Thursday, July 4, 2024
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विश्वास पर आज भी अंधविश्वास है भारी

आज जबकि तकनीकी का युग है और इस युग में जहां चंद्रमा और सूर्य पर जाने की होड़ मची है और वैज्ञानिकों ने अपनी कार्यक्षमता और बुद्धि विवेक से सूर्य के विक्रम प्रकाश व किरणों तथा चंद्रमा पर प्लाट काटना, चंद्रमा पर व्यक्तियों का पहुंचना इतना सब कुछ अर्जित कर लिया है । लेकिन आज भी इस दुनिया और समाज में एक वर्ग ऐसा है जो इन तकनीकी दुनिया से हटकर और इन पर विश्वास ना करते हुए आज भी अंधविश्वास पर अपने आप को बलि चढ़ा रहा है ।
आज जहां घातक बीमारियों जैसे टीवी, कैंसर और भी कई बीमारियों का इलाज वैज्ञानिक पद्धति से लोग कराते हैं और बड़े-बड़े डॉक्टरों से ऐसी बीमारियों के लिए देश दुनिया के अस्पतालों में रहकर भारी भरकम पैसा खर्चा करते हैं । परंतु आज भी हमारे वर्ग में वैचारिक भ्रांतियाँ उत्पन्न है जो इंसानों की जान जोखिम में डाल रही है । तंत्र , मंत्र की यदि हम बात करें तो यह न केवल समाज के निम्न स्तर और अनपढ़ों की बीच में ही अपनी पैठ बनाए हुए हैं बल्कि यह हमारे समाज के बुद्धिजीवी, पढ़े लिखे और फिल्मी हस्तियों में भी इस पर विश्वास किया जाता है ।
नेता अपने चुनावी हथ कंडो को जीतने के लिए इसका प्रयोग करते हैं । घर में अगर किसी प्रकार की लगातार विपत्तियां आती है तब भी घर के लोग अंधविश्वास की और अपने आप को ढाल लेते हैं क्या आज हमारे समाज में परमात्मा और वैज्ञानिक युग में विश्वास पर अंधविश्वास अपनी जड़ें मजबूत करे हुए हैं । यही कारण है कि यदि किसी गांव, शहर या परिवार में किसी जीव, जंतु, बिशेष कर साँप के द्वारा काटा जाता है तो सबसे पहले ऐसे लोग जड़ी बूटियां झाड़-फूंक पर विश्वास करते हैं और ऐसे लोगों की तलाश की जाती है जो मंत्रों के द्वारा उस जीव जंतु के जहर को उतार सकें । जबकि यथार्थ में ऐसा संभव नहीं है क्योंकि वैज्ञानिक पद्धति में यदि हम बात करते हैं तो हमारे शरीर की रक्त मांसपेशियां , रक्त को हृदय के पंपिंग के द्वारा या तो शरीर में ऊपर या नीचे की ओर नियमित रूप से संचार करती रहती है । जिसके द्वारा हमारे अंगों का नियमित रूप से काम करना, चलाना, तारतम्यता बनी रहती है । यदि हमारे किसी भी अंग में हमारे रक्त और ऑक्सीजन नहीं पहुंचती है, तो वह अंग हमारा वैज्ञानिक पद्धति से काम करना बंद कर देता है अर्थात् जिसे हम लकवा या अंग का शून्य हो जाना कहते हैं । ऐसी स्थिति में प्रश्न है कि किसी मंत्र या जादू टोने के द्वारा आप रक्त का संचार कैसे रोक सकते हैं या घटा या बढ़ा सकते हैं । यदि ऐसा हो सकता तो रक्तचाप की बीमारी, रक्तचाप को कंट्रोल करना भी फिर मंत्रों से संभव हो सकता था, परंतु ऐसा नहीं है । आज भी हम देखते हैं कि किसी भी जहरीले जीव जंतु के द्वारा काटने पर उस व्यक्ति के बचने की संभावना 2 से 3 घंटे तक रहती है । यदि उसे 2 से 3 घंटे के बीच सही चिकित्सीय मिल जाए या जहर उतारने का इंजेक्शन लग जाए तो ऐसी स्थिति में उस मरीज का बचना संभव है , परंतु आज भी हमारे समाज में ऐसी चुनौतियां और अंधविश्वास को बढाने वाले लोग जीवित हैं जो लोगों के विश्वास को छलते हुए अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं और लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए उन्हे मौत के घाट तक पहुंचा देते हैं ।
