रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता।जहां सरकार पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ो रुपए खर्च कर रही है वहीं राजमार्ग पर बन रहे निर्माणाधीन टोल प्लाजा के नजदीक सड़क चौड़ीकरण के दौरान सैकड़ों की तादाद में पेड़ काटे जा रहे हैं।प्रदेश सरकार ने पर्यावरण प्रदूषण को देखते हुए तरह तरह के प्रतिबंध लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ती है यहां तक की डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है खासकर 10 साल पुराने वाहनों पर लेकिन प्रशासनिक अमला खुद ही पर्यावरण संरक्षण के लिए सजग नजर नहीं हो रही है।विकास और सड़क को चौड़ा करने के नाम पर सैकड़ों पेड़ों की कटौती की जा रही है।अब काटे गए पेड़ों के बदले नए पौधे भी लगाए जायेंगे या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।
हरे भरे वृक्ष काटने का मामला
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग लखनऊ- प्रयागराज के मध्य ऊंचाहार क्षेत्र के चडरई चौराहे पर निर्माणाधीन टोल प्लाजा पर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर हरे पेड़ों को काटने की प्रक्रिया जारी है जिसमें शीशम,महुआ,नीम इत्यादि के पेड़ शामिल हैं।बता दें कि जहां पहले चारों ओर हरियाली थी लेकिन चौड़ीकरण के दौरान भारी संख्या में पेड़ काटे गए।हालांकि सड़क के चौड़ीकरण में बाधक बन रहे पेड़ों को ही काटा गया है लेकिन फिर भी नए वृक्षों को लगाना भी आवश्यक है।फिर भी बता दें चडरई चौराहा पर निर्माणाधीन टोल प्लाजा के नजदीक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर अब तक लगभग दो दर्जन से अधिक कट चुके हैं हरे पेड़।
जागरूकता के नाम पर खर्च होती है अधिक राशि
पर्यावरण प्रदूषण को लेकर जागरूकता लाने के नाम सरकार हर वर्ष करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाती है।वन विभाग की ओर से लाखों पेड लगाए जाते है।लेकिन देखभाल न होने से लगभग 90 प्रतिशत पेड सूख जाते हैं, जिसका असर हर वर्ष घटते वन क्षेत्र को देखकर लगाया जा सकता है।अगर सरकार पर्यावरण प्रदूषण को लेकर गंभीर है तो जहां भी विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे उसके स्थान पर ज्यादा पेड लगाने की आवश्यकता है।
दस गुना नए पौधे लगाए जाएंगे- वन अधिकारी
इस संबंध में पूछे जाने पर वन अधिकारी ने बताया कि काटे गए पेड़ों के एवज में दस गुणा अधिक नए पौधे लगाने का प्रावधान किया गया है।इसके लिए अभियान शुरू हो चुका है।इसके लिए नर्सरी में पौधा तैयार करने का काम किया जा रहा है।