Wednesday, April 23, 2025
Breaking News
Home » मुख्य समाचार » कबूतरखाना बने शौचालय, धन की बंदरबांट

कबूतरखाना बने शौचालय, धन की बंदरबांट

>शौचालय सही ना होने की वजह से उपयोग करने से कतरा रहे ग्रामीण
>शौचालय में पाल रहे कबूतर और रख रहे घरेलू सामान
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। ग्रामीण क्षेत्र में स्वच्छता के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम धरा सही हो गए हैं। कम से कम शौचालय के निर्माण में हुई धांधली को देखकर तो इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। स्थिति यह है कि विकासखंड भगवतपुर के अधिकांश ग्राम पंचायतों में बने शौचालय शोपीस बन के रह गये हैं। इन शौचालयों की दशा जर्जर हो चुकी है महज बनने के 1 वर्ष के भीतर और उसका उपयोग ग्रामीण सामान रखने के लिए कर रहे हैं। कागजों में तो शौचालय पूर्ण हो चुके हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है किसी में फाटक नहीं लगा तो कुछ में टंकी नहीं बनी। मजे की बात यह है कि शौचालय निर्माण में जिम्मेदारों द्वारा धन भी निकाल लिया गया। इस बाबत जब सहायक विकास अधिकारी श्रीकांत यादव से बात किया गया तो उन्होंने गोलमोल जवाब देकर सफाई पेश कर दी। ब्लॉक की ग्राम पंचायत काठ गांव का भी हाल कुछ ऐसा ही है वहां सफाई कर्मी के ना आने से बहू बेटियों को खुद ही नाली की सफाई करनी पड़ रही है।

रास्तों में कीचड़ और पानी का जमाव है जिससे ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। काठ गांव में लोग शौचालयों में उप्पल रख रहे हैं और उसी में कबूतर पालन का कार्य कर रहे हैं। सुशीला पत्नी राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि हमारे खाते में पैसा आने के बाद भी प्रधान ने पैसा लेकर शौचालय का निर्माण कराया और इसमें घटिया तरीके के मसाले आदि का उपयोग किया गया जिससे यह एक वर्ष में ही जर्जर हो गए। इसी ग्राम की अनीता पत्नी पवन कुमार ने भी अपना दर्द बयां किया उसने भी यही बताया कि खाते में पैसा आने के बाद भी प्रधान ने शौचालय का निर्माण करवाया और वह एक वर्ष में जर्जर हो गए।इसके पीछे की वजह आप समझ सकते हैं कि कम से कम लागत में शौचालय बनाने का प्रयास किया गया जिससे अधिक से अधिक पैसा बचाया जा सके। इसी गांव की शाहीन बेगम, रईस अहमद ने शौचालय में कबूतर पाल रखे हैं इन सबका यही कहना है कि शौचालय घटिया तरीके से बने हैं जिनसे इनका उपयोग करना संभव नहीं है। इसी से लोग इनको दूसरे कार्यों में उपयोग में ला रहे हैं।
क्या इसी तरह शौचालयों के निर्माण से खुले में शौच से मुक्त होगी ग्राम पंचायतें।