हरियाणवी गोवंश के साडो को बेचकर जिम्मेदारों ने किया खेल
प्रयागराज, वी. डी. पाण्डेय। योगी सरकार भले ही लाखों दावे कर ले की गौशाला में गायों की व्यवस्था बहुत ही उत्तम है। लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। विकासखंड भगवतपुर के ग्राम पंचायत खटंगी के तिगरा ग्राम में एक गौशाला का निर्माण करवाया गया था। लेकिन वहां आज एक भी गाय या उसका बछड़ा उपलब्ध नहीं है ग्रामीणों की माने तो कुछ समय पहले थाना धूमनगंज पुलिस ने तस्करों से अच्छे हरियाणवी वंशी के सांड बरामद किए थे जिनको यहां लाकर रखा गया था लेकिन ग्राम सचिव व ग्राम प्रधान ने ऐसा खेल किया कि आज यहां पर एक भी सांड शेष नहीं है। जब इसके बाबत जानकारी जुटाई गई तब ग्राम प्रधान वीरेंद्र कुमार व ग्राम सचिव गुलाब सिंह ने चोरी हो जाने की बात बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया। अब बात समझ से परे है कि जब गौशाला में एक व्यक्ति रखवाली करता था और बाड़े के चारों तरफ बड़ी खाई बनाई गई थी लोहे का गेट लगा था तब इतनी संख्या में सांड चोरी कैसे हो गए।
सूत्रों की माने तो चोरी की कहानी गढ़ कर जिम्मेदारों ने बड़ा खेल किया और अब विवाद की बात कह कर गौशाला को खंडहर बनने के लिए छोड़ दिया गया है। यदि सरकार इसकी जांच कराएं तो दूध का दूध और पानी का पानी होना तय है। जहां एक ओर आवारा पशुओं से किसानों की फसल चौपट हो रही है वहीं दूसरी ओर लाखों रुपए की लागत से बनी गौशाला खंडहर में तब्दील हो चुकी है। गौशाला के नाम पर बंदरबांट हो रहा है। अगर देखा जाए तो गौशालाओं की हालत में कोई सुधार नहीं आ रहा है लेकिन गौ संचालक और उससे जुड़े अधिकारियों की हालत में बहुत अच्छा सुधार हो रहा है। गौशालाओं की हालत दुर्दशा पूर्ण होती जा रही है तो वही गौ संचालक मालामाल होते जा रहे हैं। जिम्मेदार धृतराष्ट्र की तरह आंखें बंद कर बैठे हैं और इसका खामियाजा सड़कों पर भटकने वाले गोवंश व ग्रामीणों को अपनी फसल की बर्बादी के रूप में भुगतना पड़ रहा है। गौ संचालकों की दबंगई और अधिकारियों की सांठगांठ के चलते कोई भी उनके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाता और गौशाला के नाम पर खेल चल रहा है। वैसे तो अपने आप को तमाम गौ भक्त कहने वाले लोग जिले में मिल जाते हैं लेकिन गायों की हालत से उन्हें कोई मतलब नहीं है। बस उन्हें तो मतलब है अपनी नेतागिरी की दुकान चमकाने से अब देखने वाली बात यह होगी कि ऐसे भ्रष्टाचारियों पर योगी सरकार की चाबुक आखिर कब चलती है।