Friday, September 20, 2024
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अब फिंगर प्रिंट के जरिये होगी अपराधियों की पहचानः मुख्य सचिव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र की अध्यक्षता में पॉक्सो, महिला उत्पीड़न, सीसीटीएनएस, आईटी सिस्टम की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत निस्तारण दर में उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने पर सम्बन्धित सभी पुलिस अधिकारियों को उत्कृष्ट कार्य के लिये बधाई देते हुये कहा कि प्रथम स्थान को आगे भी बरकरार रखा जाये। पहले से प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है, आगे भी जहां भी सुधार की आवश्यकता हो सुधारात्मक कदम उठाये जायें। उन्होंने कहा कि पॉक्सो एक्ट व महिला उत्पीड़न के मामलों में पुलिस अधिकारी तत्काल एक्शन लें। लम्बित प्रकरणों को नियमित मॉनीटरिंग व माननीय न्यायालय में प्रभावी कर दोषियों को सजा दिलायी जाये। सजा दिलाने से ही लोगों के अन्दर भय व्याप्त होगा और मामलों में कमी आयेगी।
उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों द्वारा केसेज की संख्या में कमी लाने के लिये भी कार्य करें। लोगों को शिक्षित व जागरूक किया जाये। ऐसे मामले जिनमें मुल्जिमों, प्रदर्शाे एवं गवाहों की संख्या कम हो एवं वैज्ञानिक साक्ष्य मजबूत हों, को चिन्हित कर शीघ्रता से निस्तारित कराया जाए। महिलाओं से जुड़े अपराधों में पंजीकृत एफआईआर की जांच प्रक्रिया को दो माह के भीतर पूरा किया जाये। कम्प्लाइंस रेट को और बेहतर किया जाये। फॉरेन्सिक सैम्पल कलेक्शन एवं रिपोर्ट की गोपनीयता बनाये रखने के लिये बार कोड का प्रयोग किया जाये।
उन्होंने कहा कि दण्ड प्रक्रिया (शिनाख्त) अधिनियम, 2022 के तहत अपराधी तथा गिरफ्तार व प्रतिबंधात्मक गिरफ्तार व्यक्ति का फिंगर, हथेली, पैर का प्रिंट, फोटोग्राफ्स, आइरिस और रेटिना, शारीरिक, बायोलॉजिक सैम्पल, हस्ताक्षर व हैण्डराइटिंग के सैम्पल लिये जाने का प्रावधान किया गया है, इसका अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। नेशनल आटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) के तहत सभी थानों पर फिंगर प्रिंट लेने हेतु उपकरण स्थापित कराये जायें, ताकि देश भर में कहीं भी अपराध करने पर उसके फिंगर प्रिंट द्वारा पहचान कर पकड़ा जा सके। इस सिस्टम से पकड़े गये अपराधियों की संख्या को मीडिया में प्रकाशित कराया जाये, ताकि अपराधियों के अन्दर भय व्याप्त हो।
बैठक में बताया गया कि आईपीसी की धारा-376 तथा पॉक्सो एक्ट के मामलों में 98.10 प्रतिशत डिस्पोजल रेट के साथ उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश 0.20 प्रतिशत पेन्डेन्सी रेट के साथ द्वितीय तथा 73.50 प्रतिशत कम्प्लाइंस रेट के साथ 5वीं स्थान पर है। माह जुलाई 2023 (01.07.2023 से 15.07.2023 तक) में 110 वादों में 137 अभियुक्तों को सजा करायी गयी।
नेशनल आटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) के तहत 98 स्थानों पर फिंगर प्रिंट लेने हेतु उपकरण स्थापित किये गये हैं। माह जून, 2023 तक लगभग 1,07,128 व्यक्तियों का फिंगर प्रिंट लिया गया है। इसके अलावा ऑफ लाइन लिये गये फिंगर प्रिंट को भी अपलोड करने की कार्यवाही की जा रही है। अब तक लगभग 3 लाख फिंगर प्रिंट का डाटा नेशनल डाटा बैंक में अपलोड किया जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर फिंगर प्रिंट का डाटा अपलोड होने पर देश भर में कहीं से भी अपराधी को सर्च कर उसका विवरण देखा जा सकता है।
माफिया, पास्को, सनसनीखेज से सम्बन्धित मुकदमों की विवेचना एवं प्रभावी पैरवी हेतु इनवेस्टीगेशन, प्रॉजिक्यूशन एण्ड कनविक्ट मॉनीटरिंग पोर्टल विकसित किया गया है। इसी प्रकार जघन्य अपराधों की समीक्षा व विश्लेषण के लिये इम्पॉर्टेन्ट क्राइम मॉनीटरिंग पोर्टल विकसित किया गया है, जिसके तहत डकैती, लूट, हत्या, बलात्कार, पॉक्सो, गौ हत्या, गो तस्करी, धर्म संपरिवर्तन जैसे मामलों का अनुश्रवण किया जा रहा है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला में प्रदर्श के निस्तारण में 2020 के सापेक्ष 94.28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 में जनवरी से जून तक 3843 प्रदर्शों का निस्तारण किया गया है।
बैठक में अपर पुलिस महानिदेशक तकनीकी मोहित अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन रुचिता चौधरी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण आदि उपस्थित थे।