कानपुर : डॉ.दीपकुमार शुक्ल। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर पूरे देश के साथ-साथ कानपुर की जनता ने भी कोरोना के खिलाफ एकजुटता दिखायी। सुबह सात बजते ही शहर की सड़कों से लेकर गलियों तक में सन्नाटा छा गया। रविवार होने की वजह से सरकारी तथा गैरसरकारी प्रतिष्ठान तो वैसे भी बन्द रहते हैंद्य इससे जनता कर्फ्यू को सफल बनाने में पूरी मदद मिली। रविवार को अक्सर लोग बाहर घूमने का कार्यक्रम बना लेते हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के भय से सभी लोग अपने-अपने घरों में ही दुबके रहे। जनता कर्फ्यू को सफल बनाने के लिए पुलिस को भी ज्यादा मशक्क्त नहीं करनी पड़ी। शहर का दक्षिणी इलाका भी पूरे दिन सन्नाटे में डूबा रहा। नौबस्ता थानाध्यक्ष ने बताया कि हम लोगों को इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं करना पड़ाद्य चूंकि यह किसी पार्टी या नेता द्वारा आयोजित बन्द नहीं था बल्कि लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा मामला था। इसलिए लोग स्वयं ही घरों से नहीं निकले। जो निकले भी वे समझाने पर वापस लौट गए। मेडिकल स्टोर और राशन की कुछ दुकानें खुली रहीं। वहां भी कम ही लोग आते-जाते दिखायी दिये। इसके बावजूद पुलिस की टीमें पूरी मुस्तैदी से डटी रहीं। अर्रा चैकी इंचार्ज ने भी कहा कि यह मामला सीधे तौर पर लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। इसलिए हम लोगों को कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ा। लोगों ने स्वयं ही जागरूकता का परिचय देते हुए इस अभियान को सफल बनाया। हालाकि गलियों के अन्दर स्थित पान-मसाले के कुछ दुकानदारों ने जनता कर्फ्यू को कोई विशेष तबज्जो नहीं दी और धड़ल्ले से पान-पुड़िया बेंचते रहे। वस्तुतः दवा, दूध और राशन की दुकानों को खोलने की छूट की आड़ में ये दुकानदार अपनी पान-पुड़िया की दुकानदारी करते रहे।
शाम के 5 बजते ही सभी लोग शंख, घड़ियाल, थाली, और ताली बजाते हुए अपने-अपने घरों से बाहर निकले। उसके बाद गलियों का सन्नाटा लगभग समाप्त जैसा हो गया और पान-पुड़िया की दुकानों में देर रात तक भीड़ जुटी रही। इस तरह से बस्ती के अन्दर जनता कर्फ्यू का विशेष प्रभाव शाम 5 बजे के बाद नहीं दिखायी दिया।