Sunday, May 5, 2024
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सोनिया गांधी की उपस्थिति से विपक्षी एकता को मिली मजबूती

राजीव रंजन नाग; नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को हराने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दलों की आज से शुरू हुई दुसरी बैठक में 26 दल शामिल हो रहे हैं। महागठबंधन कल से शुरू हो रही औपचारिक बैठक में 2024 लोकसभा चुनाव के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, राज्यवार गठबंधन, सीट शेयरिंग के अलावा महागठबंधन के नए नाम पर चर्चा हो सकती है।
जिस तरह विपक्षी दल बेंगलुरु में अपने दूसरे एकता प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं, पटना में पहले दौर से एक बड़ा अंतर उस राज्य में आयोजित बैठक में सोनिया गांधी की उपस्थिति है । ।कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सोनिया गांधी की उपस्थिति पहली बैठक का एक “नतीजा” है, लेकिन वे उम्मीद कर रहे हैं कि 2004 के चुनावों से पहले गठबंधन निर्माता के रूप में उनका अनुभव और राजनीतिक स्पेक्ट्रम में उनके व्यक्तिगत संबंध बातचीत में कांग्रेस की आवाज़ को बढ़ा देंगे।
जाहिर है बेंगलुरु में सोनिया गांधी की मौजूदगी का खास महत्व है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा इस बात पर जोर देते हैं, ”वह एक वरिष्ठ नेता हैं जो सभी संसदीय बैठकों में मौजूद रहती थीं और उनकी मौजूदगी से विपक्ष को ताकत मिलेगी।” कांग्रेस के एक सीनियर नेता के मुताबिक सभी दलों के साथ कॉर्डिनेशन के लिए एक संयोजक की नियुक्ति पर चर्चा होगी। इसके अलावा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (सीएमपी) समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत के लिए नेताओं का एक ग्रुप बनाये जाने की भी संभावना है।उन्होंने कहा-2004 लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी बनी थीं, उसी तरह नए महागठबंधन में भी सर्वसम्मति से ऐसी नियुक्ति को अंजाम दिया जा सकता है। कांग्रेस चाहती है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते उसे ही यह पद सौंपा जाए। सोनिया गांधी के नाम पर किसी भी दल को ऐतराज नहीं होगा, क्योंकि वो प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार नहीं होंगी। 23 जून को विपक्ष की पटना में हुई बैठक में नीतीश कुमार को भी संयोजन बनाने की मांग रखी थी। हालांकि इस पर बात आगे नहीं बढ़ी। नीतीश कुमार के दलबदल करने के चरित्र को लेकर उन अनेक नेता उन पर भरोसा करने से परहेज करने की तरफ इशारा करते हैं।
बेगलूर बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चार्टर प्लेन से दोपहर बेंगलुरु पहुंचे। सोनिया ने आज शाम विपक्ष के नेताओं को डिनर पर आमंत्रित किया है। मीटिंग में महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला, नीतीश, लालू, अखिलेश, ममता समेत कई नेता पहुंच चुके हैं। पार्टी में फूट के बाद शरद पवार कल सीधे बैठक में शामिल होंगे।
इधर, भाजपा ने भी 18 जुलाई को शाम 4 बजे दिल्ली के अशोका होटल में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की बैठक बुलाई है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने कहा कि इस मीटिंग में 38 दल शामिल हो रहे हैं।
