Tuesday, April 22, 2025
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लेख/विचार

पुलिस अकादमी में हुई संदिग्ध मृत्यु, किसी को सजा नहीं, कब मिलेगा आईपीएस मनुमुक्त ‘मानव’ को न्याय?’

मनुमुक्त के पिता, वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद् डॉ. रामनिवास ‘मानव’ भरे मन से बताते हैं कि अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही और मनुमुक्त की मृत्यु के षड्यंत्र में शामिल उनके बैचमेट अफसरों की संलिप्तता के दस्तावेजी सबूतों के बावजूद, उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई, बल्कि तेलंगाना पुलिस और सीबीआई ने इसे सामान्य घटना बताकर मामले को रफा-दफा कर दिया। तेलंगाना पुलिस और सीबीआई का पूरा प्रयास दोषियों को बचाने का था, दोषियों को सजा दिलाने का नहीं। ‌यही नहीं, मनुमुक्त को ट्रेनी बताकर सभी सरकारों ने पल्ला झाड़ लिया, किसी ने एक रुपये की भी आर्थिक सहायता परिवार को प्रदान नहीं की।
– प्रियंका सौरभ

’नियति’ का यह कैसा दुखद विधान है कि विशिष्ट प्रतिभाओं को यहाँ अत्यल्प जीवन ही मिलता है। आदि शंकराचार्य से लेकर स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामतीर्थ, श्रीनिवास रामानुजन, भारतेंदु हरिश्चंद्र और रांगेय राघव तक, एक लंबी सूची है ऐसे महापुरुषों‌ की, जो अपनी चमक बिखेरकर अल्पायु में ही इस दुनिया से विदा हो गए। भारतीय पुलिस सेवा के युवा अधिकारी मनुमुक्त ‘मानव’ भी एक ऐसे ही जगमगाते प्रतिभा-पुंज थे, जिन्हें काल ने असमय ही अपना ग्रास बना लिया। 28 अगस्त, 2014 को बहुमुखी प्रतिभा के धनी, अत्यंत होनहार और प्रभावशाली पुलिस अधिकारी मनुमुक्त की मात्र 30 वर्ष, 9 माह की अल्पायु में नेशनल पुलिस अकेडमी, हैदराबाद (तेलंगाना) के स्विमिंग पूल में डूबने से, संदिग्ध परिस्थितियों में, मृत्यु हो गई थी।
स्विमिंग पूल के पास ही स्थित ऑफिसर्स क्लब में चल रही विदाई पार्टी के बाद, आधी रात को जब मनुमुक्त का शव स्विमिंग पूल में मिला, तो अकेडमी में ही नहीं, पूरे देश में हड़कंप मच गया, क्योंकि यह अकेडमी के 66 वर्ष के इतिहास में घटित होने वाली पहली इतनी बड़ी दुर्घटना थी। यहीं यह बताना भी आवश्यक है कि इतनी मर्मांतक और दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी के बाद भी इस मामले की न तो‌ ठीक-से जांच हुई और न ही किसी अधिकारी या कर्मचारी की जिम्मेदारी तय कर, उसके विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की गई।

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बसपा के लिये एक बार फिर बुरा सपना तो साबित नहीं होंगे उप चुनाव

संजय सक्सेना: लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में भाजपा और समाजवादी पार्टी में किसको कितनी सीटें मिलेंगी, इसको लेकर तो चर्चा हो सकती है, परंतु उप चुनाव में जिस तरह का मतदान देखने को मिला उससे यही लगता है कि बहुजन समाज पार्टी एक बार फिर हासिये पर ही खड़ी नजर आई। किसी भी सीट पर बसपा फाइट करती नहीं दिखी। बसपा सुप्रीमों मायावती के लिये लगता है अब आगे की राह आसान नहीं रह गई है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि बसपा का कोर वोटर कहलाने वाले दलितोें ने अब भाजपा-सपा के रूप में अपनी नहीं मंजिल चुन ली है। इसी वजह से कमोबेश सभी जगह बसपा मुख्य लड़ाई से गायब दिखी, जिसके चलते भाजपा और सपा सीधी लड़ाई में आ गए हैं। बसपा की तरह ही चन्द्रशेखर आजाद की आजाद पार्टी भी कोई गुल खिलाते नहीं दिखी है। कई सीटों पर दलित मतदाता मुख्य रूप से भाजपा-सपा के बीच बंटे हुए दिखाई दिए, जिसने बीजेपी-सपा के जीत के आकड़े को थोड़ा उलझा दिया है, जिसके पक्ष में दलित मतदाता ज्यादा जायेंगे, परिणाम उसी के पक्ष में रहेगा। सबसे बड़ी बात यह रही कि मुरादाबाद की मुस्लिम बाहुल्य कुंदरकी में भाजपा मुस्लिम मतों में सेंध लगाते हुए दिखी, जिसे काफी चौंकाने वाला माना जा रहा है। उधर, कानपुर की सीसामऊ में सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने को अनुमान है। यहां के करीब 5.0 मतदान केंद्रों में से आधे से ज्यादा में बसपा प्रत्याशी का बस्ता नहीं दिखा।
समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी के कटेहरी उपचुनाव में मतदान से पहले की स्थिति कुछ और थी। तब मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा था। संभावना थी कि बसपा प्रत्याशी अमित वर्मा अपने सजातीय मतों में सेंधमारी कर सपा को तगड़ी चोट देंगे, लेकिन मतदान के दौरान ऐसा प्रतीत नहीं हुआ। अंत में भाजपा के धर्मराज निषाद और सपा की शोभावती वर्मा के बीच ही सीधा मुकाबला दिखा। हां, बसपा का प्रदर्शन कमल व साइकिल का संतुलन बिगाड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार बसपा ने अपने पारंपरिक वोटों के साथ ही जातिगत समीकरण को साधा तो सपा का गणित बिगड़ सकता है। यहां सीधा मुकाबला सपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव और भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह में रहा।
मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में कई जगह पुलिस और वोटरों के बीच नोकंझोंक होते दिखी। यहां मुकाबला बीजेपी समर्थित रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल और सपा प्रत्याशी सुम्बुल राना के बीच सिमटता हुआ नजर आया।

