Saturday, November 30, 2024
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आदत से मजबूरः चालबाज चीन की चालाकियाँ

प्राचीन काल से भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध रहे हैं। परंतु सीमा विवाद का भी अपना एक इतिहास है। जिसके तीन प्रमुख सैन्य संघर्ष हैं- 1962 का भारत चीन युद्ध 1967 का चोल घटना 2017 में डोकलाम क्षेत्र में विवाद और हाल ही में मई महीने के अंत में गए गलवान नदी की घाटी में भारतीय सड़क निर्माण पर चीन को आपत्ति थी जो 25-26 जून को काफी उग्र झड़प हुई और दोनों तरफ के कई सैनिक मारे गए। खास तौर पर भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए।
इस झड़प के बाद दोनों देशों ने शांति पूर्वक विवाद सुलझाने की कोशिश की परंतु विवादित सीमा क्षेत्रों में चीन तेजी से बड़े पैमाने पर अपने बुनियादी ढांचे को बढ़ा रहा है तो इसी बीच भारत ने भी 12000 अतिरिक्त श्रमिकों व सीमा सड़क संगठन (बी आर ओ) के साथ बुनियादी ढांचा पूरा किया गया गलवान घाटी की घटना के पूर्व संपूर्ण देश में आक्रोश उत्पन्न हुआ जो गुस्सा चीनी उत्पादों के बहिष्कार के रूप में फूटा वहीं सरकार ने भी अपनी कार्यवाही पूरी करते हुए चीनी एप्स पर कड़ा प्रतिबंध लगाया सबसे लोकप्रिय टिक टाॅक पर।
अब अगस्त महीने के अंत तक आते हुए भारत ने भी चीन को उसकी भाषा में समझा दीया उसकी कमर व्यवसायिक रूप में तोड़ी आत्मनिर्भर भारत के तहत व सीमा क्षेत्रों पर भी। चीन हमेशा कमांडर लेवल की बातचीत के दिखावे के दौरान अवैध तरीके से सीमा पर कब्जा करता था और सीमा पर डटे वीरों के साथ उग्र झड़प पर उतर आता था परंतु इस बार भारत की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) जिन्होंने 1962 के युद्ध पूर्व चीन को खदेड़ा था। उन्हीं वीरों ने चूशूल घाटी व पैंगोंग सो नदी के दक्षिणी किनारे की तरफ रेकिन पीक को वापस हासिल कर लिया जो चीन ने 1962 की लड़ाई में कब्जा कर लिया था। साथ ही भारतीय सैनिक दमचोक व चुमर पर अपना प्रभुत्व बनाए हुए हैं व नजर लहासा काशगर हाईवे पर भी रखी है जो चीनी सेना का मुख्य रसद की आपूर्ति है। हालांकि हमारे एक वीर कंपनी लीडर नयामा तेंजिन इसी एस एफ एफ के शहीद हो गए उनका पार्थिव शरीर तिरंगे व पहाड़ी शेर (आजाद तिब्बत का ध्वज) में लिपटा हुआ अपने गांव आया। अनेकों तिब्बती व नेपाल के कई लोग हमारी सेना में शामिल हो चुके हैं और डटकर दुश्मन का सामना करते हैं उन्हें स्थानीय क्षेत्रों का ज्ञान भी है।वर्षों से चीन अपने आसपास व दक्षिणी समुद्र में अपना एकाधिकार जमा रहा है और कितने ही देशों को निगल चुका है तिब्बत का तो अस्तित्व ही खत्म हो चुका है। दक्षिणी समुद्र में चीन की दादागिरी है विश्व की पूरी अर्थव्यवस्था व सैनिक बल यहीं से चलाता है। इसीलिए अब अमेरिका से लेकर जापान फ्रांस व भारत अपने लड़ाकू समुद्री जहाजों पर लड़ाकू वायु जहाज तैनात कर रखे हैं क्योंकि अब चीन पर रत्ती भर भरोसा नहीं है।
यह सब देखते हुए भारत ने चीन के 118 ऐप पर प्रतिबंध लगाया है सबसे लोकप्रिय पब्जी, इससे चीन को काफी आपत्ति व आक्रोश है। हमारे सेना अध्यक्ष श्री एम एम नरवाणे लद्दाख के दौरे पर गए सीमा की स्थिति का जायजा लेने व हमारे वीरों का हौसला बुलंद करने हालांकि हौसला तो तभी बुलंद हो गया था जब हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी लद्दाख गए थे। श्रीनगर लेह लद्दाख हाईवे पर अब सिर्फ सेना संबंधी आवा जाही ही हो रही हैं, कोशिश है कि सर्दी तक सारा सामान खासकर खाद्य पदार्थ इस हाईवे के सहारे से वहां पहुंचा दिए जाएं। विशेषज्ञों के अनुसार चीन हमेशा से मार्च से अक्टूबर के महीनों तक अवैध गतिविधियां करता है और सर्दी होते ही पहाड़ी इलाकों से भाग जाता है।
अब यह नया भारत है जो जवाब देना भी जानता है और घर में घुसकर दुश्मन को मारना भी जब उसके साथ कोई गलत बात होती है! भारत ने कभी पहल नहीं की ना ही विस्तारीकरण करा है पर जो अपना हक है अब वह छोड़ेगा नहीं!