Friday, November 29, 2024
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तुष्टिकरण करनेवाले आतंकवादियों के साथ खडे हो गये हैंः मोदी

नयी दिल्ली: कविता पंत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले अपने स्वार्थ की खातिर अब मानवता के दुश्मनों तथा आतंकवादियों के साथ खड़े हो गए हैं और देश की एकता को खतरे में डाल रहे हैं जिनसे हर हाल में सावधान रहना होगा।
कांग्रेस नेता श्रीमती सोनिया गांधी के इज़रायल हमास संघर्ष के बारे में लेख के दो दिन बाद मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि देश की एकता के रास्ते में, हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है तुष्टीकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टीकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता और उसकी विकरालता कभी दिखाई नहीं देता।
सोनिया गांधी ने लेख में लिखा है कि डेढ़ दशक से अधिक समय से इजरायल की निरंतर नाकेबंदी ने गाजा को 20 लाख निवासियों के लिए श्खुली हवा वाली जेलश् में बदल दिया है। कांग्रेस, हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उस प्रस्ताव पर मतदान के दौरान भारत की अनुपस्थिति का कड़ा विरोध करती हैजिसमें गाजा में इजरायली बलों और हमास के बीच तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष विराम के लिए शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया गया था।
उल्लेगखनीय है कि इस प्रस्तालव में हमास का जिक्र नहीं किये जाने के कारण भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने पलटवार करते हुये कहा कि तुष्टीकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है। वे आतंकवादी गतिविधियों की जांच में कोताही करते हैं। वे देशविरोधी तत्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टीकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वे आतंकवादियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाते है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी सोच से किसी समाज का भला नहीं हो सकता। इससे कभी देश का भी भला नहीं हो सकता। एकता को खतरे में डालने वाली ऐसी सोच से हर-पलहर समयदेश के हर कोने मेंहर देशवासी को सावधान रहना है।
मोदी गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के निकट केवड़िया मेंदेश प्रथम गृह मंत्री और लौह पुरूषसरदार वल्लिभभाई पटेल की जयंती पर सरदार पटेल की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर पुष्पांजलि अर्पित करके श्रद्धांजलि दी।

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यू.जी.सी. अध्यक्ष द्वारा मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र का उद्घाटन

नई दिल्ली। देश के उच्च शिक्षा के सभी विषयों के शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप प्रशिक्षित करने के लिए 111 मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्रों में से एक श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय), के केन्द्र का उद्घाटन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार के द्वारा किया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. जगदीश ने अपने उद्बोधन में कहा कि इन प्रशिक्षण केन्द्रों से प्रशिक्षित अध्यापक शिक्षा से सम्बद्ध चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम तथा छात्रों में अन्तर्निहित क्षमताओं का विकास कर सकने में समर्थ होंगे। छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु एन.ई.पी. 2020 में अनेक अवसर यथा स्वतन्त्रता, नमनीयता एवं विकल्प आदि के रूप में प्रदान किये गये हैं जिनसे परिवार, समाज एवं राष्ट्र का विकास सुनिश्चित होगा। तत्पश्चात् उन्होंने शिक्षकों की चार भूमिकाएं यथा- मुक्त विचारों वाला, उत्तम अधिगमकर्त्ता, आलोचनात्मक चिन्तन को बढ़ावा देने वाला तथा बहु-कक्षागत क्रियाओं में छात्रों को संलग्न करने पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर केन्द्र की निदेशक प्रो. अमिता पाण्डेय भारद्वाज ने केन्द्र की पृष्ठभूमि एवं उसमें निर्धारित कार्यक्रमों का संक्षिप्त परिचय दिया।

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सुहागिनों का सबसे बड़ा त्यौहार है करवा चौथ

