Monday, May 20, 2024
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फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करें, यह दवा पूरी तरह सुरक्षितः डीएम

रायबरेली। जिलाधिकारी माला श्रीवास्तव ने आज कलेक्ट्रेट कार्यालय में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान का शुभारंभ किया। जिलाधिकारी ने स्वयं फाइलेरिया रोधी दवाओं आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल का सेवन किया और सभी जनपद वासियों से फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन करने की अपील की कि जनपद को फाइलेरिया मुक्त करने में अपना सहयोग करें। फाइलेरिया रोधी दवा पूरी तरह सुरक्षित है। जब भी स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पर दवा खिलाने आये तो दवा का सेवन जरूर करें। जिलाधिकारी ने कहा कि आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व स्वयं सेवक घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगे। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है और इससे बचने का एकमात्र उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा सेवन करना है। जिससे कि समय रहते फाइलेरिया के परजीवी पर नियंत्रण पाया जा सके। जिलाधिकारी ने कहा कि सभी लोग माइक्रो प्लान के हिसाब से कार्य करें और इस कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि गांवों में इस अभियान का शुभारंभ ग्राम प्रधान व अन्य प्रतिष्ठित लोगों से कराएं और प्रयास करें कि हर एक व्यक्ति दवा का सेवन करें। स्वास्थ्य विभाग व एनजीओ के लोग दवा से होने वाली दुष्परिणामों के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए बताएं कि इसका दुष्प्रभाव बहुत देर तक नहीं रहता है और ना ही इतना गंभीर होता है कि किसी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़े। दवा के साइड इफेक्ट्स कुछ ही देर में समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति एक-दो घंटे में सामान्य हो जाता है। लोगों को बताएं कि फाइलेरिया रोधी दवा सेवन के दुष्प्रभाव के प्रबंधन के लिए रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) हमेशा तैयार रहेगी। इसी क्रम में एम्स में कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें एम्स के निदेशक डॉ. अरविन्द राजवंशी ने फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन किया और कहा कि आईडीए अभियान फाइलेरिया मुक्त जनपद बनाने और भविष्य में समुदाय के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मौके पर कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. अभय सिंह ने कहा कि दवा प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा खिलाई जा रही है। दवा सेवन में किसी भी प्रकार का कोई बहाना न करें। इस मौके पर एम्स के एएमएस डा. सुयश सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर मुकेश शुक्ला, सहायक प्रोफेसर डॉ. नेहा शर्मा, एम्स रायबरेली के छात्र, स्वयं सेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सी फॉर) और नर्सिंग स्टाफ जीतेंद्र और रितु मौजूद रहे।