Friday, June 6, 2025
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पर्यावरण – जीवन की नींव, सिर्फ़ एक दिन की बुनियाद नहीं”

“पेड़ सिर्फ़ लकड़ी नहीं होते, ये वो साया हैं जो हमारी साँसों को सहारा देते हैं। मिट्टी सिर्फ़ ज़मीन नहीं होती, वो हमारी जड़ों की पहचान है।”
क्या 5 जून पर्यावरण दिवस मनाकर पर्यावरण बच जाएगा?
हर साल 5 जून आता है — हम पेड़ लगाते हैं, कुछ स्लोगन सुनते हैं और फिर अगले दिन वही ज़िन्दगी…प्लास्टिक की बोतल, AC की हवा, डिस्पोज़ेबल कप में चाय, ऑनलाइन ऑर्डर की पैकिंग में लिपटी दुनिया।
तो सवाल अब ये है, कभी लगा कि ये सब करते हुए हम ख़ुद ही उस धरती को जला रहे हैं, जो हमें जन्म देती है?
“धरती को बचाना हाँ बड़ा काम है, बस अपने छोटे-छोटे लालचों से जीतना है।” पर्यावरण क्या है? सिर्फ़ पेड़ नहीं… पूरा जीवन है |
जब हम पर्यावरण कहते हैं, तो उसका मतलब सिर्फ़ हरे-भरे जंगल नहीं होते।
वो हवा जिसमें माँ ने पहली बार गहरी साँस ली थी। वो पानी जो किसी किसान की मेहनत से भरा खेत सींचता है। वो मिट्टी जिसमें बचपन में हमने नंगे पाँव दौड़ लगाई थी। और वो सूरज जिसकी किरणों से शरीर ही नहीं, मन भी तपता है।
“मिट्टी में जो अपनापन है, वो शॉपिंग मॉल की चमक में कहाँ?”
आपदाएं, बीमारियाँ और हमारा बिगड़ता रिश्ता प्रकृति से कोरोना सिर्फ़ एक वायरस नहीं था। वो प्रकृति की एक गूंगी चीख थी, जो जब निकली तो सारी दुनिया थर्रा गई।
जंगल उजाड़े गए, नदियाँ बांधी गईं, ज़मीन खोदी गई, और अब परिणाम सामने हैं: कभी गर्मी 50 डिग्री पार करती है, तो कभी हवा में ज़हर घुला होता है।
“प्रकृति बहुत शांत रहती है, मगर जब बोलती है, तो सब सुनते हैं।”
पर्यावरण और स्वास्थ्य – सीधा संबंध
मैं एक डॉक्टर हूँ। मैंने अपने क्लिनिक में वो माँएं देखी हैं, जिनके बच्चे रोज़ बीमार पड़ते हैं, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उनका खाना, पानी, हवा सब कृत्रिम हो चुका है। मैंने वो बुज़ुर्ग देखे हैं जिनकी नींद सिर्फ़ इसलिए गायब है क्योंकि मोबाइल रेडिएशन से उनका दिमाग़ चैन नहीं ले पाता।
“दवा से नहीं, दुआ से पहले ज़रूरत है प्राकृतिक जीवन की।”AURA Trust की रिसर्च ने यह दिखाया कि जब हमने सिर्फ़ आहार बदला, और प्राकृतिक चीज़ें दीं तो मानसिक बीमारियाँ भी कम होने लगीं। प्रकृति में हर रोग का इलाज है, बस भरोसा और समझ चाहिए।
AURA Trust का पर्यावरणीय योगदान
हमारा मक़सद सिर्फ़ वृक्षारोपण नहीं, विचारारोपण भी है।
“हर महिला – एक वृक्षमाता” अब तक 11,500+ महिलाएं पेड़ को अपने बच्चे की तरह पाल रही हैं।
“फूल नहीं, पौधा भेंट करें”, शादी, बर्थडे, गेस्ट वेलकम, अब तक 7000+ पौधे दिए जा चुके हैं।
EMF Radiation जागरूकता
15,000+ लोगों को बताया गया कि मोबाइल टॉवर की चुपचाप मार कितनी गंभीर हो सकती है।
“प्राकृतिक औषधि, मानसिक उपचार”
10,000+ मानसिक रोगियों को प्राकृतिक चिकित्सा और होम्योपैथी से राहत मिली।
क्या आप भी अपनी जीवनशैली बदल सकते हैं?
हर कोई कहता है,सरकार कुछ करे, नगर निगम कुछ करे, लेकिन क्या हम अपने घर से शुरुआत नहीं कर सकते?
प्लास्टिक की बोतल की जगह स्टील की बोतल रखें। अपने बच्चों को बताएं कि मिट्टी में खेलना बीमारी नहीं, शक्ति है। मोबाइल की बजाय पौधे के पास समय बिताएं।
“हम बच्चों को क्या विरासत देंगे? ज़मीन या ज़हर?”
अब नहीं चेते, तो बहुत देर हो जाएगी…
जलवायु बदल चुकी है। पेड़ कम हो चुके हैं। और हम खुद भी बीमार हो चुके हैं, शरीर से भी, मन से भी।
“सिर्फ़ पेड़ नहीं काटे, हमने अपनी जड़ें काटीं। अब अगर जड़ें नहीं बचाईं, तो शाखें कब तक टिकेंगी?”
मेरा आपसे विनम्र निवेदन:
AURA Trust ये नहीं कहता कि आप सैकड़ों पेड़ लगाइए।
हम कहते हैं – हर दिन एक छोटा पर्यावरणिक काम कीजिए: एक पॉलिथीन कम इस्तेमाल करें, एक पौधा लगाएँ या बचाएँ
एक बच्चे को सिखाएँ, एक आदत बदलें
“पर्यावरण की पूजा करें, जैसे अपनी माँ की करते हैं।”
मेरा संकल्प, आपका साथ:
“हमारी धड़कनों की हिफाज़त, पेड़ों की छाँव से होती है। हम जितना पर्यावरण को बचाएँगे, उतना खुद को बचाएँगे।”
आइए, 5 जून को सिर्फ़ पोस्टर न बनाएं, बल्कि हर दिन को धरती माँ का दिन बनाएं। आप तैयार हैं? मैं तो हूँ।


डॉ. अमरीन फ़ातिमा (M.D. मेडिसिन, गोल्ड मेडलिस्ट)
संस्थापक, AURA Trust