ईवीएम की जांच से किनारा कर रहा चुनाव आयोग, जनता पूॅंछ रही क्या है फायदा?
दिल्ली एमसीडी चुनावों में भी खूब हुआ पोलिंग बूथ पर ईवीएम का विरोध
कानपुर, पंकज कुमार सिंह। देशभर में ईवीएम (इलेक्ट्राॅनिक वोटिंग मशीन) के विरोध में लाखों लोग लामबन्द है लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था से मुँह चुराता चुनाव आयोग ईवीएम के पक्ष में तरह तरह के कसींदे पढ़ रहा हैं। कई राज्यों के चुनावों में ईवीएम से गड़बड़ी के आरोप तो लग ही रहे हैं साथ ही ऐसे में चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली भी संदेह के घेरे में आ रही है। लेकिन चुनाव आयोग अपनी ढपली-अपना राग अलापते हुए ईवीएम पर छिड़ी बहस से किनारा करता नजर आ रहा है यह किस वजह से ? यह यक्ष प्रश्न है। आज जन सामना ने जनता के बीच जाकर उनके मन को टटोला तो चुनाव अयोग के प्रति नाराजगी साफ दिख रही थी। जन सामना ने जनता के बीच ईवीएम को लेकर जो चर्चा की वह किसी राजनैतिक पार्टी की हार या जीत को लेकर नहीं अपितु चुनावों को लेकर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के सम्बन्ध में रही। जिसमें जनता के द्वारा वोट के जरिए लिए गए निर्णय को लेकर रहीं। इस चर्चा में ईवीएम कटघरे में रही। मामला इ्र्रवीएम पर उपजी शंका ओर देश के गणतंत्र को लेकर रहा। इसपर चर्चा में जनता ने बेबाकी से बात रखी। शहर के शारदा प्रसााद वर्मा, रामपाल सिंह, कल्लू प्रसाद, प्रदीप यादव, सुदामा प्रसाद, ने कहा कि कहा ईवीएम जनता पर थोपी जा रही है। ईवीएम से फायदा नहीं, लोगों ने इसे देश की गणतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक करार दिया। प्रसेनजीत, राजबहादुर सिंह, नीरज कुमार, विनय सिंह, पवन कुमार, राजीव सिंह, ने ईवीएम का विरोध करते हुए अमेरिका, रूस, जापान, चीन, आॅस्ट्रेलिया, जैसे कई विकसित देशों का हवाला भी दिया जहां ईवीएम प्रतिबन्धित है। सर्व सम्मति से लोगों ने ईवीएम के स्थान पर पूर्व की चुनाव पद्धति वैलेट पेपर का इस्तेमाल होने की बात कही।
दिल्ली एमसीडी चुनावों में भी हुआ ईवीएम का विरोध
पिछले दिन दिल्ली म्यूनिस्पालिटी चुनावों में भी कई पोलिंग बूथ पर लोगों ने ईवीएम का विरोध किया। लेकिन इसपर चुनाव आयोग ने कोई एक्शन नहीं लिया। इससे साफ है कि चुनाव आयोग तानाशाही रवैया अपनाए हुए। वोटिंग सिटम पर ही प्रश्न चिन्ह लग रहा है तो वोट डालने के संवैधानिक अधिकार कैसे सुरक्षित है?गणतान्त्रिक व्यवस्था के लिए यह खतरनाक है। ऐसा ही रहा तो ईवीएम को लेकर गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
आधुनिकता के दिखावे में गणतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघत
जनसामना से वार्ता के दौरान लोगों ने कहा कि आधुनिकता के दिखावे के लिए देश के गणतंत्र से समझौता नहीं किया जाना चाहिए।लोगों का तर्क है कि गड़बड़ी के आरोपों पर ईवीएम से मतदान की पुनः गिनती नहीं हो सकती है। ईवीएम से कुछ घण्टों की बचत के साथ केवल वोटों की गिनती ही जल्दी हो जाती हैं। आधुनिकता के दिखावे में गणतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघत नहीं होना चाहिए। लोगों का कहना है कि चुनाव प्रक्रिया साफ-स्वच्छ व पादर्शी होनी चाहिए यह देश के गणतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
वीवीपीएटी से बेहतर वैलेट पेपर
देश के लाखों लोगों के विरोध को धता देते हुए चुनाव आयोग ईवीएम से ही वोटिंग पर अड़ा हुआ हैं। जबकि इ्रवीएम में गड़बडी की बात चुनाव आयोग स्वीकार कर चुका है। इसके बाद ईवीएम से वोट पर्ची के लिए वीवीपीएटी मशीन लगाकर वीवीपीएटी को अपग्रेड करने की बात कह रहा है। इस पर लोगों का तर्क है कि वीवीपीएटी में भी कागज का खर्च होगा और यह प्रक्रिया भी संदेह से परे नहीं है। ऐसे में यह कौन सी बुद्धिमानी की बात है कि इलेक्ट्रोनिक सिस्टम में खर्चा किया जा रहा है। इससे बेहतर वैलेट पेपर ही है जिसपर संदेह का प्रश्न नहीं हो सकता।
‘‘ गंणतांत्रिक व्यवस्था के लिए जहां कोई शंका हो रहीं हो तो उसे गंभीरता से लेना चाहिए। ईवीएम पर सवाल उठते रहे हैं ऐसे में ईवीएम को हटाने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए’’
-विपिन पटेल, शिक्षक
‘‘चुनाव ने ईवीएम हैक करने की जो चुनौती दी थी उसकी कोई अधिकारिक सूचना सामने नहीं आईं मीडिया में फिर ये खबर कैसे आई?इ्रवीएम जबरदस्ती जनता पर थोपी जा रही है। पूरा सिस्टम संदेह में है’’
-अनिल कुशवाहा, शिक्षक
‘‘देश में लोगों की इतनी बडी संख्या ईवीएम के विरोध में है फिर भी ई्रवीएम हटाई नहीं जा रही। इससे क्या फायदा है?चुनाव आयोग देश के संविधानिक व्यवस्था से खिलवाड कर रहा है।’’
– रोहित गौतम, बीटेक