Saturday, November 23, 2024
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वुहान लैब से वायरस लीक होने की थ्योरी – डाॅ0 लक्ष्मी शंकर यादव

अमेरिकी राश्ट्रपति जो बाइडेन ने भी हाल ही में लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी सहित कोरोना की उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी जांच करने के लिए दोबारा प्रयास करने कें आदेश दिए हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बीती 26 मई को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आदेश दे दिया है कि वे कोरोना के स्रोत का पता लगाने के लिए गहराई से जांच कर 90 दिनों में उनके समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हालांकि चीन ने वुहान लैब से वायरस के लीक होने की थ्योरी को अत्यन्त असंभव कहकर खारिज कर दिया है और अमेरिका पर राजनीतिक हेरफेर का आरोप लगाया है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलियन ने 8 जून को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि हम अपने अन्तरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ चीन पर पारदर्शिता बरतने के लिए दबाव डालते रहेंगे और इसके साथ ही हम अपनी जांच प्रक्रिया भी जारी रखेंगे।
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर भले ही अभी कोई ठोस सबूत सबके सामने न आया हो लेकिन इस बीच अमेरिका के कुछ विषेशज्ञों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर एक बड़ा दावा किया है। अमेरिकी मीडिया ने इसी सप्ताह यह बताया कि अमेरिकी विशषज्ञों ने अपने शोध में दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट आॅफ वायरालाॅजी से लीक हुआ है। उन्होंने शोध में दावा किया है कि कोविड-19 के दुर्लभ जीनोम सीक्वेंस से पता चलता है कि कोरोना वायरस एक प्रयोगशाला में विकसित किया गया था और यह कोई प्राकृतिक वायरस नहीं है। अमेरिका के वाॅल स्ट्रीट जर्नल ने बताया कि अमेरिका के दो विशेषज्ञों डाॅ. स्टीफन क्वे और रिचर्ड मुलर के अनुसार, कोविड-19 में एक अनुवांशिक जीनोम सीक्वेंस है जो किसी प्राकृतिक कोरोना वायरस में कभी नहीं देखा गया है।
डाॅ. क्वे और मुलर ने बताया है कि कोविड-19 में जीनोम सीक्वेंस जिसे डबल सीजीजी भी कहा जाता है, जो 36 अनुक्रमण पैटर्न में से एक है। उन्होंने जानकारी दी कि सीजीजी का उपयोग षायद ही कभी कोरोना वायरस की श्रेणी में किया जाता है, जो कोव-2 के साथ पुनः संयोजन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के पूरे वर्ग में जिसमें कोव-2 शामिल है, जीनोम सीक्वेंस कभी भी प्राकृतिक रुप से नहीं पाया गया है। पूर्व में प्रभावी रह चुके सार्स और मर्स वायरसों से कोविड के लिए जिम्मेदार कोव-2 वायरस जेनेटिक संरचना में अलग है, जबकि तीनों वायरस एक ही परिवार के हैं। इसका मतलब यह है कि कोरोना वायरस की संरचना को प्रयोगषाला में बदला गया और उसे मानव पर घातक असर डालने वाला बनाया गया। इस शोध में उन्होंने जो बातें कहीं हैं वे वैज्ञानिक शोध के आधार पर ही हैं। उन्होंने अंत में यह भी कहा कि वैज्ञाानिक साक्ष्य इस तरफ इशारा करते हैं कि कोरोना वायरस को एक प्रयोगशाला में तैयार किया गया था।
