बेटियों की दशा पर रो लिए बहुत अब
शौर्यता का उनके गुणगान होना चाहिए
भावना को उनके खूब पहुँचाया ठेस हमने
मुख पे हमारे उनका सम्मान होना चाहिए
रखा खूब हमने बंदिशों में उन्हें अब
दे आज़ादी उनपे अभिमान होना चाहिए
दहेज के खातिर हैं सुताएं खूब जली
ऐसी कुप्रथाओं का विराम होना चाहिए
बुरी नज़र डाले जो आबरू पर कोई वहशी
रक्षा हेतु हाथ में कृपाण होना चाहिए
कदम से कदम मिला तनुज से तनुजा रही
हर घर आत्मजा से शोभायमान होना चाहिए
बंद करो हत्या अब अजन्मी दुहिता की
ऐसे संकल्प का दृढ़ निर्माण होना चाहिए
करना मंदिरों में अब अरदास यही की
घर मेरे सुता रूपी वरदान होना चाहिए
स्वाति पाठक