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भारत को शिक्षा के क्षेत्र में नंबर 1 बनाने के लिए UGC के नए कदम

कल, श्री एम. जगदीश कुमार, अध्यक्ष, यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC), ने UGC के नए रेगुलेशन के बारे में जानकारी दी, जिसके तहत छात्रों को अब केवल 2 वर्षों में अपनी डिग्री पूरी करने का अवसर मिलेगा। पहले, उन्हें अपनी डिग्री पूरी करने में 4 साल का समय लगता था।
यह बदलाव शिक्षा के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत है। इससे छात्रों को अपनी पढ़ाई जल्दी पूरी करने और अपने करियर में तेजी से प्रगति करने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह भारत को शिक्षा के क्षेत्र में विश्व का नंबर 1 देश बनने की ओर अग्रसर करेगा।
जैसा कि आप सभी जानते हैं, नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 भारत द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नीति पांच मार्गदर्शक सिद्धांतों पर आधारित है:
पहुंच (Access), समानता (Equity), गुणवत्ता (Quality), किफायती शिक्षा (Affordability), और जवाबदेही (Accountability)।
नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के मुख्य उद्देश्य:
समावेशी शिक्षा: सभी वर्गों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना, चाहे वे किसी भी सामाजिक, आर्थिक, या भौगोलिक पृष्ठभूमि से हों।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा: बच्चों को संज्ञानात्मक, सामाजिक, और भावनात्मक कौशल प्रदान करना ताकि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से समृद्ध बन सकें।
तकनीकी प्रगति का उपयोग: शिक्षा में तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चों को डिजिटल साक्षरता और 21वीं सदी के कौशल प्रदान करना।

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नन्हा पौधा

नन्हा पौधा बोल उठा,
मस्ती में आंखें खोल उठा।
हंसने दो मुझको ज़रा यहां,
करने दो वसुंधरा हरा भरा।
मैं जीवन बनकर हूं आया ,
धरती से उपजी मेरी किया।
तू जान सका ना प्रभु माया,
अंबर धरती पर क्यों छाया।
जीवन देकर जीवन पाया,
ये भेद तुम्हें सिखाने आया।

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राजनीति में प्रियंका की दमदार एंट्री को बेताब वायनाड

मैं इस समय केरल के वायनाड में हूं। वही वायनाड जहां लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद उपचुनाव हो रहा है। वायनाड का उपचुनाव इसलिए चर्चा में है कि कांग्रेस ने गांधी परिवार की दूसरी सशक्त वारिस प्रियंका गांधी को पहली बार अपना उम्मीदवार बनाया है। रायबरेली-अमेठी के बाद देश में वायनाड इकलौता लोकसभा क्षेत्र बन गया है, जहां गांधी परिवार का दूसरा सदस्य चुनाव मैदान में है। प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाए जाने से वायनाड लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव को लेकर मीडिया में भले ही खूब शोर हो पर यहां चुनाव बिना शोरगुल का है। सौ किलोमीटर से अधिक लंबे और तीन जिलों (वायनाड, कोझिकोड और मल्लपापुरम) के सात विधानसभा क्षेत्रों (कलपेट्टा, सुलतान बथेरी, मननथवाड़ी, थिरूवमबडी, इरानाड, नीलाम्बुर, वनडुर) में फैले इस लोकसभा क्षेत्र में दिन में बमुश्किल एक दो चुनाव प्रचार वाहन दिख जाएं तो बड़ी बात है। यहां सड़कों पर जुलूस दिखते हैं न नारे सुनाई पड़ते हैं। चुनावी सभाएं भी सिस्टमैटिक और संयमित।

