⇒शौचालय बनवाने में मानकों रखा गया ताक पर
⇒ग्राम विकास अधिकारी करता है उच्चाधिकारियों को गुमराह
⇒ग्रामीणों की मानें तो प्रधान देता धमकी कि कोई सरकारी योजना लाभ नहीं लेने दूंगा
कानपुर देहात, जन सामना संवाददाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ शौचालय’ योजना में भ्रष्टाचार की अमरवेल ने खूब रंग दिखाया है और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानों की जेब भरने का एक अच्छा माध्यम ‘स्वच्छ शौचालय योजना’ बनती दिख रही है। इस योजना के तहत बनाये गए शौचालयों में मानकों के साथ पूरी निर्भीकता के साथ खूब खिलवाड़ किया गया है और इसमें ग्राम विकास अधिकारी ने भी पूरी सहभागिता करते हुए ऐसे शौचालयों को तैयार करवा कर उपयोग के लिए छोड़ दिए जो भविष्य में देश की जनता को उसी स्थान पर लाकर छोड़ देंगे जिससे बचाने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी जी जी-जान से जुटे हैं। कहने का मतलब यह है कि जो शौचालय ग्रामीण क्षेत्र की जनता उपयोग कर रही है उनके दोनों टैंकों में मल प्रवाहित हो रहा है। कुछ वर्षों बाद जब दोनों टैंक एक साथ भर जायेंगे तो ऐसे में या तो शौचालयों का उपयोग बन्द करना पड़ेगा या टैंकों में एकत्र हुए मैले को बिना जैविक खाद के बने ही फेंकने की मजबूरी होगी। जबकि स्वच्छ शौचालय में दो टैंक इस लिए बनाये गए हैं कि पहले एक टैंक का उपयोग हो जब वह भर जाये तो दूसरा टैंक खोल दिया जाये और जब पहले वाले टैंक में एकत्र हुआ मल जैविक खाद का रूप ले ले तो उसे खेतिहर भूमि को उपजाऊ बनाने के काम में लाया जाये। लेकिन जागरूकता की कमी व ग्राम प्रधान की लापरवाही के चलते ग्रामीणों को शौचालय उपयोग की सही जानकारी नहीं दी गई है।
जी हां कानपुर देहात के विकास खण्ड डेरापुर के ग्राम पंचायत मझगवां व उसके अन्तर्गत आने वाले गांवों में ग्राम प्रधान ने शौचालय तो बनवाए लेकिन उनके उपयोग के तरीके किसी को नहीं बताये साथ ही शौचालय निर्माण में ग्राम प्रधान राजेलाल पाल ने खूब धांधली करवाई। मानकों के साथ जमकर खिलवाड़ किया गया। मिर्जापुर खुर्द निवासी रजपाल सिंह, हरिनाम सिंह उर्फ कल्लू ने बताया कि उनके शौचालय में एक-एक ही टैंक बनवाया गया है। वहीं रजपाल सिंह का शौचालय जानलेवा बना हुआ है। उसमें शौच करने की सोंचना मतलब अपनी जान को जोखिम में डालना है। रजपाल के मुताबिक उनका शौचालय कभी भी ढह सकता है। वहीं सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि उनके टैंकों के ढक्कन इतने कमजोर बनाये कि वे टूट गए और लकड़ी के डण्डों से पाटकर काम चला रहे हैं। खास बात यह है कि सभी लोगों ने बताया कि दोनों टैंको में मल प्रवाहित हो रहा है क्योंकि इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई। सभी शौचालयों को देखने से ही लगता है कि मानकों के साथ खूब खिलवाड़ किया गया है। इस बारे में ग्राम प्रधान राजेलाल पाल ने खुले शब्दों में कहा कि ग्राम पंचायत में मेरे मुताबिक ही विकास कार्य होंगे सरकार क्या होती है इससे में मुझे क्या लेना देना..! उन्होंने यह भी कहा कि जो चाहे मेरी शिकायत करें लेकिन मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
इसकी शिकायत जब प्रधानमंत्री जी से की गई तो ग्राम विकास अधिकारी रवि कुमार शुक्ला ने सभी शौचालयों को मानक के अनुरूप बताते हुए अधिकारियों को गुमराह किया। लेकिन बिगत 1 अप्रैल को एडीओ / प्रभारी ने स्वीकार किया कि शौचालय निर्माण में जमकर धांधली की गई है और मानकों को ताक पर रखा गया है। एडीओ ने यह भी जानकारी दी कि इन शौचालयों के निर्माण के लिए धनराशि ग्राम पंचायत के खाते में आवंटित की गई है इस लिए ग्राम प्रधान में मनमानी की है। उसमें ग्राम विकास अधिकारी रवि शुक्ला ने साथ दिया है और बिना निरीक्षण किए सभी शौचालयों को सही दर्शाते हुए अधिकारियों को गुमराह किया है। उन्होंने बताया कि 15 दिनों के अन्दर सभी शौचालयों को ठीक करने का निर्देश दिया है।
वहीं शौचालयों के नजारों से पता चलता है कि बहुत से लोग उनका उपयोग ही नहीं करते हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता लाने की जरूरत है।