Saturday, November 30, 2024
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जिमी लाइरू जिनसे चीन की सरकार डरती है

विश्व में सुपरपावर बनने की चाह रखने वाले चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हकीकत में एक डरपोक व्यक्तित्व वाले लोग हैं। चीन की सीमा लगभग 20 अलग-अलग देशों से लगी है। इन तमाम देशों से चीन का सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। चीन की सरकार अपनी जनता से भी हमेशा डरी रहती है। अपने लोगों की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए चीन की सरकार ने अपने देश में सीसीटीवी कैमरे का एक विशाल नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चीन की विशाल जनसंख्या के हर आदमी के एक-एक मिनट की जानकारी ये कैमरे लेते रहते हैं। चीन की जनता आनी सरकार से नाराज है। चीन अपने देश के अल्पसंख्यकों उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार कर रही है और उन्हें परेशान करने के लिए कैंपों में धकेल रही है। चीन ऐसा ही व्यवहार तिब्बत की जनता के साथ भी कर रही है। तिब्बत पर कब्जा करने के बाद चीन की सरकार ने उनके धर्म और संस्कृति की रक्षा करने की बात कही थी। पर अब तिब्बत की धर्म-संस्कृति को नष्ट करने के लिए चीन की सरकार उन पर जोर-जुल्म कर रही है।
इन सभी घटनाओं में चीन का डरपोक स्वभाव साफ दिखाई दे रहा है। चीन पड़ोसियों से डर रहा है। चीन अपनी जनता से डर रहा है। हद तो तब हो गई, जब चीन हांगकांग के 73 साल के बूढ़े व्यक्ति जिमी लाइ से भी डर रहा है। जिमी लाइ एक अखबार के मालिक हैं और चीन की सरकार के अत्याचारी कारनामों के खिलाफ निर्भीकता से आवाज उठाते हैं। परिणामस्वरूप चीन की सरकार समय-समय पर उन्हें गिरफ्रतार करती रही है। परंतु जिमी लाइ चीन सरकार के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं। हकीकत यह है कि चीन की सरकार अपने सामने आंख उठाने वाले हर किसी से डर रही है और अपनी ताकत दिखा कर उसे डराने की कोशिश कर रही है। जबकि जिमी लाइ अकेले चीन की सरकार से दो-दो हाथ कर रहे हैं।
अखबार के मालिक जिमी लाइ की कहानी भी जानने लायक है। हांगकांग के उत्तर-पश्चिम मेें मेनलैंड चीन का एक शहर है ग्वानचो। इसी शहर में सन 1948 में जिमी लाइ का जन्म हुआ था। जिमी लाइ का परिवार काफी अमीर था, पर 1949 में जब चीन में कम्युनिस्टों ने सत्ता संभाली तो जिमी के परिवार की तमाम संपत्ति जब्त कर ली गई। 1960 में चीन की सरकार से त्रस्त होकर जिमी का परिवार एक नाव में सवार होकर हांगकांग भाग गया। उस समय जिमी की उम्र 12 साल थी। हांगकांग में परिवार की मदद के लिए जिमी को जहां काम मिला, वहीं मजदूरी की। कुछ दिनों बाद उन्हें एक कपड़े की फैक्ट्री में काम मिल गया। इस फैक्ट्री में अपनी योग्यता की बदौलत जिमी मैनेजर के पद तक पहुंच गए और देखते-देखते उन्होंने अपनी फैक्ट्री शुरू कर दी। उस समय जिमी की उम्र 25 साल थी। जिमी ने गिरडा का ब्रांड शुरू किया। देखते-देखते दुनिया के 30 देशों में गिरडा के कपड़े बेचने वाली 2400 दुकानों की पूरी एक चेन खड़ी हो गई। इस तरह जिमी लाइ हांगकांग में एक सफन बिजनेसमैन के रूप में स्थापित हो गए।
4 जून, 1989 को चीन की सरकार ने आंदोलनकारी छात्रेें पर टैंक चलवा दिया, जिसमें 10,000 लोगों की मौत हुई। चीन की सरकार के इस नृशंस हत्याकांड से पूरी दुनिया में खलबली मच गई। इस नरसंहार पर न्यूयार्क टाइम्स में एक लेख छपा था, जिसमें बताया गया था कि चीन में हुए इस नरसंहार का हांगकांग पर क्या असर हुआ है? 1997 में जब हांगकांग चीन के हाथों में सौंपा जाएगा, तब चीन की सरकार से डरे हुए हांगकांग के उद्योगपतियों को अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। इस लेख में हांगकांग के उद्योगपतियों के इंटरव्यू भी छपे थे, जिसमें उद्योगपति के रूप में जिमी लाइ ने कहा था कि मेरा जन्म चीन में हुआ है। परंतु कभी मैं चीन से जुड़ नहीं सका। जन्मभूमि के लिए थोड़ा लगाव था, पर तियानमेन नरसंहार ने बहूुत कुछ बदल दिया। इस नरसंहार की खबर सुन कर में बहुत रोया। हमारे चीन की हालत यहूदियों जैसी है। हम एक तारनहार की राह देख रहे थे। तियानमेन में मारे गए छात्र हमारे तारनहार थे। पर अब सब खत्म हो गया। अब तक मैं पैसा कमाने में लगा था, पर अब मैं अपने आदर्शों के अनुसार काम करूंगा।
