मुलभूत सुविधाओं के अभाव में ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में रहने वालों की संख्या जिस तरह से बढ़ी है और अभी भी बढ़ने की उम्मीद है वह विचारणीय है। वहीं केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री द्वारा दी गई जानकारी में शहरीकरण की चुनौतियों का सामना करने संदेश छुपा है। क्योंकि मंत्री जी की जानकारी पर प्रकाश डालें तो आगामी वर्ष 2030 तक देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी शहरों में रह रही होगी। इसका मतलब यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों से लोग अपना किनारा करते हुए शहरों की आबादी बढ़ा देंगे यानीकि लोग ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं रहना चाहते हैं! इसका कारण खोजना जरूरी है। अगर इसका कारण खोजा जायेगा तो शायद यही निष्कर्ष सामने आयेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों तमाम मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता वो नहीं है जिसकी जरूरत है। आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में समुचित चिकित्सा और शिक्षा का अभाव है और वर्तमान में हर व्यक्ति चिकित्सा और शिक्षा का महत्व समझते हुए शहरों की ओर अपना रूख कर रहा है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि शहरी क्षेत्र का आधारभूत ढांचा वैसा है जिसकी जरूरत है? बिल्कुल वर्तमान की स्थितियों से सबक लेते हुए भविष्य को ध्यान में रखते हुए शहरी ढांचे को संवारने का काम यु( स्तर पर किया जाए ताकि वे बढ़ी हुई आबादी का बोझ भविष्य में सहने में सक्षम हों।वर्तमान पर अगर गौर करें तो शहरी क्षेत्र की मुख्य समस्या यह भी है कि जिन शहरों के नए इलाकों का अनियोजित और मनमाने तरीके से विकास हो जाता है वहां गंदगी, जलभराव, प्रदूषण, बदहाल यातायात, हर तरफ अतिक्रमण का बोलबाला आदि अपनी मौजूदगी दर्शाते हैं। वहीं शहरीकरण से जुड़े ज्यादातर विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते और जिम्मेदारों की जवाबदेही के अभाव के चलते कठिन समस्या उत्पन्न हो जाती है और सरकारी धन का दुरुपयोग होता है साथ जनता परेशान हो उठती है।
इसमें संदेह दिख रहा है कि केंद्र सरकार की सहायता से शहरों को स्मार्ट सिटी में परिवर्तित करने की योजना भी शिथिल दिख रही है। इस योजना से उम्मीद थी शहरों की सूरत बदली जा सकेगी, लेकिन उदासीनता के चलते निराशा ही दिख रही है। ऐसे में यह समझने की सख्त जरूरत है कि शहरी नगर निकायों की कार्यप्रणाली बदली जाये अन्यथा शहरों को सजाने-संवारने का काम समुचित ढंग से नहीं किया जा सकता है।
अतएव केंद्र सरकार देश के सभी राज्यों को कड़ा निर्देश दे कि वे शहरीकरण की चुनौतियों व परेशानियों को ध्यान में रखते हुए ऐसी योजनाएं बनाई जाएं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरों जैसी सुविधाएं जैसे-शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार आदि उपलब्ध करायें जिससे कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर रुख करने वालों की सोंच बदले और ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन करने वालों की संख्या पर रोक लग सके।