नौकरियों में आरक्षण का मुद्दा हो या यूपीएससी परिणाम में सीटों का गडबडझाला, लोगों को अखर रही सरकार की नीतियां
बढती बेरोजगारी, स्कूलों में फीस बृद्धि और सरकारी संस्थानों के निजीकरण पर लोगों के निशाने पर केन्द्र की भाजपा सरकार
कानपुर, पंकज कुमार सिंह। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के नेत्रत्व वाली केन्द्र की भाजपा सरकार देशभर में एक बड़ी आबादी के बीच आंखों की किरकिरी बनी हुई है। कोरोना महामारी के बीच आपदा को अवसर बताकर लगातार सरकारी संस्थाओं के निजीकरण के विरोध में सरकार को लोग कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। राष्ट्रीयकरण के वजाय सरकारी मशीनरी के निजीकरण को बढावा देकर मोदी सरकार के खिलाफ लोग मुखर हो रहे हैं। सोशल साईट्स के जरिए लोग सरकार के विरोध में लामबन्द होकर वर्चुअल विरोध प्रदर्शन कर सरकार की नितियों के विरूद्ध आवाज बुलंद कर रहें हैं। इसके लिए ट्वीटर पर आए दिन हैस टैग ट्रेंड करते देखे जा सकते हैं। फेसबुक पर भी निजीकरण व आरक्षण के जरिए वंचित-पिछङे समाज के प्रतिनिधित्व के खिलाफ सरकार की नीतियां सवालों के घेरे में हैं।
यूपीएससी की 927 पदों के भर्ती परीक्षा परिणाम में 829 पदों के लिए परिणाम घोषित कर 98 नियुक्तियों को लेकर सरकार कटघरे में है तो वहीं प्रदेशो की भाजपा शासित सरकारें तीन साल के लिए श्रम कानून का निलंबन और विरोध होने पर चार महीने बाद एक हजार दिन के लिए श्रमकानूनों में उद्योंगों को छूट देने की कूटनीतिक घोषणा करती है। ऐसे में श्रमिकों के अधिकार छीन उद्योगतियों को कानून से राहत देने पर सरकार के खिलाफ विरोध जोरों पर है। रेलवे स्टेशनों के निजीकरण के साथ ट्रेनें भी प्राइवेट की गयी है। वर्ष 2020 की शुरुआत से ही रेल मंत्रालय ने 50 रेलवे स्टेशनों और 150 ट्रेनों के निजीकरण के लिए एक कमेटी बनाई और निजीकरण के लिए कदम आगे बढ़ाये। प्राइवेट तेजस ट्रेन का संचालन इसी का हिस्सा है। गौरतलब है देश की लाइफलाइन कही जाने वाली रेलवे सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली पूर्ण स्वामित्व की सरकारी संस्थान रही है। इसी के साथ एयरपोर्ट को भी निजीकरण की लाइन में खड़ा कर दिया है। सरकारी एयरलाइनस कंपनी एयर इंडिया को भी निजी हाथों बेचा जा रहा है। पहले से निजी शिक्षण संस्थानों की बाढ़ लाइ गयी है फिर इनकी फीस पर अंकुश लगाने को लेकर सरकार मुँह बांध जाती है। फ़ीस वृद्धि पर लोग सड़कों पर भी उतर रहे है। पुरातात्विक धरोहर लालकिला का निजीकरण, सरकारी कॉन्ट्रेक्ट में खेल, गैर संवैधानिक सवर्ण आरक्षण पर भी सरकार को लोगों ने घेरा है।
स्वरोजगार के जरिये जीवन यापन करने वाले हेमंत और अजीत बताते है कि बेरोजगारी में देश में रिकॉर्ड बनाया है अब तक सरकार नौकरियां तो दे नहीं पा रही वही एक अनुमान के मुताबिक देश में ‘पिछले 4 महीनों में क़रीब 2 करोड़ लोगों ने नौकरियां गंवाईं है। सरकार की नीतियों का खोट ही है कि आरबीआई ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारत को सतत वृद्धि की राह पर लौटने के लिए तेजी से और व्यापक सुधारों की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीबों पर सबसे मुश्किल मार पड़ी है। गरीब तबका और गरीब हो सकता है। मजदूर- किसान रोटी तक को मोहताज़ है। कोरोना संक्रमण में भारत दुनियां में दूसरा स्थान बना चुका है और इस महामारी में निजी अस्पतालों की चांदी हुई है। सरकार की देश के एक बड़े तबके के जनहित विरोधी नीतियों के खिलाफ सोशल साइट् पर मुहिम तेजी से बाद चली है। ऑनलाइन इस मुहीम में हैस टैग खूब ट्रेंड करते है।
दिलीप मंडल ने खुद किया ट्विटर फेसबुक डिएक्टिव
सोशल साइट्स पर खबर वायरल हुई कि सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहकर सरकार की आलोचना के चलते वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल का फेसबुक व् ट्विटर अकाउंट बंद कर दिया गया है। बीएचयू के प्रोफ़ेसर डॉ. राहुल राज की वाल पर श्रवण पासवान की पोस्ट के हवाले से लिखा है कि सामाजिक न्याय आंदोलन के सबसे बड़े लेखक, चिंतक ब्लॉगर प्रोफेसर दिलीप मंडल का ट्विटर अकॉउंट बंद करने के साथ ही फेसबुक अकॉउंट भी बंद कर दिया गया है, पिछले दिनों इन्होने UPSC घोटाले का पर्दाफास किया था जिसके कारण UPSC को 3 बार सफाई देनी पड़ी थी और सरकार के दलित, पिछड़े विरोधी चेहरे सबके सामने आए – इस पर जन सामना ने दिलीप मंडल से फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने साफ किया की उन्होंने खुद ही अपना अकाउंट डिएक्टिवेट किया है। डिएक्टिवेट किये जाने की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी।