टोक्यो पैरालम्पिक में भारतीय खिलाडि़यों ने कमाल का प्रदर्शन किया और सबसे बड़ा कारनामा कर दिखाया भारत की पैरा शूटर अवनि लखेरा ने, जो 5 सितम्बर को पैरालम्पिक के समापन समारोह में भारतीय ध्वजवाहक बनी। दरअसल अवनि ने इस पैरालम्पिक में दो-दो पदक जीतकर ऐसा इतिहास रच डाला, जो अब तक ओलम्पिक या पैरालम्पिक के इतिहास में भारत की कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर सकी है। भारतीय निशानेबाज अवनि लखेरा ने टोक्यो पैरालम्पिक में 30 अगस्त को हुई निशानेबाजी स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था, जो पैरालम्पिक्स के इतिहास में भारत का शूटिंग में पहला स्वर्ण पदक था।
लेख/विचार
सरकार के इस विशेष अभियान से रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा फायदा
ज़मीनीं स्तर से जुड़े छोटे दुकानदारों, अशिक्षित रेहड़ी पटरी वालों की डिजिटल भुगतान की भ्रांतियां, भ्रम दूर कर प्रोत्साहन पैकेज देकर उत्साहित करना जरूरी – एड किशन भावनानी
भारत में एक ज़माना ऐसा था कि कई ग्रामीण, शहरी क्षेत्रों के अनेक अशिक्षित नागरिकों को पैसे चिल्लर हो या नोट गिनना तक नहीं ज़मता था जो किसी न किसी अपनी सुविधा की ट्रिक से उस पैसों की गिनती को समझने की कोशिश करते थे ऐसा हमारे बड़े बुजुर्ग लोग बताते थे। हालांकि ऐसी स्थिति कुछ हद तक आज़ भी अति दुर्गम इलाकों में हो सकती है ऐसा मेरा मानना है।…साथियों बदलते परिवेश में आज हम डिजिटलाइजेशन की चकाचौंध दुनिया में पहुंच गए हैं।
भारतीय अध्यक्षता में 13 वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021
ब्रिक्स में दूसरी बार भारतीय अध्यक्षता से प्रभावकारी आगाज़ – काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान से अफ़ग़ान मुद्दे पर विस्तारवादी देश पर दबाव पड़ेगा – एड किशन भावनानी
भारतीय पीएम की अध्यक्षता में गुरुवार दिनांक 9 सितंबर 2020 को 13 वां वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021 संपन्न हुआ, जिसमें भारत, रूस चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जो दुनिया के 5 सबसे बड़े विकासशील देश हैं के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए और शिखर सम्मेलन के हाईलाइटस हमने टीवी चैनलों के माध्यम से देखें जिसको पांचों देशों के नेताओं ने संबोधन किया जो आम जनता ने भी सुने और अगले साल 2022 में ब्रिक्स के अध्यक्ष के रूप में विसतारवादी देश कार्यभार संभालेगा और 2022 में ब्लॉक के 14 वें शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा…
स्वयं के मान के मर्दन का नाम है मार्दव धर्म
मृदुता का भाव मार्दव है, सरलता है। सरल स्वभावी मार्दव स्वभावी व्यक्ति सुगति को प्राप्त होते हैं। मानी- घमण्डी लोगों के इस लोक व्यवहार में भी बहुत दुश्मन बन जाते हैं। उन्हें कोई पसंद नहीं करता। सरल-सज्जन व्यक्ति को सब लोग अच्छी निगाह से देखते हैं, उनके कार्य भी सुगमता से संपन्न होते जाते हैं।
मान कषाय के अभाव में मार्दव धर्म प्रकट होता है। जैनाचार्य समन्तभद्र स्वामी ने मान कषाय के आठ कारण गिनवाये हैं, जिनपर व्यक्ति मान-अभिमान-घमंड करता है। वे हैं-
ज्ञानं पूजां कुलं जातिं बलमृद्धिं तपो वपुः।
अष्टावाश्रित्य मानित्वं स्मयमाहुर्गतस्मयाः।।
आठ प्रकार का मद होता है- ज्ञान का मद, पूजा का मद, कुल व जाति का मद, बल का मद, ऋद्धि का मद, तप का मद, और शरीर का मद।
करोड़ों पूजा, जप, स्तुतियों से महान् है क्षमा
जैन परम्परा में दशलाक्षणिक धर्म पर्यूषण पर्व सबसे महत्वपूर्ण है। इन दिनों में समाज के आबालवृद्ध स्वशक्ति अनुसार धर्माराधना, व्रत, उपवासादि करते हैं। त्योहार थोड़े मौज-मस्ती के होते हैं, पर्व गन्ने की पोर-गांठ के समान नीरस होते हैं, उस गांठ को भी पर्व ही कहते हैं। यदि कृषक को गन्ना चयन को दिया जाता है तो वह अधिक और परिपक्व पर्व-गांठ वाले गन्ने का चयन करता है, क्योंकि उसी पर्व-गांठ में ही अत्यधिक गन्ने उत्पन्न करने की श्क्ति होती है। उसी तरह हमारी संसकृति में जो वर्च आते है वे सादगी, त्याग, व्रत, उपवास, स्नेह, समर्पण, भाईचारा आदि को अन्तर्निहित किये हुए होत हैं। पर्वों में स्वयं की वाह्य शुद्धि और आत्मिक शुद्धि करके पवित्र होता है। उन्हीं पर्वों में महत्वपूर्ण है दशलाक्षणिक पर्यूषण पर्व।
जूतों की खोज
आज हम जूते पहनते हैं पैरों की सुरक्षा के साथ साथ अच्छे दिखने और फैशन के चलन में हो वैसे रंग बी रंगी। सब के लिए अलग अलग डिजाइन और फैशन के जूते और अब तो आयती भी मिलने लगे हैं, जो एक स्टेटस का प्रतीक भी बन गएं हैं। किंतु उसकी उत्पति की कहानी बहुत कुछ सीखा जाती हैं।
एक राजा था, बहुत अच्छा, अपनी प्रजा के लिए बहुत काम करता था,बहुत ही प्रजा वत्सल और नेक।वह एक ही बात से व्यथित रहता था कि जब वह बाहर जाता था तो उसके पांव में मिट्टी लग जाती थी, वह मिट्टी रथ के अंदर भी लग जाती थी और रथ के साथ साथ वह उसके भवन और भवन से शयन कक्ष तक पहुंच जाती थी,
चिंता: अनजान बुखार का मासूमों पर जानलेवा प्रहार!
