जयंती पर विशेष- डॉ. राममनोहर लोहिया का जन्म 23 -03-1910 में अकबरपुर गाँव में हुआ था। उन्होंने राजनीति में प्रवेश सन् 1920 में तिलक दिवस पर मुम्बई में एक विद्यालय में हड़ताल करवाकर की थी तथा सक्रिय राजीनीति की शुरुआत सन् 1928 में साइमन कमीशन वापस जाओ आंदोलन में भाग लेकर की थी।
डॉ. लोहिया समाजवादी विचार धारा के जरिये सामजिक परिवर्तन लाना चाहते थे।
डॉ. लोहिया कहते थे कि हे भारत माता शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का ह्रदय तथा राम का कर्म और वचन दो।
डॉ. लोहिया का मानना था कि सामजिक और आर्थिक समानता एक स्वस्थ समाज के लिए पहली जरूरत है जिसके बिना बिना मानव का सर्वांगीण विकास हो पाना सम्भव नहीं है।
डॉ. लोहिया के समाजवाद के चिंतन में समाज की सबसे निचली पायदान पर खड़ा व्यक्ति सबसे अधिक महत्व पूर्ण था परंतु आज के समय समय में निचले पायदान पर रहने बाले व्यक्तियों का शोषण हो रहा है जिसकी दशा पर चिंतन करने वाला कोई नहीं है। डॉ. लोहिया ने अपने जीवन में निजी राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को कभी महत्व नहीं दिया समाज के हर तबके के साथ एकाकार होकर चलना ही उनकी राजनीति थी।
डॉ. लोहिया समाजवादी विचारों को जीवन के हर पहलू में उतारना, उन्हें आकर देने की कोशिश जीवन भर करते रहे, आम आदमी की लड़ाई वो जीवन भर लड़ते रहे। उसका परिणाम यह है कि डॉ. लोहिया के राह पर चलने वालों का सिलसिला काफी थम सा गया है। आज हमें जरूरत है सामजिक जागरूकता की डॉ. लोहिया जैसे समाजवादी विचारको की जो सामाजिक परिवर्तन ला सके।