करवा चौथ पर्व का हमारे देश में विशेष महत्व है क्योंकि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। भारतीय समाज में वैसे तो महिलाएं विभिन्न अवसरों पर अनेक व्रत रखती हैं लेकिन पति को परमेश्वर मानने वाली नारी के लिए इन सभी व्रतों में सबसे अहम स्थान रखता है ‘करवा चौथ’ व्रत, जो इस वर्ष 1 नवम्बर को मनाया जा रहा है। पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य तथा सौभाग्य के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में उसकी सफलता की कामना से सुहागिन महिलाओं द्वारा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, जो सुहागिनों का सबसे बड़ा व्रत एवं त्यौहार है। महिलाएं अन्न-जल ग्रहण किए बिना अपार श्रद्धा के साथ यह व्रत रखती हैं तथा रात्रि को चन्द्रमा के दर्शन करके अर्ध्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। यही वजह है कि अखण्ड सुहाग का प्रतीक यह व्रत अन्य सभी व्रतों के मुकाबले काफी कठिन माना जाता है।
कहा जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है और सुहागिनें यह व्रत 12-16 वर्ष तक हर साल निरन्तर करती हैं, उसके बाद वे चाहें तो इसका उद्यापन कर सकती हैं अन्यथा आजीवन भी यह व्रत कर सकती हैं। आजकल तो कुछ पुरूष भी पूरे दिन का उपवास रखकर पत्नी के इस कठिन तप में उनके सहभागी बनते हैं। दिनभर उपवास करने के बाद शाम को सुहागिनें करवा की कथा सुनती व कहती हैं तथा चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य देकर अपने सुहाग की दीर्घायु की कामना कर प्रण करती हैं कि वे जीवन पर्यन्त अपने पति के प्रति तन, मन, वचन एवं कर्म से समर्पित रहेंगी।

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सजना है मुझे सजना के लिए …

भारत में सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्यौहार है ‘करवा चौथ’, जो दाम्पत्य जीवन में एक-दूसरे के प्रति समर्पण का अनूठा पर्व माना जाता है। इस विशेष त्यौहार का सुहागिन महिलाएं सालभर इंतजार करती हैं। हालांकि यह व्रत अन्य सभी व्रतों से कठिन माना जाता है, फिर भी देशभर में हर जाति, हर सम्प्रदाय की महिलाएं अपने पति की दीर्घायु तथा अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए खुशी-खुशी यह व्रत रखती हैं और रात को चांद देखकर पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलती हैं। हालांकि समय के साथ इस व्रत को मनाए जाने की परम्पराओं में थोड़ा बदलाव आया है और अब बहुत सी अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की प्राप्ति की कामना से यह व्रत करने लगी हैं।
करवा चौथ के शुभ दिन महिलाओं के चेहरे पर एक अलग ही तेज नजर आता है। इस पर्व का नाम सुनते ही मन में सोलह श्रृंगार किए खूबसूरत नारी की छवि उभर आती है। दरअसल मेंहदी लगे हाथों में रंग-बिरंगी खनकती चूड़ियां, माथे पर आकर्षक बिंदिया, मांग में सिंदूर, सुंदर परिधान और तरह-तरह के आकर्षक गहने पहने अर्थात् सोलह श्रृंगार किए सुहागिन महिलाएं इस दिन नववधू से कम नहीं लगती। दुल्हन के लाल जोड़े की भांति इस दिन भी लाल रंग के परिधान पहनने का चलन बहुत ज्यादा है। वास्तव में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के सजने-संवरने का एक विशेष अवसर है।

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एकीकृत भारत के निर्माता थे सरदार पटेल

31 अक्तूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले के नाडियाड में एक किसान परिवार में जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल को एकता की मिसाल कहा जाता है क्योंकि देश की एकता को सर्वोपरि मानते हुए उन्होंने देश को एकजुट करने में सदैव महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। जिस समय देश आजाद हुआ, तब यह कई छोटी-छोटी रियासतों में बंटा था, जिन्हें एकजुट करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था। आजाद भारत को एकजुट करने का श्रेय पटेल की राजनीतिक और कूटनीतिक क्षमता को ही दिया जाता है। भारत के राजनीतिक एकीकरण के लिए सरदार पटेल के इसी अविस्मरणीय योगदान को चिरस्थायी बनाए रखने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 31 अक्तूबर 2014 से उनकी जन्मतिथि 31 अक्तूबर को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई। तभी से सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
देश की आजादी के उपरांत 500 से भी ज्यादा देशी रियासतों का एकीकरण किया जाना सबसे बड़ी समस्या थी। दरअसल अंग्रेज भारत से जाते-जाते कुटिल चाल चलते हुए करीब 550 देशी रियासतों को खुद ही अपने भविष्य के निर्णय का अधिकार दे गए थे। उसके पीछे उनका उद्देश्य था कि इतनी बड़ी संख्या में रियासतों के स्वायत्त रहते भारत के लिए स्वयं को एकजुट रख पाना बेहद मुश्किल होगा। सरदार पटेल ने अपने ‘लौहपुरूष’ व्यक्तित्व का परिचय देते हुए इस गंभीर चुनौती को न केवल स्वीकार किया बल्कि बहुत ही कम समय में बड़ी कुशलता से इतनी सारी रियासतों के एकीकरण का कार्य सम्पन्न कराने में सफल भी हुए। उन्होंने आजादी के ठीक पहले पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देशी रियासतों को भारत में मिलाने का कार्य आरंभ कर दिया था। उस समय देशभर में सैंकड़ों ऐसी देशी रियासतें थी, जो स्वयं में सम्प्रभुत्ता प्राप्त थी, जिनका अपना अलग झंडा और अलग शासक था। दोनों ने देशी रियासतों के शासकों को समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना संभव नहीं होगा। इसका असर यह हुआ कि केवल तीन रियासतों को छोड़कर बाकी सभी रियासतों-राजवाडों ने अपनी मर्जी से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

