Friday, May 17, 2024
Breaking News
Home » युवा जगत » सेहत के प्रति जागरूकता उम्र में बीस साल बढ़ोतरी

सेहत के प्रति जागरूकता उम्र में बीस साल बढ़ोतरी

आजकल इंसान कई बीमारियों का शिकार होते मौत से पहले ही मर रहे है। कैंसर, किडनी खराब होना और हार्ट अटेक अब मलेरिया और शर्दी खांसी की तरह आम बीमारीयां हो गई है। अच्छी सेहत के लिए अच्छा, पौष्टिक और साफ़ सुथरे तरीके से बनाया गया खाना ही ताउम्र तनमन को स्वस्थ रखता है।
आजकल दूषित खाना खाने की वजह से बहुत ज्यादा लोग बीमारियों के शिकार हो रहे है। सबसे ज्यादा जो बीमारिया दूषित भोजन की वजह से होती है। नोरोवायरस संक्रमण, डायरिया, फूड प्वाइजनिंग सहित अन्य बीमारियों का खतरा दूषित खाने से बढ़ता जाता है।
सबसे पहले खाना बनाने में उपयोग होने वाली चीज़ें अच्छी क्वालिटी की हो ये जरूरी है। अनाज, तेल, शक्कर, सब्ज़ी और दूध, दहीं खरीदते वक्त जांच पड़ताल करनी चाहिए आजकल बनावटी चीज़ों का ज़माना है।
दूसरी बाजार से आई चीज़ को अच्छी तरह बिनना, साफ़ डिब्बे में रखना और खाना बनाते वक्त दाल चावल को अच्छे से दो तीन पानी से साफ़ करना बहुत जरूरी है। ताकि अनाज के उपर लगी धूल मिट्टी या कचरा साफ़ हो।
खास तो जहाँ पर खाने पीने की चीज़ रखी हो वो जगह साफ़ सुथरी होनी चाहिए। किड़े मकोड़े और कोंकरोच की नज़र नहीं पड़नी चाहिए।
फूड प्रोसेसर, यानी खाना बनाने वाले उपकरणों की सफ़ाई बहुत मायने रखती है। मिक्सर, माइक्रोवेव, ब्लंडर, चोपर, टोस्टर वगैरह को उपयोग में लेने के बाद अच्छी तरह साफ़ करके रखने चाहिए, वरना फंगस और किड़े पनपने का खतरा रहता है जो शरीर के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।
आजकल अनाज और सब्ज़ीयो पर कीट नाशक दवाईयों का विपुल प्रमाण में छंटकाव होता है, तो तीन चार बार पानी बदलकर रगड़ कर साफ़ करने के बाद ही उपयोग में लेना चाहिए।
आजकल के बच्चें जंक फूड और फास्ट फूड के आदी होते जा रहे है पर फास्ट फूड में ट्रांसफैट, शुगर, सोडियम और लेड जैसे खतरनाक रसायनों का प्रयोग कर उसे टेस्टी तो बनाया जाता है, लेकिन वह हेल्दी नहीं होता। इससे भूख तत्काल मिट जाती है, परन्तु शरीर की पोषण से संबंधित जरूरतों की पूर्ति नहीं हो पाती।
इसमें प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स आदि पोषक तत्वों का अभाव होता है। नुकसान की बात करें, तो इसमें ट्रांसफैट, सिंथेटिक कलर, एसेन्स के रूप में रासायनिक पदार्थों और शुगर की काफी मात्रा होती है।
इसमें फाइबर का अभाव और चिकनाई की मात्रा अधिक होने के कारण इसके सेवन से पाचन तंत्र भी बुरी तरह से प्रभावित होता है।
घर का खाना सबसे बहेतर होता है।
महानगरों में भागदौड़ भरी जीवनशैली और काम के तनाव के कारण लोग घर के खाने की बजाय मार्केट में उपलब्ध रेडी-टू-ईट खाद्य पदार्थों का सेवन कर भोजन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
होटल और टिफिन वाले भोजन में पौष्टिकता की बजाय स्वाद पर ध्यान दिया जाता है। इसीलिए स्वाद के चक्कर में खाद्य पदार्थों के निर्माण में टेस्ट मेकर, हानिकारक रसायनों, सिंथेटिक कलर, वसा, शुगर, ट्रांस फैट आदि का इस्तेमाल किया जाता है। हम स्वाद के चक्कर में यह भूल ही जाते हैं कि ऐसे भोजन के सेवन से अनेक खतरनाक बीमारियां जन्म लेती हैं। अगर खानपान अच्छा होगा तो सेहत भी अच्छी रहेगी।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)