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तर प्रदेश में विकराल रूप धारण करता रहस्यमयी बुखार नई चुनौती बनकर उभर रहा है। कुछ डॉक्टर इस रहस्यमयी बुखार को ‘इंफ्लुएंजा’ वायरस मान रहे हैं तो कुछ डेंगू और कुछ अन्य डॉक्टर इसे इंफ्लुएंजा वायरस के स्वरूप में बदलाव की आशंका के तौर पर भी देख रहे हैं लेकिन अभी तक किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने में विफल रहे हैं। दरअसल इस रहस्यमयी बुखार में मरीजों में कई बीमारियों के लक्षण एक साथ नजर आ रहे हैं और बुखार के कारण सबसे ज्यादा मौतें बच्चों की हो रही हैं।
अभिनेता सुशांत सिंह फिर सिद्धार्थ शुक्ला..! कहीं यह साज़िश तो नहीं ?
फिल्म अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला अब हमारे बीच नही हैं ।ऐसा लिखने और कह सकने के लिए दिल अब भी गवाही नही दे रहा, पर लिखना तो पड़ेगा ही मानना तो पड़ेगा ही..!
व्यस्तता के बीच जैसे ही मैने मोबाइल ऑन किया एक प्रतिभाशाली सुंदर, सुडौल, उम्मीदों से भरे एक दमकते- चमकते सितारे के असमय चले जाने की खबरों से मन दहल गया। आंखे सजल हो उठीं। मन मे न जाने कितनी तरह की बातें उमड़-घुमड़ कर चल रही हैं। गत वर्ष सुशांत सिंह राजपूत के असमय काल के गाल में समाहित हो जाने की खबरों ने हम सबको झकझोर के रख दिया और अब सिद्धार्थ के इस तरह से काल कंलवित हो जाना बेहद निराशा जनक है।
अफगानिस्तान: भारत की अध्यक्षता में पास हुआ प्रस्ताव 13 देशों का समर्थन 2 अनुपस्थित
अफ़ग़ानिस्तान तालिबान संकट मामले में भारत की अध्यक्षता में यूएनएससी का अभूतपूर्व प्रस्ताव पारित – एड किशन भावनानी
अफ़ग़ानिस्तान तालिबान के कब्जे और 31 अगस्त 2021 को अमेरिकन सेना द्वारा काबुल एयरपोर्ट परिछेत्र छोड़ने की डेडलाइन, काबुल एयरपोर्ट पर 26 अगस्त 2021 को जबरदस्त धमाकों में 169 लोगों और 13 अमेरिकन सैनिकों की शहादत सहित अनेक वर्तमान परिस्थितिकी तंत्र जनक स्थितियों में भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अध्यक्षता रूपी उपस्थिति एक जवाबदारी और महत्वपूर्ण रोल अदा करने का जज़बा भारत के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति से कम नहीं था, परंतु भारत ने अपने सुकौशलता पूर्ण और सफलतापूर्ण संचालन कार्यवाही में यूएनएससी में सोमवार – मंगलवार 31 अगस्त 2021 की बैठक में अफ़ग़ानस्तान संकट मामले के संबंध में लाया गया प्रस्ताव क्रमांक 2593 पर कार्रवाई की अध्यक्षता कर प्रस्ताव को 13/0 मतों से पारित किया गया।
है ये कैसा सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र है ये कैसा सफ़र कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं, है ये कैसी ड़गर चलते है सब मगर कोई समझा नहीं कोई जाना नहीं” इस गाने के बोल को समझे तो बहुत कुछ समझाता है हम इंसानों को।
सफ़र सिर्फ़ ट्रेन या बस में एक जगह से दूसरी जगह जाने का नाम नहीं। जन्म से लेकर मृत्यु तक उम्र काटकर पहुँचना भी एक सफ़र है। स्वाच्छोश्वास का आवागमन मुसाफ़िर जैसा ही है एक श्वास आती है, एक विदा लेती है। इस अविरत बहती क्रिया के सफ़र में देखने लायक और अनुभव करने लायक कई पड़ाव आते है। चुनौतियां, संघर्ष, सुख-दु:ख और सबसे बड़ा पड़ाव रिश्तों की चौसर।