Sunday, November 24, 2024
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हृदयनरायण दीक्षितः राजनीति में कैद सांस्कृतिक चेतना का शिखर पुरूष

2017.03.29. 1 ssp jh n dixitउत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के रूप में दीक्षित जी सदन का गौरव बढ़ायेंगे।
-एम. अफसर खां सागर
वह जो ठान लेते हैं, वही करते हैं। उनका व्यक्तित्व सागर के समान सरल है, तो कृतित्व पर्वत के समान अटल। उनके जीवन का कोई भी पहलू आसान नहीं है। विशाल व जीवट अस्तित्व के गढ़े एक दिलचस्प व सरल व्यक्त्वि के धनी हैं हृदयनरायण दीक्षित। इनके चिंतन व लेखन से भारत का सम्पूर्ण हिन्दी भाषी समाज परिचित है। सामाजिक समरस्ता, सांस्कृतिक चिंतन, वैदिक व्याख्या के पर्याय है दीक्षित जी। हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पर दीक्षित जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों से अंकित है। बहुत विरले ही होते हैं वो इंसान जो राजनीतिक झंझावतों के बावजूद देश के पचासों अखबारों के लिए नियमित स्तम्भ लिख कर समाज को दिशा देने का काम करते हैं। हृदयनरायण दीक्षित की पत्रकारिता को यही अवदान है कि उनके पत्रकारिता जीवन पर डॉ अनुभव अवस्थी ने शोध कर पीएचडी की डिग्री हासिल किया है। अनुभव द्वारा लिखित ‘हृदयनरायण दीक्षित और उनकी पत्रकारिता’ नमक पुस्तक प्रकाशित हुई है। इसके अलावा दीक्षित जी के पत्रकारिता पर अनुभव के आठ शोधपत्र भी छपे हैं। दीक्षित जी का मानना है कि समाज सेवा के लिए राजनीति में सक्रिय हूं और भारतीय संस्कृतिमूलक विचार संवर्द्धन के लिए पत्रकारिता में। निःसंदेह दीक्षित जी विश्व में भारतीय संस्कृति के सबसे बड़े व्याख्याता हैं। इन्हें 21वीं सदी का दीनदयाल उपाध्याय कहा जाता है, जिसे सभी राजनीतिक दल के लोग स्वीकार भी करते हैं। उत्तर प्रदेश विधानसा अध्यक्ष के पद पर दीक्षित जी का चयन सबसे योग्य व्यक्ति का चयन है। सदन का लम्बा अनुभव के साथ संसदीय कार्यों की बेहतर व सटीक जानकारी है इनके पास। सदन के सफल संचालन में इनका तजुर्बा व ज्ञान काम आयेगा।
हृदयनरायण दीक्षित का जन्म उन्नाव जिले के लउवा गांव में 18 मई 1946 को हुआ। छात्र जीवन से ही आप अन्याय व असमानता के खिलाफ लड़ते रहे। आपने अर्थशास्त्र से एम0ए0 किया है। शालीन शिष्ट, सालीन व परम्परवादी परिवार से आने वाले दीक्षितजी ने सदैव ही आम आदमी के लिए संघर्ष किया है। आपका बचन बेहद आभाव में गुजरा, गरीबी ने उन्हे संवेदना दी। शायद यही वजह है कि आप सदैव ही गरीबों, मजलूमों के लिए लड़ते रहं हैं। अगर देखा जाए तो राजनीति और राजनेता के प्रति समाज का बहुत ही नकारात्मक नजरिया है। बावजूद इसके हृदयनरायण दीक्षित जैसे सरल, सहज और स्पष्टवादी नेताओं ने समाज में सियासत के प्रति लोगों का विश्वास बनाये रखा है। वैदिक धरातल पर कर्तव्य के आइने में साफ नीयत और नैतिक मूल्यों के साथ सियसत को सेवा का माध्यम बनाने वाले दीक्षित जी राजनीति को लोक कल्याण का माध्यम मानते हैं। आपने सदैव ही राष्ट्रवादी चिंतन को बढ़ाने का काम किया है। भारतीय जनसंघ के राजनीतिक जीवन का सफर शुरू किया। ग्राम सभा से ब्लाक, जिला, प्रदेश व देश की सियासत में आपका हस्तक्षेप रहा है। ग्राम सभा, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत व विधायकी के चुनाव लड़े। जीते भी कभी हारे भी मगर सदैव ही लोकतंत्र को मजबूत बनाने का काम किया। चार बार विधानसभा के सदस्य रहे। बतौर संसदीय कार्य व पंचायतीराज मंत्री आपका कार्य सराहनीय रहा। विधान परिषद सदस्य के रूप में भी आपने अपने कार्य को बखूबी किया। भाजपा के राष्ट्रीय कार्यसमिति में सदस्य रहे। भाजपा ने आपको यूपी में मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी। भगवंतनगर विधानयभा से दीक्षित जी काफी वोटों से जीत हासिल किया है।
भारतीय सांस्कृतिक चेतना के शिखर पुरूष हृदयनरायण दीक्षित राजनीति के विभिन्न आयामों में कैद ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सदैव मूल्यों की राजनीति के लिए जाने जाते हैं। पत्रकारिता के लम्बे अनुभव के साथ राजनीति के हर फन से महिर दीक्षित जी के पास संसदीय कार्यों की बेहतर जानकारी है। बतौर विधानसभा अध्यक्ष ये अपने अनुभवों से सदन का सफल संचालन करने में कामयाब होंगे।