हाथरस। जिले में झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला हुआ है। ये झोलाछाप इस जिले को लूटने में कोई कसर नही छोड़ रहे है। खास बात तो ये है कि इसकी जानकारी प्रशासन को भी है पर उन पर आज तक कोई कार्रवाई नही हुई। इन झोलाछाप डॉक्टरों ने इलाज का रेट भी फिक्स कर रखे हैं। यहां कोई भी बीमारी हो इंजेक्सन के और बॉटल के रुपये फिक्स है,जबकि ये बाजार मूल्य से कई गुना है। ये झोलाछाप डॉक्टर मरीजो को बकायदा अपने एक कमरे के क्लिनिक में मरीजो को भर्ती भी कर लेते है। कोरोना नामक एक महामारीबिमारी इस समय लोगों में पनप रही है और उसी का भय झोलाछाप मरीज को दिखा देते हैं और कहते हैं कि जल्दी जांच कराओ, जांच के नाम पर हजारों ठग लेते हैं क्योकि मरीज डरा हुआ होता है कि कही बिमारी ज्यादा ना बढ़ जाए।
दवाई की दुकान या अस्पताल
जलेसर रोड, काशीराम कॉलोनी के पास एक मेडीकल संचालक ने तो बकायदा एक हाल में पर्दे लगाकर रूम तैयार कर रखा है,जिसमे एक बेंच रखी है यही मरीज का एडमिट रूम है। वहीँ पर वह मरीजों का उपचार करता है और वही पर उनको एडमिड भी करता है। ये झोलाछाप मेडीकल संचालक इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी रकम भी बसूलता है और यदि किसी मरीज का केस बिगड़ जाए तो उसे वहां से डरा धमकाकर कर भगा देता है। यहाँ पर पूरी तरह से डाक्टरी का अपना कब्जा बनाये हुए हैं। इस झोलाछाप डॉक्टर ने ग्रामीण क्षेत्र में और खासकर इस क्षेत्र में अपनी खूब पहचान बना ली है। इस झोलाछाप डॉक्टर ने प्रशाशनिक अधिकारीयों की आखों में धूल झोकने के लिए रोड पर एक मेडीकल भी खोल रखा है,जिससे अधिकारी भ्रमित हो जाएँ। इस झोलाछाप डॉक्टर के यहाँ पहले भी छापेमार कार्यवाही हो चुकी है, फिर भी इस झोलाछाप डॉक्टर के हौसले बुलंद हैं। जनचर्चा की माने तो इस मेडीकल संचालक की सैटिंग विभाग के कुछ अधिकारियों से है जिस कारण यह हमेशा बच जाता है।
फर्जी डिग्रियों पर असली इलाज का दावा
झोलाछाप फर्जी डिग्री रखकर मरीजों का अंग्रेजी दवाई से इलाज करते हैं और मनमानी रकम वसूलते हैं। नगला चौवे, विष्णुपुरी,नयाबांस जैसे और भी कई क्षेत्र शामिल है, जहाँ पर झोलाछापों ने अपनी दुकानों को सजा रखा है। लेकिन प्रशासन इस प्रकार के झोलाछाप डॉक्टर पर कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाता ही नजर आता है। त्योहारों और खासकर मौसम के बदलने पर बीमारियां पनपना शुरू कर देती हैं, इसका फायदा झोलाछाप जमकर उठाते हैं। खतरनाक बीमारियों का डर बताकर मरीजों से मोटा रुपया ले लिया जाता है। सब कुछ खुलेआम चलने के बावजूद न तो इन सबकी भनक विभाग के मैदानी अमले को है और न ही अफसरों को ऐसा कहना गलत होगा। इधर विभाग खुद भी झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है।
मजबूरी का फायदा उठाते झोलाछाप
डिग्रीधारी व पंजीकृत डॉक्टर ही लोगों का इलाज कर सकता है। यह बात अलग है कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के चलते झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। यहां ऐसे लोग भी गांवों में क्लीनिक खोलकर बैठे हैं जिन्होंने मेडिकल की पढ़ाई तो दूर 10 वीं, 12 वीं तक भी पढ़ाई नहीं की है। चंद गोली-दवाओं के नाम याद कर लेना और किस बीमारी में कौनसी दवाई काम आएगी। बस इतने ज्ञान के सहारे ही वे डॉक्टरी करने लगे हैं। ग्रामीण अंचलों में एक तो दूर-दूर तक अस्पताल नहीं है और यदि है भी तो उनमें न तो डॉक्टर रहते हैं और न ही कर्मचारी ही मिलते हैं। ऐसे में लोगों की भी मजबूरी बन जाती है कि वे इन झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराएं। इनके बारे में पूरी जानकारी होने के बावजूद विभाग द्वारा इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इसकी वजह चाहे जो भी हो, लेकिन इसी का फायदा उठाकर झोलाछाप डॉक्टर अपना स्वार्थ साधने में जुटे हैं।
कब होगी कार्यवाही
झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा आमलोगों की सेहत से खिलवाड़ करना कोई नई बात नहीं है। शहर में भी कई जगहों पर कई तथाकथित डॉक्टर आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा की डिग्री पर ऐलोपैथिक इलाज कर रहे हैं। कुछ के पास तो डिग्री ही नहीं है। जिले में तो झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया गया है। जबकि प्रदेश में व्यवसाय कर रहे फर्जी डॉक्टर, झोलाछाप डॉक्टर पर कार्रवाई के लिए शासन ने महीनो पहले ही आदेश जारी किया था।लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर शासन ने भले ही आदेश जारी किए हो, लेकिन जिले में स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है। शहर में ही इस वर्ष झोलाछापों के घटिया इलाज के कारण कई मरीजों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा है , लेकिन फिर भी मामला ठंडे बस्ते में ही है। जब भी विभाग से पूछा जाता है तो उनका इतना ही कहना होता है कि जल्द बड़ा अभियान चलाएंगे झोलाछापों पर कार्यवाही की जाएगी।
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