Saturday, November 30, 2024
Breaking News
Home » लेख/विचार » हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है

हिंदी भाषा वैज्ञानिक भाषा है

हिंदी में वैज्ञानिक भाषा समाहित है। अंग्रेजी भाषा में ये खूबी देखने को नही मिलती। इसमें शब्दों के उच्चारण सर के अंगों से निकलते है। जैसे कंठ से निकलने वाले शब्द, तालू से, जीभ से जब जीभ तालू से लगती, जीभ के मूर्धा से, जीभ के दांतों से लगने पर, होठों के मिलने पर निकलने वाले शब्द । अ, आ आदि शब्दावली से निकलने वाले शब्द इसी प्रक्रिया से बनकर निकलते है। इसी कारण हमें अपनी भाषा पर गर्व है। शुद्ध हिंदी खोने लगी । हिंदी के सरलीकरण के लिये अंग्रेजी व अन्य भाषाओँ की घुसपैठ हिंदी भाषा को धीरे-धीरे कमजोर बनाकर उसे गुमनामी के अंधेरों में जा कर छोड़ देगी और हम हिदी दिवस का राग अलापते हुए हिंदी की दुर्दशा पर हम आँसू बहाते नजर आएँगे। सवाल ये भी उठता है कि क्या हिंदी शब्दकोश खत्म हो गया ?
वर्तमान में हिंदी के बोलने, लिखने में अंग्रेजी व अन्य भाषाओं की मिलावट होने से उसे अब अलग करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हिंदी के लिये अभियान चलाने वालों के इसे अलग करना दुष्कर कार्य होगा । शुद्ध हिंदी बोलने और लिखने की आदत सभी को डालना होगी तभी हिंदी दिवस की सार्थकता सही होगी। वर्तमान में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में से निकालना यानि बड़ा ही दुष्कर कार्य है। सुधार का पक्ष देखे तो हिंदी में व्याकरण और वर्तनी का भी बुरा हाल है। कोई कैसे भी लिखे, कौन सुधार करना चाहता है ? भाग दौड़ की दुनिया में शायद बहुत कम लोग ही होंगे जो इस और ध्यान देते होंगे। सवाल ये भी उठता है कि क्या हिंदी शब्दकोश खत्म हो गया? वर्तमान मे हिंदी के बोलने, लिखने में अंग्रेजी व अन्य भाषाओं की मिलावट होने से उसे अब अलग करने मे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हिंदी के लिये अभियान चलाने वालों के इसे अलग करना दुष्कर कार्य होगा। शुद्ध हिंदी बोलने और लिखने की आदत सभी को डालना होगी तभी हिंदी दिवस की सार्थकता सही होगी। सुधार हेतु जाग्रति लाने की आवश्यकता है। जैसे कोई लिखता है कि लड़की ससुराल में ‘सूखी’ है। सही तो ये है कि लड़की ससुराल में ‘सुखी’ है। ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे। बच्चों को अपनी सृजनात्मकता, मौलिक चिंतन को विषयान्तर्गत रूप से हिंदी व्याकरण और वर्तनी में सुधार की और ध्यान देना होगा ताकि निर्मित शब्दों का हिंदी में परिभाषित शब्द सही तरीके से व्यक्त, लिख- पढ़ सकें। हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु लेखन कार्य हिंदी में ही अनिवार्य करना होगा ताकि हिंदी लिखने की शुद्धता बनाई जा सके । मातृभाषा की सही स्तुति के लिए ये कार्य करना आवश्यक है ताकि मातृ भाषा का सही मायने में सम्मान हो सके। विद्यार्थियों को अपनी सृजनात्मकता, मौलिक चिंतन को विषयान्तर्गत रूप से हिंदी व्याकरण और वर्तनी में सुधार की और ध्यान देना होगा।
संजय वर्मा ‘दृष्टि’
मनावर जिला धार मप्र भारत