Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

क्या सयाना कौआ……… जा बैठा?

हमे चीन को पहचानने के लिए ज्यादा कोशिश नहीं करनी पड़ती। हम १९६२ से जानते है उस देश की नीतियों को, लोमड़ी सा चंट और चालबाज। हिंदी चीनी भाई भाई बोलते बोलते अपनी चालाकी से अक्साई चीन हथिया लिया। और उसके बाद भी बार बार हमलों की तैयारी बता कर हमारी जमीनों पर अतिक्रमण करता रहा। अभी हर हाल में उसे अतिक्रमण करके अपनी विस्तारवादी नीतियों को आगे बढ़ाना हैं।

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तुलसी गौड़ा : इनसाइक्लोपीडिया ऑफ फॉरेस्ट – वीरेंद्र बहादुर सिंह

किसी को भी सम्मान, इनाम और अवार्ड मिलता है तो ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि गलत व्यक्ति को अवार्ड दिया गया है। खास कर जब सरकार की ओर से मान, सम्मान या अवार्ड दिया जाता है, तब हमेशा इस तरह की बातें होती हैं। देश में सर्वोच्च अवार्ड दिए जाने का इतिहास हमेशा विवादास्पद रहा है। ऐसे में 9 नवंबर सोमवार को राष्ट्रपति के हाथों पद्म, पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण अवार्ड दिए गए। उनमें से कुछ ऐसे व्यक्ति भी अवार्ड लेने वाले थे, जिन्हें देख कर चौंके बिना नहीं रहा गया।

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सुख और कल्याण की प्रतीक तुलसी

भारतीय परंपरा में घर-आंगन में तुलसी होना बेहद जरूरी है। तुलसी की पूजा-अर्चना की जाती है तथा इसे सुख एवं कल्याण की प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
तुलसी के गुणों का वर्णन करते-करते कवि ने एक ही वाक्य में प्रार्थना पूरी कर दी-
अमृतोऽमृतरुपासि अमृतत्वदायिनी। त्व मामुद्धर संसारात् क्षीरसागर कन्यके।।
विष्णु प्रिये ! तुम अमृत स्वरुप हो, अमरत्व प्रदान करती हो, मेरा उद्धार करो। तुलसी के गुणों को उसके नामों से ही तो जाना जाता है।

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फास्ट फूड स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं

उस दिन वर्मा जी बड़े खुश-खुश मेरे कक्ष में पधारे। जब तक उनके रिकॉर्डों की फाइल मेरे समझ आती, मैंने यूं ही उनसे पूछ ही डाला- ‘क्या बात है, आज बहुत खुश नजर आ रहे हो ! क्या लड़का-बहू अमेरिका से आ गए?’ वर्मा जी, मानो इस प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहे हो, तत्काल बोले- ‘लड़के बहू की बात छोड़िए, अच्छा समाचार यह है कि मेरे पड़ोस में एक फास्टफूड की दुकान खुल गई है।’
आगे मैं फिर पूर्ववत् निश्चल और अनंत विचाराकाश में स्वच्छंद विचरण करने लगा। कैसे बताऊं इस निरीह प्राणी को कि वह स्वयं आग के दरिया में छलांग लगा रहा है। फास्टफूड स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक होते हैं इस तथ्य को वर्माजी के संज्ञान में कैसे लाऊं?

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वीरांगना लक्ष्मीबाई

19 नवंबर को वीरांगना लक्ष्मीबाई का जन्मदिन आता है जिसने पूरे विश्व में विश्व की मातृशक्ति का डंका बजा दिया था। भारत के ज्ञात ढाई हजार वर्षों के इतिहास में शायद ऐसी कोई नारी शक्ति नहीं जन्मी जिसने इस कौशल से व्यूह रचना की है और इतनी अतुल वीरता के साथ आत्म विसर्जन किया हो। लक्ष्मीबाई के पिता आश्रय में पाले दीन ब्राम्हण थे और मां इतने पूर्व मर गई की बालिका लक्ष्मी को कोई स्मृति भी न रही होगी। कुल 23 वर्ष का जीवन जी कर वह सारी धरती को चमका कर शून्य में विलीन हो गई। परंतु भारत ही नहीं पूरे संसार के इतिहास में वह शौर्य एवं आहुति का पुंज बनकर चमक गई।

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पृथ्वी का भविष्य

हमारे पुराणों और ग्रंथों में पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर जो भी प्रलय हुए हैं उसके बारे में विस्तार से लिखा हुआ हैं। और सभी प्रलय के समय भगवान विष्णु ने आकर कुछ लोगों को बचाया और फिर पृथ्वी पर जन जीवन चलायमान हुआ। ऐसे प्रलयों के बाद भी उत्क्रांतिया हुई लोग नए नए अविष्कार करते गए और जीवन में सहूलियतों के साथ प्रगति भी होती गई। एक समय में आदमी को जीवनयापन के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी लेकिन अब मशीनें आने से शारीरिक श्रम कम हो गया हैं लेकिन मानसिक व्यथाएं बढ़ती जा रही हैं।

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चीन की नई शरारत है भूमि सीमा कानून

