Wednesday, November 27, 2024
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » हँसने हँसाने का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे : बाबू गप्पी कॉमेडियन

हँसने हँसाने का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे : बाबू गप्पी कॉमेडियन

स्टेज शो, ड्रामा, रामलीला, नौटंकी, देवी जागरण, कॉमेडी शो, हर कला में पारंगत है बाबू गप्पी

इटावा। भारत के कई राज्यों में दो हजार से अधिक मंचो पर व दर्जनो सीडी एलबम, लुक्का के साथ कई वीडियो एलबम में व 150 से अधिक देहाती टेलीफिल्म में अपने अभिनय से करोड़ों लोगों को हँसाने गुदगुदाने बाले कामेडी कलाकार बाबू गप्पी की तमन्ना है कि हँसने हँसाने का यह सिलसिला जीवन भर यूँ ही चलता रहे ।सैफई में अखिलेश यादव से मुलाकात करने आये भोला गुर्जर उर्फ बाबू गप्पी पत्रकारो से बातचीत करते हुए कहा कि हँसना हँसाना सबसे बड़ा योग है। हँसने हँसाने से शरीर निरोग रहता है इसलिए यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे। बाबू गप्पी सोशल साइट पर गाली गलौज जैसे वीडियो बनाकर यूटूब चैनल चलाने वाले पैसे के लालची लोगों से खफा दिखे। उन्होंने कहा कि कलाकारों को चाहिए कि लोक कला व संस्कृति व सामाजिक एकता को बढ़ावा दें कलाकार वीडियो एलबम टेलीफिल्म में फूहड़ना को स्थान न दें। लगभग 30 साल पहले आगरा जनपद के पिनाहट में जन्मे भोला गुर्जर ने कभी नही सोचा था कि आगे जाकर सोशल मीडिया यूट्यूब के माध्यम से उन्हें इतनी ऊँचाई मिलेंगी पिनाहट में फोटोग्राफी की दुकान किए भोला गुर्जर उस दौरान रामलीला, नौटंकी, फाग, गम्मत, आल्हा, कॉमेडी, नृत्य, ड्रामा, देवी जागरण के मंजे हुए कलाकार थे। भोला पर कलाकार का जुनून सवार था पैसे तो उस समय कोई देने वाला नही था बस शौक में कला दिखाते रहे। हर कला में अपनी भूमिका को ऐसे निभाते थे कि उनकी भूमिका श्रोता व दर्शकों के दिलो पर अमिट छाप छोड़ जाती थी। सीडी कैसेट के दौर में वीडियो एलबम व टेलीफिल्म में काम की शुरुआत कृष्णा कैसेट कंपनी के मालिक उमेश दीक्षित भदरौली ने कराई फोटोग्राफी की दुकान बंद करके उनके साथ हो लिए। बस काम करने का शौक था उस दौर में दुकान में लगभग 3 लाख का सामान था और रोज 1500-2000 की दुकानदारी थी लेकिन अभिनय के इश्क ने दुकान में ताला लगवा दिया और कृष्णा कैसेट में काम करने लगे। उस दौर में लुक्का जी के साथ भी कई वीडियो में काम किया।

कोरोना के लोकडाउन के दर्द का दंश हर कलाकार ने झेला है बाबू गप्पी भी दर्द को साझा करते हुए बताते है कि सैकड़ो की संख्या में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में कई जिलो में प्रोग्राम लगे थे लेकिन कोरोना की बजह से सब निरस्त हुए बहुत नुकशान हुआ। उन्होंने कहा सरकार को चाहिए कि कलाकारों के लिए भी कुछ इंतजाम करें उन्हें भी सुविधाएं मुहैया कराए। उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश के कलाकार है और बाहरी जिले में भी हम अपनी कला के माध्यम से उत्तर प्रदेश की खुशबू बिखेर रहे है। भोला गुर्जर से बाबू गप्पी कैसे बने इसके सवाल पर भोला गुर्जर बताते है कि भोजपुरा गांव में एक बाबू नामक व्यक्ति मजाक के लिए और बोलने के स्टाइल के लिए प्रसिद्ध था बस खुद को उसी के अंदाज में ढाल लिया और उसके मजाकिया अंदाज पर रिसर्च करके हमने अपने वीडियो बनाये सबसे पहले एक वीडियो बनाया तो रिस्पॉन्स मिला बाद में और वीडियो बनाये तो बाबू गप्पी नाम से प्रसिद्ध मिली। और फिर पीछे मुड़कर नही देखा आज देश भर में करोड़ो लोग हमारे वीडियो को देखते है और पसंद करते है। अपने जीवन के संस्मरण याद करते हुए बाबू गप्पी बताते है कि जब वह पानीपत में श्रवण लीला में दशरथ के चरित्र अभिनय का रोल कर रहा था तो बड़े भाई गिर्राज सिंह भी साथ थे अचानक उन्होंने कहा कि आगरा चलो हम प्रेम गुप्ता डायरेक्टर के निर्देशन में कुछ बड़ा काम शुरू करेंगे और उनके निर्देशन में भी लंबे समय काम किया। पिनाहट में नौटँकी सम्राट श्यामा के साथ डाकू सुल्ताना का कई बार अभिनय किया।बाबू गप्पी के साथ 150 से अधिक देहाती लोक कला व संस्कृति से ओतप्रोत टेलीफ़िल्म में काम कर चुके गिर्राज सिंह उर्फ लुल्ली भैया ने बताया कि उत्तर प्रदेश का संस्कृति विभाग को चाहिए कि हम कलाकारों को प्रोत्साहित करे। उन्होंने बताया कि वह उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान में अब तक 2 हजार से अधिक स्टेज शो कर चुके है 150 से अधिक देहाती टेलीफ़िल्म का निर्माण कर चुके है लेकिन सरकार द्वारा अब तक कोई मदद नही मिली। उन्होंने कहा कि अगर सरकार हम कलाकारों का सहयोग करे तो जनपद व प्रदेश का नाम पूरे भारत वर्ष में करेंगे।भोला गुर्जर व गिर्राज सिंह ने शासन से मांग की कि वह प्रदेश से विलुप्त हो रही लोक कला व संस्कृति को बढ़ाबा देने बाले कलाकारों को प्रोत्साहित करें उनके लिए इंतजाम करें ताकि वह अपनी कला को और बेहतर बना सकें।