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जिलाधिकारी ने निर्माणाधीन आरओबी की प्रगति एवं यूटिलिटी सुविधाओं के स्थानांतरण की प्रगति के संबंध में किया निरीक्षण

JAN SAAMNA DESK: कानपुर नगर। जिलाधिकारी विशाख जी0 द्वारा आज जयपुरिया स्कूल के पास अवस्थित रेलवे क्रासिंग में निर्माणाधीन आरओबी की प्रगति एवं यूटिलिटी सुविधाओं के स्थानांतरण की प्रगति के संबंध में निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान महाप्रबंधक, सेतु निगम एवं अधिशासी अभियंता केस्को द्वारा कार्य की प्रगति एवं निर्माण कार्य में आ रही बाधाओं के संबंध में अवगत कराया गया।
निरीक्षण के दौरान सेतु निगम के अधिकारियों एवं केस्को के संबंधित अधिकारियो को निम्न निर्देश दिए गए-
रेलवे क्रासिंग में निर्माणाधीन आर ओ बी के निर्माण कार्य के कारण वर्तमान कैरिज वे क्षतिग्रस्त होने के कारण महाप्रबंधक, सेतु निगम को निर्देशित किया गया कि कैरिज वे को तत्काल मोटरेबुल कराया जाए, ताकि उक्त मार्ग से आवागमन में जनमानस को असुविधा न हो।
रेलवे की ओर से आ रही बाधाओं के समाधान हेतु महाप्रबंधक, सेतु निगम एवं अधिशासी अभियंता, केस्को को निर्देशित किया गया कि जयपुरिया क्रासिंग के आर ओ बी के निर्माण कार्य एवं केस्को की यूटिलिटी शिफ्टिंग में आ रही बाधा को तत्काल दूर करने हेतु रेलवे के संबंधित अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।

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सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुआ आयुष्मान मेला का शुभारम्भ

सासनी, हाथरस। सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयुष्मान मेला लगाने की पहल बहुत ही सराहनीय है निश्चित रूप से आयुष्मान मेला लगने से दूर दराज से लाए लोगो को स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का लाभ मिलेगा । डॉ दलवीर सिंह ने बताया कि आयुष्मान मेले में जिला अस्पताल से स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को आयुष्मान मेला में सीएचसी पर भेजा जाता है।
यह विचार प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आयुष्मान भव के अंतर्गत समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आयुष्मान मेला का उद्घाटन करते वक्त मुख्यातिथि के रूप मे मौजूद ब्लॉक प्रमुख श्रीमती प्रतिभा कमल माहौर ने प्रकट किए। मुख्यातिथि ने फीता काटकर मेले का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा रविवार को आयुष्मान मेला लगाने की पहल बहुत ही सराहनीय है। निश्चित रूप से रविवार को आयुष्मान मेला लगाने से दूर दराज से आने वाले लोगो को स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का लाभ मिलेगा । द्वारा डा. दलवीर सिंह ने कहा कि आयुष्मान मेले में जिला अस्पताल से स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को आयुष्मान मेला में सीएचसी पर भेजा जाता है। जिससे ज्यादा से ज्यादा पब्लिक को स्पेशलिस्ट डॉक्टरो का लाभ ले सके । मेले के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देना है । ज्यादा से ज्यादा लोग आयुष्मान मेला का लाभ उठाएं इसके लिए पहले से क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार भी कराया गया है। मेले में आयुष्मान कार्ड भी बनाए जा रहे हैं।

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जस्टिस फॉर चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल के बच्चों की माताओ को साड़ी पाकर चेहरों पर तैर गई मुस्कान

