महाराष्ट्र सरकार के मुंबई के पुलिस कमिश्नर दलवीर सिंह की पद से हटाए जाने के बाद अचानक ज्ञान और इमानदारी जागृत हुई है। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महाराष्ट्र सरकार के ही गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार का पुलिंदा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख द्वारा जिलेटिन कांड के प्रमुख आरोपी सचिन वझे के माध्यम से मुंबई के 1750 शराब के बार तथा उससे संलग्न डांस क्लब से 100 करोड़ों रुपयों की हर महीने रिश्वत की मांग की है। पुलिस कमिश्नर का पत्र बम की तरह फटा और पूरी महाराष्ट्र सरकार पत्ते की तरह हिलने लगी। आठ पेज के पत्र में पुलिस कमिश्नर दलवीर सिंह ने अनेक आरोप लगाए हैं। जिसमें प्रमुख 100 करोड़ के रिश्वत लेने की बात का प्रमुखता से उल्लेख किया है पद से हटाए जाने के बाद ही पुलिस कमिश्नर ने अपना मुंह खोला, इसके पहले किन कारणों से वह चुप थे। यह तो वही बता पाएंगे| क्या वे सरकार के दबाव में थे। या वह भी इस भ्रष्टाचार के सहयोगी थे। और हटाए जाने के बाद क्रोधित होकर इस तरह का पत्र लिखने के लिए आमादा हो गए हैं। इसी परिपेक्ष में शरद पवार दिल्ली कूच कर गए। और उन्होंने अपनी कार्यसमिति की बैठक भी बुला ली हैं।उद्धव ठाकरे ने अपने खास सिपहसलार सांसद संजय राउत को इस बैठक में शामिल होने भेजा है। संजय राउत ने माना है और अपने बयान में की कहा कि सरकार पर कालीमा के छीटें तो पड़े हैं, पर सरकार को ऐसा दोबारा नहीं करना चाहिए,मतलब वह मानते हैं की भ्रष्टाचार तो हुआ है। उद्धव ठाकरे ने अपनी अभी कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है। उधर शरद पवार का कहना है कि इस पत्र की और उससे जुड़े तथ्यों की बारीकी से जांच की जाएगी और जांच के बाद कोई क्रिया प्रतिक्रिया या कार्यवाही की जा सकती है। पर प्रश्न यह उठता है की इतने बड़े आई.पी,एस अधिकारी ने बिना किसी साक्ष्य अथवा सबूत के इतना बड़ा आरोप समूची सरकार पर आरोपित कर दिया है। उसमें कहीं ना कहीं सच्चाई तो होगी ही और उनके पास पर्याप्त साक्ष्य या गवाह भी होंगे। वरना इतनी जिम्मेदारी वाले पद के पदाधिकारी द्वारा महाराष्ट्र की समुचि सरकार पर बेबुनियाद आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं। ईस तरह महाराष्ट्र सरकार के तीनों अंग कांग्रेस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी और शिवसेना तीनों यकायक सकते में आ गए हैं। विपक्ष की बीजेपी पार्टी के नेता अनिल फडणवीस और उनके सहयोगी तथा भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज कोटक ने महाराष्ट्र सरकार और उनके मंत्रिमंडल से इतने बड़े भ्रष्टाचार के मामले में नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा मांगा है। और मुंबई में इसका खुल कर प्रदर्शन कर रहे हैं । ऐसे में सरकार के लिए मुसीबत तो है ही।अब इस प्याले का तूफान कितना रंग लाएगाए। यह तो वक्त ही बताएगा। पर यह तो तय है की महाराष्ट्र सरकार अभी बैकफुट पर आ गई है। और अपने बचाव के लिए ना सिर्फ सचिन वझे और उसके साथियों तथा पुलिस विभाग में अपने समर्थक अधिकारियों को बचाने में लगी है। वैसे अब तक की सरकारों में ऐतिहासिक तौर पर किसी शासकीय पद में रहते हुए पुलिस के आला अधिकारी द्वारा इस तरह का आरोप संभवत पहली बार लगाया है। इस मामले में कांग्रेस पार्टी और गठबंधन के एन.सी.पी तथा शिवसेना को मामले में निष्पक्षता के साथ व्यवहार कर दूध का दूध और पानी का पानी करना चाहिए। और यह भी पता लगाना चाहिए की पुलिस कमिश्नर दलबीर सिंह ने किसकी ताकत के दम पर इस तरफ पत्र लिखकर भारत सरकार पर इतने गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके पीछे कोई राजनीतिक ताकत तो नहीं। और अपने गृह मंत्री को बचाने के प्रयास में कहीं ऐसा ना हो कि यह प्याले का तूफान सारी सरकार को ही ले उड़े। ऐसे में पछताने के अलावा कुछ ना रह जाएगा।