चीन की संसद ने पिछले माह 23 अक्टूबर को एक नए लैंड बॉर्डर्स लॉ को मंजूरी प्रदान कर दी है। यह कानून आने वाले नए साल की पहली तारीख से लागू हो जाएगा। लैंड बॉर्डर्स लॉ यह कहता है कि वह अपनी सीमा का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं करेगा। दरअसल चीन 1949 से ही यह कहता आया है कि भारत और चीन के बीच सीमा की पहचान कभी की ही नहीं गई। इस पर भारत का कहना यही रहा है कि कुछ इलाकों के लिए भले ही यह बात सही हो लेकिन परी सीमा के लिए ऐसा नहीं है। दोनों देशों के बीच हमेषा एक ऐतिहासिक आधार की पारंपरिक सीमा रही है। चीन की नेशनल कांग्रेस की स्थायी समिति के द्वारा दी गई इस कानून की मंजूरी के बाद भारत से उसका विवाद बढ़ सकता है। इस कानून की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक एवं सामाजिक विकास को मदद देने, सीमावर्ती क्षेत्रों को खोलने, ऐसे क्षेत्रों में जनसेवा और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, उसे बढ़ावा देने और वहां के लोगों के जीवन एवं कार्य में मदद देने का कार्य करेगा।

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अग्नि-5 मिसाइल से भयभीत हुआ चीन

सम्प्रति देश की सामरिक तैयारियां तेजी से मजबूती की ओर बढ़ रही हैं। 28 अक्टूबर को भारत ने अपनी मिसाइल मारक क्षमता में इजाफा करते हुए सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलता पूर्वक परीक्षण किया। इस बार का परीक्षण रात में किया गया जिससे रात्रिकालीन मारक क्षमता को परखा जा सके। अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ओडिशा में एपीजे अब्दंुल कलाम द्वीप से रात्रि में 8 बजे से कुछ समय पहले यह परीक्षण किया गया जो कि सफल रहा। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण उस प्रामाणिक न्यूनतम प्रतिरोध वाली नीति के अनुरुप है जिसमें पहले उपयोग नहीं करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया है। इसकी मारक क्षमता में अन्दर चीन का सुदूर उत्तरी हिस्सा आता है। इस मिसाइल का परीक्षण ऐसे समय पर किया गया है जब भारत का पूर्वी लद्दाख, उत्तराखंड एवं अरुणाचल में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर गतिरोध चल रहा है। इसीलिए चीन चिन्तित हो गया है।

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पुरुष की सुलझी दृष्टि

राधा पढ़ाई में होनहार होने और बाहर रहने की वजह से रसोई घर से थोड़ी दूर रही। जब विवाह तय होने वाला था तो वह मन ही मन अपने आने वाले गृहस्थ जीवन एवं अपने जीवन साथी के दृष्टिकोण को लेकर चिंतित थी। पर जब उसके विवाह के लिए बातचीत हुई और वह मोहन से मिली तो पूरी सच्चाई से उसने मोहन को अपने बारे में बताया। मोहन बहुत ही सुलझी हुई सोच वाला व्यक्ति था। उसने उसकी हर बात को ध्यान से सुना और अपने विचार व्यक्त किए। जब राधा ने कहा की वह रसोईघर के कार्यों में निपुण नहीं है तब मोहन ने सहर्ष ही कहा की तुम वक्त के साथ सब कुछ सीख जाओगी और तुम मुझे प्रेम पूर्वक अपने हाथों से जो भी खिलाओगी वह मेरे लिए स्वादिष्ट ही होगा। तुम्हें मेरी ओर से कोई मीन-मेख वाला व्यवहार नहीं मिलेगा। राधा मोहन की बात सुनकर आश्वस्त हुई।

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टीका-टिप्पणी का कीड़ा

कुछ समय पहले ही पार्वती और सरस्वती की दोस्ती हुई। दोनों के पतियों की नौकरी स्थानांतरण वाली थी और उनमें काफी कुछ समानता थी। दोनों का एक साथ खाना-पीना, उठना-बैठना, घनिष्ठ मित्रवत व्यवहार सबकुछ बहुत अच्छा था। पार्वती के दो बच्चे थे जो पूर्णतः स्वस्थ थे। एक कृष्ण स्वरूप और एक लक्ष्मी स्वरूप। सरस्वती की एक लड़की थी जो दिव्यांगता का शिकार थी, पर ईश्वर की कृपा से दूसरी लड़की पूर्णतः स्वस्थ हुई। मित्रता का इतना अच्छा दिखावा था की सभी को लगता की इतनी अच्छी मित्रता विरले ही लोगों में होती है। उनकी एक और मित्र थी कल्याणी, पर कल्याणी की घनिष्ठता पार्वती और सरस्वती से अत्यधिक नहीं थी। बस केवल हल्की-फुल्की बातचीत थी। पर कल्याणी मन-ही-मन सोचती थी की ये कितने अच्छे मित्र है। एक साथ घूमने जाते है, घंटों-घंटो बैठकर अपने मनोभाव एक दूसरे को बताते है, खाने-पीने के व्यंजनों के साथ खूब खुशियों भरा जीवन जीते है।

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