। जिसे विश्वविद्यालय में डिग्री प्राप्ति हेतु जमा करना चाहा तो अधिकारियों ने मना कर दिया कि अभी डिग्री के ये फार्म जमा नहीं हो रहे है। इसी तरह पीजीडीसीपी 2014 में एस.आर.के कम्प्यूटर साइंस से उत्तीर्ण हो चुकी छात्रा को भी डिग्री की प्राप्ती हेतु हेतु विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पड रहे है , विभाग यह बताने की स्थिति में नहीं है कि कब तक डिग्री प्राप्त हो सकेगी। श्री चतुर्वेदी ने मांग की है कि अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति तथा रजिस्टार बैकों को स्पष्ट निर्देश दे कि किस सन तक के उत्तीर्ण हो चुके स्नातक,स्नातकोत्तर परीक्षार्थियों के चालान डिग्री हेतु जमा करें ताकि बैंकों में उमडती डिग्री हेतु चालान भरने वाले छात्रों की संख्या पर नियंत्रण लग सके। तथा समय समय पर समाचार पत्रों के माध्यम से भी विश्वविद्यालय से सूचना प्रदान की जाने चाहिए कि स्नातक स्नातकोतर उतीर्ण परीक्षा के सनों की डिग्री की अब तक प्रदान की जा रही है।