जरौली फेस एक व दो के लोगों को मिलेगी राहत
कानपुर विकास प्राधिकरण को मिलेगा वित्तीय लाभ
कानपुर, जन सामना ब्यूरो। कानपुर विकास प्राधिकरण अब तक उन्हें ही वैध कब्जेदार मानता रहा है जिन्होंने कानपुर विकास प्राधिकरण से सम्पत्ति का आवंटन करवाया हो या मूल आवंटी से पंजीकृत अनुबन्ध करवाया हो, लेकिन अब प्राधिकरण की नींद टूट चुकी है और अपना राजस्व बढ़ाने के लिए अपंजीकृत कब्जेदारों को भी मालिकाना हक देने को राजी हो गया है। इससे जहां एक ओर उन लोगों को राहत मिल जायेगी जो लोग दसकों से मालिकाना हक पाने के लिए जद्दोजेहाद कर रहे थे वहीं दूसरी ओर वर्तमान कब्जेदार उन मूल आवंटियों के ब्लैकमेलिंग से भी बच जायेंगे जो दसकों पहले अपने भवनों को बेंच कर चले गए थे।
बताते चलें कि जागरूकता के अभाव में हजारों क्रेताओं ने अपंजीकृत दस्तावेजों के सहारे बेचनामा करार दसकों पहले कर लिया था लेकिन कानपुर विकास प्राधिकरण ने उन्हें सम्पत्ति का मालिकाना हक देने से मना कर दिया था।
गौरतलब हो कि जरौली फेस एक व दो के हजारों वासिन्दों ने मूल आवंटियों से कालोनियों को क्रय कर लिया था। लेकिन उन्होंने मूल आवंटी से पंजीकृत अनुबन्ध या अधिकार पत्र नहीं लिया था। लेकिन वो भवन पर कब्जा लिए हुए हैं। कानपुर विकास प्राधिकरण ने वर्तमान कब्जेदारों से किश्तों को लेने से भी इन्कार कर दिया था। इस वहां रह रहे कब्जेदारों ने जरौली विकास जन कल्याण समिति के बैनर तले लम्बा संघर्ष किया। समय गुजरता गया और केडीए वीसी बदलते चले गए किसी ने जरौली फेस एक व दो के वाशिन्दों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। साथ ही यहां के लोगों की समस्या को सुलझाने में भाजपा नेता सतीश महाना के चप्पल घिस गए लेकिन वो निराकरण नहीं करा सके। कहते हैं कि समय एक सा नहीं रहता और वह चरित्रार्थ भी हुआ। जी हां, कानपुर विकास प्राधिकरण के नए उपाध्यक्ष के0 विजयेन्द्र पाण्डियन के आते ही जरौली फेस एक व दो के वाशिन्दों का समय भी अच्छा आ गया। उनके समक्ष क्षेत्र की वास्तविक समस्या को रखा गया। नए उपाध्यक्ष ने मामले को संज्ञान में लिया और उन्हें राहत दे दी है। जानकारी के अनुसार, केडीए वोर्ड की 103/3 वीं बैठक में यह प्रस्ताव पास किया जा चुका है कि जरौली फेस एक व दो में वर्तमान में रह रहे उन कब्जेदारों को मालिकाना हक दें जिन्होंने मूल आवंटियों से भवन को क्रय कर रखा है, लेकिन उनके पास पंजीकृत दस्तावेज नहीं हैं और वो अंपजीकृत दस्तावेजों के सहारे ही उनमें रह रहे हैं। यह भी निर्देश दिया गया है कि कब्जेदारों से भवन से समुचित प्रपत्र प्राप्त कर लें।
यह भी गौरतलब हो कि वर्तमान में रह रहे लोगों को आवेदन पत्र के साथ 10,000 रुपये जमा कराये जायेंगे। उन्हें वैध आवंटी मानते हुए उनसे भवन का तय मूल्य 10 वर्षों की त्रैमासिक किश्तों में वसूला जायेगा। साथ ही जिस भवन के बावत कोई धनराशि जमा की जा चुकी है वह भी भवन की कीमत में समाहित कर दी जायेगी। इससे यहां रह रहे लोगों की समस्या का निराकरण भी हो जायेगा, वहीं प्राधिकरण को वित्तीय लाभ भी हो जायेगा।
सूत्रों की मानें तो भवन का मूल्य 5600 रुपये प्रतिवर्ग मीटर तय किया गया है। नये उपाध्यक्ष ने इस मसले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द निराकरण करने की बात कही है।
यह भी गौरतलब हो कि अब तक कई उपाध्यक्षों ने इस प्रकरण को शासन स्तर से अनुमोदन कराने के नाम पर टालने का कार्य किया है लेकिन भाजपा सरकार आते ही नई पहल शुरू हुई है और जरौली फेस एक व दो के हजारों परिवारों को राहत दिलाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। गौर तलब हो कि तत्कालीन उपाध्यक्ष राम स्वरूप ने इसी क्षेत्र के 156 भवन/भूखण्ड केडीए वोर्ड द्वारा निर्धारित दर पर प्रथम आओ प्रथम पाओ के आधार पर बेंच दिए थे, जबकि उन हजारों लोगों की बात को दरकिनार रखा गया जो वहां पर वर्षों से रह रहे हैं। हजारों परिवार परेशान रहे। अब सवाल यह उठता है कि यह दोहरा मापदण्ड क्यों अपनाया गया ?