NDA की बैठक पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- मुझे ताज्जुब है कि मोदी जी ने राज्यसभा में कहा था कि मैं सभी विपक्षियों पर अकेला भारी हूं। अगर वो सभी विपक्षियों पर अकेले भारी हैं तो वो कल राजग की मीटिंग में 30 पार्टियों को क्यों बुला रहे हैं। उन 30 पार्टियों का नाम तो बताएं। वे हमारी मीटिंग से घबरा गए हैं। राजग की बैठक से तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्‌डी, आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने दूरी बना रखी है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- कुछ नेता कल आएंगे और यह बैठक कल सुबह होने वाली है। 11 बजे बैठक शुरू होगी और शाम 4 बजे सभी पार्टियों के नेता देश को संबोधित करेंगे। जयराम रमेश नेकहा हमारी पटना बैठक के बाद अचानक प्रधानमंत्री को एनडीए का ख्याल आया। भाजपा नीत गठबंधन (एनडीए) में एक नई जान फूंकने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली अध्यदेश को लेकर कांग्रेस के हृदय परिवर्तन क तुरत हबद आप सांसद राघव चड्ढा ने विपक्षी दलों की बैठक में आम आदमी पार्टी के मुख्यएमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हिस्सा लेने घोषणा की है। राघव चड्डा ने दिल्ली का ऑर्डिनेंस साफ तौर पर राष्ट्र विरोधी है। इसका समर्थन करने वाला हर शख्स राष्ट्रविरोधी है।अरविंद केजरीवाल ने इसे लेकर हर विपक्षी पार्टी से संपर्क किया। सबने इस मुद्दे पर हमारे समर्थन की घोषणा की है।
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश पर रुख अपनाकर कांग्रेस अधिक सौहार्दपूर्ण छवि पेश कर रही है। यह कदम रियायतें देने और यह सुनिश्चित करने की उसकी इच्छा का संकेत देता है कि ऐतिहासिक दुश्मनी के बावजूद आम आदमी पार्टी (आप) के साथ जुड़ने का प्रयास किया जाए। यह आप से परे एक संकेत हो सकता है कि कांग्रेस गठबंधन बनाने के लिए हर संभव कोशिश करने को तैयार है।
हालांकि बैठक का स्थान दक्षिणी भारत में है, लेकिन सारगर्भित बातचीत भाजपा के गढ़, उत्तरी राज्यों में चुनावी रणनीति के इर्द-गिर्द घूमेगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छोड़कर दक्षिणी राज्यों में गठबंधन तय दिख रहा है। तमिलनाडु में द्रमुक प्रभारी है, कर्नाटक में कांग्रेस, और केरल में वाम बनाम कांग्रेस की लड़ाई – निश्चित रूप से बराबर है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव और आंध्र के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी असंभावित सहयोगी हैं और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर बढ़ती दिख रही है। यह दक्षिण भारत में गठबंधन को अपेक्षाकृत सरल गठबंधन बनाता है।
उत्तरी राज्यों में गठबंधन को बनाना और इसे सही करना आवश्यक है। एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि सोनिया गांधी की मौजूदगी और अनुभव से मदद मिल सकती है, खासकर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को। दोनों पार्टियों के बीच अतीत में असहज समीकरण रहे हैं और उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में गठबंधन के सिद्धांतों को मजबूत करना विपक्षी एकता के लिए लॉन्च पैड होगा।
ऐसा माना जाता है कि ममता बनर्जी और लालू यादव जैसे पुराने सहयोगियों के साथ भी सोनिया फैक्टर बेहतर भूमिका निभाएगा। यह कुछ ऐसा है जो मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुभव और राहुल गांधी के उत्साह से परे है। महाराष्ट्र में संकट एक केंद्र बिंदु है। इस बैठक में दो बिंदु सामने आ रहे हैं। पहला, “महागठबंधन” को एक साथ लाने वाली केंद्रीय शक्ति के रूप में कांग्रेस की पुनरावृत्ति, और दूसरा, सोनिया गांधी अभी भी प्रभाव बनाए रख सकती हैं और विपक्ष की युद्ध योजना का हिस्सा हो सकती हैं।
यह देखते हुए कि भाजपा ने कुछ पूर्व सहयोगियों के साथ फिर से जुड़कर और दूसरों तक पहुंच बनाकर अपनी ताकत दिखाने की तैयारी शुरू कर दी है। लिहाजा विपक्ष को अपने मेगा बेंगलुरु सम्मेलन में कुछ एसे फैसले लेने होंगे जो सत्तारुढ गठजोड़ के लिए चुनौती पैदा कर सके।