कोरोना की उत्पत्ति को लेकर एक नया दावा भी सामने आया है। ब्रिटिश पत्रकार जैस्पर बेकर की रिपोर्ट के मुताबिक वुहान लैब में जेनिटिक इंजीनियरिंग की मदद से एक हजार से अधिक जानवरों के जीन बदलने के दौरान कोरोना वायरस लीक हुआ। इन जानवरों में चूहे, चमगादड़, खरगोष एवं बंदर आदि षामिल थे। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि वुहान से ही पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का फैलाव हुआ था। ब्रिटिष पत्रकार जैस्पर बेकर ने चीनी मीडिया में प्रकाशित अनेक लेखों के हवाले से यह दावा किया है। जैस्पर के मुताबिक चीन की अधिकांष प्रयोगशालाओं की निगरानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी करती है। इस काम में सेना दो बातों पर विशेष घ्यान रखती है। इसमंे पहला जीन में बदलाव, जिससे बेहतर सैनिक तैयार हो सकें और दूसरा ऐसे सूक्ष्म जीवों की खोज हो सके जिनका जीन नए जैविक हथियार बनाने में बदला जा सके। ये ऐसे हथियार होंगे जिनका मुकाबला दुनिया की कोई ताकत नहीं कर पाएगी। कुछ चीनी विषेशज्ञों का यह भी कहना है कि वुहान की विषाणु विज्ञानी शी झेंगली ने दूरस्थ गुफाओं का दौरा किया था और वे यहां चमगादड़ों पर शोध कर रहीं थीं। झेंगली चीन में बैट वुमन नाम से जानी जाती हैं। इसलिए उन विषेशज्ञों का शक उन पर जाता है।
इसी कड़ी में अमेरिका के विदेष मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने 6 मई को एचबीओ पर प्रसारित एक इंटरव्यू में कहा कि ‘‘हमारे लिए इसकी तह तक जाने का सबसे अहम् कारण यह है कि हम अगली महामारी को रोकने में सक्षम हो सकते हैं।’’ विदेष मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने बताया कि बाइडेन प्रशासन कोरोना की उत्पत्ति की जड़ तक पहंुचने के लिए दृढ़ है। उन्होंने कहा कि चीन ने वह पारदर्शिता नहीं दिखाई, जिसकी जरूरत है। उसे जवाबदेह ठहराए जाने की आवष्यकता है। उन्होंने चीन से महामारी संबंधी सभी जानकारी उपलब्ध कराने और अन्तरराश्ट्रीय जांच के लिए पूर्ण अनुमति देने की अपील की। इससे एक दिन पहले 5 मई को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका तथा अन्य देशों से कहा था कि कोरोना महामारी के चलते हुए नुकसान के लिए चीन से क्षतिपूर्ति की मांग करें। उधर चीन ने 7 मई को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोरोना महामारी से हुई मौतों एवं भारी तबाही के लिए अमेरिका तथा अन्य देशों का मुआवजे के तौर पर दस ट्रिलियन डाॅलर देने की मांग को खारिज कर दिया है। चीन ने कहा कि यह जवाबदेही उन नेताओं की है जिन्होंने लोगों के जीवन तथा स्वास्थ्य की अनदेखी की है।
कोरोना वायरस की उत्पत्ति की गहन जांच की मांग के मामले में आईआईटी दिल्ली के भारतीय वैज्ञानिक भी उन लोगों कों फेहरिस्त में षामिल हैं जिन्होंने लैब रिसाव थ्योरी को लेकर संदेह जताया था। आईआईटी दिल्ली में कुसुमा स्कूल आॅफ बायोलाॅजिकल साइंसेज में जीवविज्ञानियों की एक टीम ने 22 पेज का षोध पत्र लिखा था। इस टीम में पुणे के रहने वाले विज्ञानी डाॅ. राहुल बाहुलिकर और डाॅ. मोनाली राहलकर भी थे। जिनका कहना है कि इस संभावना के पक्ष में उनकी टीम को सबूत मिले हैं। इस टीम ने अप्रैल 2020 में अपना शोध शुरू किया था। इनका भी यही कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की जांच के पर्याप्त शोध नहीं किए गए।
उपर्युक्त वर्णन से यह तथ्य उभरकर सामने आता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन इस मामले को गंभीरता से लेकर इसकी जांच करवाए और चीन भी इस मामले में पूरा सहयोग करे जिससे यह तथ्य दुनिया के सामने आ सके कि कोरोना वायरस के फैलने की वास्तविक थ्योरी क्या है?
(लेखक सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक रहें हैं)