मथुरा: श्याम बिहारी भार्गव। जस्टिस फॉर चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की माताओं को भागवताचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री द्वारा 151 साड़ी वितरित कीं। करवा चौथ पर्व से पूर्व साड़ी पाकर महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान आ गई। जस्टिस फॉर चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल निःशुल्क शिक्षा केंद्र पन्ना पोखर पर करवा चौथ त्योहार से पूर्व भागवताचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री के सौजन्य से गरीब एवम जरूरतमंदों 151 महिलाओ को साड़ी प्रदान की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला पंचायत राज अधिकारी किरण चौधरी ने कहाकि कई वर्षांे से जस्टिस फॉर चिल्ड्रन स्ट्रीट स्कूल संस्था निःशुल्क शिक्षा केन्द्रों के माध्यम से सैकडांे बच्चांे को शिक्षा संस्कार देने के साथ ही एवं समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयासों की सफलता पूर्वक पूरा कर रह रही है। उन्होंने जस्टिस फॉर चिल्ड्रन एंड वूमेन सोसायटी संस्था के संचालक सतीश चंद्र शर्मा एवं करवा चौथ त्योहार से पूर्व गरीब परिवारों की महिलाओं को साड़ी प्रदान करने के लिए भागवताचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री, देसु पंडित की मुक्त कंठ से प्रसंशा की। भागवताचार्य श्री कृष्ण गौड़ शास्त्री ने कहा कि नर सेवा नारायण सेवा मानते हुए सक्षम लोगों को जरूरतमद लोग की सदेव मदद कर मानव धर्म निभाना चाहिए। कार्यक्रम के शुभारंभ में सभी अतिथियों का पटुका पहना कर स्वागत किया गया।

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नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल लागू होने से महिलाओं के खुलेंगे विकास के रास्तेः मेयर

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। भाजपा महिला मोर्चा द्वारा नारी शक्ति वंदन सम्मेलन का आयोजन पॉलीवाल हॉल में किया गया। जिसमें महिला शक्ति ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया। साथ ही महिलाओं को सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष महिला मोर्चा बबीता चौहान ने कहा कि भारत वर्ष में नारी जाति का सम्मान सदैव सर्वाेपरि रहा है। यह बिल भारतीय जनता पार्टी के लिए कोई वोट बैंक का आधार नहीं है। यह देश के सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक है। जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर नारी शक्ति वंदन बिल लोकसभा और राज्य सभा में पारित करवाने का ऐतिहासिक कार्य किया। महापौर कामिनी राठौर ने कहा कि नारी सम्मान तो हमारी आस्था में है और हमारी सांस्कृतिक की धरोहर है। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हृदय से धन्यवाद् देना चाहती हूँ कि उन्होंने 140 करोड़ की आबादी में 50 प्रतिशत हिस्से वाली मातृशक्ति को सच्चे अर्थों में सम्मानित करने का काम किया है। अब देश की महिलाएं न केवल नीतियों में भागीदार बनेंगी, बल्कि नीतियों के निर्धारण में भी अपना योगदान देंगी। नारी शक्ति वंदन अधिनियम से महिलाओं के विकास के नए रास्ते खुलेंगे।

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होनीरीज कोजा डाक्ट्रेट की उपाधि से सम्मानित हुए मुकेश बंसल टोनी

फिरोजाबादः जन सामना संवाददाता। शहर के प्रमुख उद्योगपति मुकेश बंसल टोनी को गुडगांव के रेडिसन होटल में होनीरीज कोजा डाक्ट्रेट की उपाधि से नवाजा गया है। उनको यह उपाधि दी थैम्स इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्रांस द्वारा शिक्षा, धार्मिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य के प्रति लगन एवं कार्याे के लिए दी गई है।
गुडगांव के रेडिसन होटल में मुकेश बंसल टोनी को होनोरीज कोजा डाक्ट्रेट की उपाधि डॉ रिपुरंजन वाइस चांसलर कोमन वेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी, डॉ मानव अहूजा सीईओ टीपीईजी इंटरनेशन दुबई, डॉ सुधीर गोर सीईओ बीएसईआरवी एकेडमी के द्वारा प्रदान की गई। मुकेश बंसल टोनी ग्रेटर नोएडा की सोशल वेलफेयर सोसायटी, जो कि एक्सपोर्ट प्रमोशन काउन्सिल ऑफ हैंडीक्राफ्ट द्वारा संचालित है। उसके पदाधिकारी भी है। इनको यह उपाधि शिक्षा, धार्मिक, पर्यावरण, स्वास्थ्य के प्रति लगन एवं कार्याे के लिए प्रदान की गई है।

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