रसूलाबाद/कानपुर देहात, संतोष गुप्ता। कोरोना महामारी के चलते गरीबो के सामने रोजी रोटी की विकराल समस्याएं खड़ी हो गयी है अब आलम यह देखा जा रहा कि छोटे-छोटे बच्चों को भी बाहर सड़को पर निकल कर भीख मांगने को मजबूर होते देखा जा है।
पेट की भूख और परिवार की आहें जो न कराएं कम है। बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से हर कोई परेशान है। इस चित्र में देखा जा रहा प्यारा सा बालक हाथ में सर्प की पिटारी लिए अपने पेट की भूख को शांत करने के लिए घर-घर घूम-घूम कर सर्प को दिखा कर लोगो से पैसे मांग रहा है जिसमे भी कुछ लोग देते कुछ ताने मारकर उसकी गरीबी का मख़ौल उड़ाते हैं।
आज जिन हाथों में कलम किताबें और लैपटॉप होनी चाहिए उन हाथों में बेरोजगारी का कटोरा है। ऐसा नही है इन मासूम बच्चों को पढ़ने लिखने का हौसला नहीं होता है। होता है साहब लेकिन इनकी मजबूरी इनको आगे नहीं बढ़ने देती। बल्कि अपनी उसी पुरानी परंपरा में रंग जाते हैं और शरीर में धोती, कंधों में पोटली और हाथ में सर्प की पिटारी लेकर सड़क सहित गांव गलियों की धूल फांक रहे हैं। देश को आजाद हुए भले ही 72 साल हो गए हो लेकिन आज भी ऐसी तस्वीरें देखने को मिल जाती हैं जो हर इंसान को सोचने पर विवश कर देती हैं। जब इस बालक को हाथ में सर्प का पिटारा लिए देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और पहले वह कार्य किया जिसकी उसे जरूरत थी तदोपरान्त उसका चित्र लिया। ताकि लोग इस चित्र को देखकर ज्यादा नहीं कुछ तो विचार करें। आज दुर्भाग्य है इन बच्चों का जिनके पढ़ने की उम्र में यह गरीबी के कारण अपना पुश्तैनी काम करते चले आ रहे है।