ऊंचाहार/रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता। अधीक्षण अभियंता ने बताया कि भूमिधरी जमीन पर नहीं हो सकता निर्माण।सड़क निर्माण में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही रोड़ा बने हुए है।गंगा तट पर स्थित शिव मंदिर के लंबित मार्ग निर्माण की मांग।वहां के प्रधान ने समाधान दिवस में बताया कि गलत आख्या रिपोर्ट लगाकर मामले की इतिश्री कर दी गई है ।मामला क्षेत्र के बादशाहपुर गंगा घाट स्थित शिव मंदिर तक मार्ग निर्माण का है।क्षेत्र के कोटिया चित्रा गांव के प्रधान नरेंद्र यादव ने तहसील समाधान दिवस में एक पत्र देकर कहा था कि इस महत्वपूर्ण मार्ग में सालों से बोल्डर पड़ा हुआ है,मार्ग बदहाल है।जिससे न सिर्फ कई गांवों का आवागमन बाधित है अपितु गंगा तट और वहां स्थित भगवान शिव के मंदिर तक जाने में भक्तों को भी बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।जिसमे लोक निर्माण विभाग खंड एक के अधिशासी अभियंता ने अवर अभियंता की जांच रिपोर्ट का हवाला देकर लिखा है कि इस मार्ग के प्रथम 700 मीटर लंबाई और तीन मीटर चौड़ाई में गन्ना विभाग द्वारा पच्चीस साल पहले बोल्डर डाला गया था।उसके आगे ढाई सौ मीटर कोटिया चित्रा गांव निवासी एक किसान की भूमिधरी जमीन है।जिस पर लोक निर्माण विभाग का स्वामित्व न होने के कारण सड़क निर्माण संभव नहीं है ।जबकि ग्रामीणों का कहना है कि राजस्व अभिलेखों में इस मार्ग पर कहीं भी किसी की भी भूमिधरी जमीन नहीं है।इस बात की पुष्टि क्षेत्रीय लेखपाल को बुलाकर ग्रामीण कर भी चुके है।खास बात यह है कि बिना राजस्व कर्मचारी व लेखपाल को बुलाए लोक निर्माण विभाग के अवर अभियंता किसी जमीन का स्वामित्व कैसे तय कर सकते है ?विभाग के जिम्मेदारों के इस कृत्य के विरुद्ध मंगलवार को ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया है।यही नहीं ग्रामीणों का कहना है कि इस बारे में यदि शीघ्र ही इस मामले में सही पैमाईश होकर सड़क निर्माण शुरू नहीं हुआ तो ग्रामीण लंबा आंदोलन करेंगे ।