जबकि ऐसे कामों से व्यक्ति को हमेशा बचना चाहिए और किसी व्यक्ति के जीवन को खिलवाड़ की वस्तु के रूप में नही देखना चाहिए। यदि ऐसे झाड़-फूंक और मंत्र तंत्र वालों से अगर हम बात करते हैं कि हम आपके शरीर में जहर पहुंचा देते हैं और आप अगर इसको उतार ले तो हम भी आपको पूजने लगेंगे । तब ऐसे लोग हमेशा अपने आप को बचाने का प्रयास करते हैं और तर्क और कुतर्क से उलटे जबाब देते हुए अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हैं । यहां तक भी हद है कि कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो यह गारंटी लेते हैं के जीव-जंतुओं के काटने पर हम मोबाइल के माध्यम से भी किसी के व्यक्ति का जहर उतार सकते हैं । कितना बड़ा हास्यप्रद है व अकल्पनीय है । लेकिन फिर भी लोग विश्वास करते हैं और अंधविश्वास का प्रचार करते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि ऐसे लोगों का पर्दाफाश हो और ऐसे लोगों से हमें बचना चाहिए यह वैज्ञानिक पद्धति के अनुसार सिद्ध नहीं है कि किसी भी व्यक्ति का जादू , टोने , मंत्र से जहर उतारा जा सकता है , जब तक कि उसे एंटीबायोटिक इंजेक्शन ना दिया जाए अर्थात व्यक्ति का वचन सिर्फ और सिर्फ चिकित्सीय पद्धति से ही संभव हो सकता है ।
यदि झाड़-फूंक, तंत्र, मंत्र इतना ही प्रभावशाली होता फिर हमारे देश में हर तीसरा व्यक्ति रक्तचाप और शुगर की बीमारी से ग्रस्त नहीं होता फिर तो यह झाड़ा, फूक से सही इनके रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता था और इस बीमारी को खत्म किया जा सकता था परंतु ऐसा संभव नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे बुद्धिजीवी व्यक्ति जो अपने आप को मानते हैं वह इस प्रकार के कृत्य को करते हुए एक भले मानुष के जीवन को मौत के चैखट तक झाड़-फूंक और तंत्र मंत्र में पहुंचा देते हैं । जबकि वर्तमान परिस्थिति में इस प्रकार के अंधविश्वास कोई जगह नहीं है । यह एक सबसे बड़ा चिंतनीय विषय है कि हमारे बुद्धि जीवी कुछ ऐसे लोग होते हैं जैसे राजनेता हो, कुछ वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल रहते हैं, फिल्मी दुनिया के लोग जो कि तंत्र मंत्र और जादू टोने पर विश्वास करते हैं और उनका यह सोचना रहता है कि इस कार्य से हम अपनी मनपसंद के कार्य को प्राप्त करते हुए सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जबकि ऐसा कृत्य करते हुए सिर्फ अंधविश्वास के प्रति समाज में विश्वास पैदा करते हैं या उसका प्रचार ही करते हैं इसी कारण ऐसे अंधविश्वासी लोगों का धंधा फलता फूलता और बढ़ता है तो आइये ऐसे लोगों से हम, हमारा परिवार और समाज बचाये तथा अन्धविश्वास को समाप्त करे ।
विश्वास पर अंधविश्वास की, लीला है भारी
नेता, रोता व अभिनेता, सब इसके आभारी
विश्व आ गया हाथ में, फिर भी हम हे नादान
पढ़ लिख के बने ज्ञानी,पर है अब भी अनारी


-प्रमोद कुमार चौहान
कुरवाई विदिशा मध्यप्रदेश