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क्या मायावती उपचुनाव में बीजेपी की बी-टीम की छवि तोड़ पाएंगी ?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रभाव पिछले कुछ वर्षों में घटता जा रहा है, खासकर जब से पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में बुरी तरह से हार का सामना किया और उसकी सीटों की संख्या शून्य हो गई। इसके बावजूद, पार्टी की प्रमुख मायावती ने अब उपचुनावों में अपनी सियासी जंग को पुनः तेज करने की योजना बनाई है। उनका उद्देश्य न केवल बीजेपी के ‘बी-टीम’ के आरोप को तोड़ना है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की दिशा में भी रणनीति तैयार करना है। मायावती का हाथी अब यूपी उपचुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट बनता हुआ नजर आ रहा है।

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अपराध और अपराधियों को बचाने में अधिकारियों की संलिप्तता

इन दिनों हम देखते है कि देश भर में उच्च पदों पर बैठे कुछ अफसरों के भ्र्ष्टाचार और यौन अपराधों में ख़ुद के शामिल होने और अपराधियों को बचाने में उनकी सलिंप्तता के मामले बढ़ते जा रहे हैं जो देश और समाज के लिए सही संकेत नहीं हैं। आख़िर कौन-सी वज़ह हैं कि उच्च पद आसीन व्यक्तित्व (सभी नहीं) इन घिनौनी हरकतों को रोकने कि बजाय ख़ुद इनको अंजाम देने पर तुले हैं। ऐसे में लिप्त अधिकारी के बारे में नकारात्मक बातें कर लोग उसकी अवहेलना करने लगते हैं। अवहेलना के कारण अधिकारी के प्रति अविश्वास पैदा होता है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के पुलिस हिरासत में साक्षात्कार मामले में हाईकोर्ट ने पाया कि पुलिस अधिकारियों ने अपराधी को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उपयोग करने की अनुमति दी और साक्षात्कार के लिए स्टूडियो जैसी सुविधा प्रदान की जो अपराध को महिमामंडित करने जैसा है।

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ट्रम्प की जीत के भारत के लिए मायने

अमेरिका एक तरह से भारत की तरह है, जो इस सदी की शुरुआत में नई दिशा की तलाश में था; चीजों को हिलाने और एक नया रास्ता बनाने के लिए दो आम चुनाव, एक नीरस दशक और नरेंद्र मोदी के उग्र आगमन की ज़रूरत पड़ी। व्यवसायी ट्रम्प के लिए, खातों को संतुलित करना और व्यापार घाटे को कम करना एक स्वाभाविक कार्य है, जिसे वे 2016 से 2020 तक की तरह ही लगन से अपनाएंगे। उनके पहले कार्यकाल की रणनीति से प्रेरणा लेते हुए, हम अमेरिका से चीन, भारत और यूरोप जैसे दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा बाजारों में तेल और गैस के निर्यात में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।

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महाराष्ट्र में योगी का ‘हिंदू एकजुटता’ अभियान, क्या ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ बनेगा सत्ता का मंत्र ?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपनी पहली रैली के माध्यम से राजनीतिक माहौल को बदलने की कोशिश की है। महाराष्ट्र की सियासत में कदम रखते ही उन्होंने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे’ जैसे नारे के जरिए हिंदुत्व के मुद्दे को फिर से एक मजबूत दिशा देने की कोशिश की है। योगी आदित्यनाथ का यह कदम महाराष्ट्र में बीजेपी के वोटबैंक को मजबूत करने और हिंदू समुदाय को एकजुट करने के उद्देश्य से लिया गया है, क्योंकि विधानसभा चुनावों में जातिगत समीकरण और धार्मिक ध्रुवीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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दीयों से मने दीवाली, मिट्टी के दीये जलाएँ

आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है। इससे सामाजिक रूप से व पर्यावरण पर ग़लत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए ज़रूरी है आमजन दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने व पटाखे नहीं चलाने का संकल्प लें। इस दीपावली मिट्टी के दीये जलाएँ, तभी पर्यावरण बचाने में हम सफ ल हो पायेंगे।आधुनिकता के दौर में दीपोत्सव पर मिट्टी की दीये जलाने की परंपरा विलुप्त हो रही है। इससे सामाजिक रूप से व पर्यावरण पर ग़लत प्रभाव पड़ने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए ज़रूरी है आमजन दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने व पटाखे नहीं चलाने का संकल्प लें। इस दीपावली मिट्टी के दीये जलाएँ, तभी पर्यावरण बचाने में हम सफल हो पायेंगे।

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