चीन में हुए नरसंहार के बाद जिमी लाइ की जैसे जिंदगी ही बदल गई। वह उद्योगपति से एक एक्टविस्ट बन गए। हांगकांग में चीन के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में वह भाग लेने लगे। हांगकांग में चीन के खिलाफ खड़े होने वाले संगठनों को डोनेशन भी देने लगे। उस बीच एक तरफ हांगकांग के अमीर ब्रिटेन, कनाडा, आस्टेªलिया जैसे देशों की नागरिकता के लिए दौड़-भाग कर रहे थे, तो वहीं जिमी लाइ ने हांगकांग में अपना एक मीडिया हाउस चालू किया। उनके मन में चीन की सरकार के प्रति काफी रोष था। अपने अखबार में उन्होंने चीन की सरकार के बारे टिप्पणी करनी शुरू की। देखते-देखते जिमी लाइ का टेब्लॉइड एपल डेली हांगकांग में फेमस हो गया। 1995 में शुरू हुआ यह टेब्लॉइड 1997 में हांगकांग में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक बिकने वाला अखबार हो गया।
1997 में हांगकांग चीन के हाथों सौंप दिया गया। चीन की सरकार की होगकांग में दखलंदाजी बढ़ गई। चीन सरकार को एपल डेली में आने वाली खबरों और लेखों से तकलीफ होने लगी। क्योंकि हांगकांग में चीन के खिलाफ जो आंदोलन चल रहा था, उसमें जिमी लाइ बेखौफ हिस्सा ले रहे थे। भाषण भी देते थे और अपने अखबार में सरकार के खिलाफ लेख भी छापते थे। देखते-देखते जिमी लाइ हांगकांग में एक जाना-पहचाना चेहरा हो गए। जिमी लाइ अब चीन की सरकार को पैर में घुसे कांटे की तरह खटकने लगे थे। चीनी सरकार ने अपना गुस्सा उनके बिजनेस पर उतारा। गारमेंट के धंधे में चीन की सरकार ने जिमी लाइ को इस तरह परेशान किया कि उन्हें अपना पूरा बिजनेस ही बेचना पड़ा। चीन की सरकार ने जिमी लाइ को सीआईए का एजेट घोषित कर दिया। चीन की सरकार के दबाव में हांगकांग की कंपनियों ने जिमी लाइ के अखबार को विज्ञापन देना बंद कर दिया। फरवरी, 2020 में हांगकांग की अथॉरिटी ने चीन के कहने पर जिमी लाइ को गिरफ्रतार कर लिया। उन पर गैरकानूनी रूप से सभाओं में भाग लेने और लोगों को सरकार के खिलाफ उकसाने का आरोप लगाया गया।
इस गिरफतारी के बाद छूटने पर जिमी का जोश दोगुना हो गया। मई, 2020 में चीन की सरकार हांगकांग ने विवादास्पद सिक्युरिटी बिल ले आई, जिसके विरोध में हांगकांग में भारी उपद्रव मचा। जिमी इस सब में सबसे आगे रहे। अपने अखबार में जिमी ने पहले पेज पर अमेरिका के प्रेसीडेंट को एक खुला पत्र लिखा था, जिसमें हांगकांग को चीन के शिकंजे से बचाने की अपील की गई थी। जबकि तमाम विरोध को दबा कर चीन ने 1 जुलाई से सिक्युरिटी बिल को हांगकांग में लागू कर दिया। इस बिल के आने के बाद चीन की सरकार विरोध करने वालों को आसानी से गिरफ्रतार कर सकती थी। अब जिमी लाइ को कभी भी गिरफ्रतार किया जा सकता था। इसके पहले भी जिमी लाइ के आफिस और घर पर न जाने कितनी बार अंजान लोगों द्वारा हमला किया जा चुका था। एक बार तो उनके आफिस और घर पर पेट्रोल बम भी फेंके गए थे। परंतु िजमी लाइ अडिग रहे। 10 अगस्त, 2020 को जिमी लाइ को एक बार फिर गिरफ्रतार किया गया। उनके साथ उनके दो बेटों के अलावा अखबार से जुड़े तमाम लोगों को भी गिरफ्रतार किया गया। एपल डेली के आफिस पर छापा मारा गया। जिमी लाइ यह सब जानते थे। 29 मई के न्यूयार्क टाइम्स के उन्होंने अपने एक लेख में कहा था कि ‘मैं जानता हूं कि मुझे जेल में डाल दिया जाएगा, परंतु हांगकांग के लिए मेरा यह संघर्ष चलता रहेगा। हांगकांग की आजादी और अपने नागरिक अधिकार के लिए हम लड़ रहे हैं। आखिर दुनिया को पता चलना चाहिए कि दुनिया की शांति के लिए चीन कितना खतरनाक है।’
10 अगस्त को चीन की सरकार ने जिमी लाइ को गिरफ्रतार किया तो अगले दिन जिमी लाइ के अखबार एपल डेली के पहले पेज पर हथकड़ी लगी फोटो उनकी छपी। साथ में लिखा गया था कि आजादी के लिए हमारी लड़ाई चलती रहेगी। जिमी की गिरफ्रतारी के बाद उनका अखबार चलाने वाली कंपनी नेक्स्ट डिजिटल के शेयर में 331 प्रतिशत का उछाल आया। उस दिन एपल डेली की 5 लाख प्रतियां बिकीं, जो रोज के सरक्युलेशन का दोगुना था। जिमी की गिरफ्रतारी का पूरी दुनिया से विरोध हुआ, जिसके कारण 13 अगस्त को चीन सरकार को उन्हें आजाद करना पड़ा।
जिमी जेल से बाहर आए तो उनका हीरो जैसा स्वागत हुआ। जेल से छूटने के बाद जिमी ने मीडिया के सामने जरा भी डरे बगैर कहा कि जब तक चीन नहीं बदलेगा, दुनिया में शांति नहीं आ सकती। हांगकांग में लोकतंत्र के लिए प्रदर्शन करने वाले आंदोलनकारियों ने भी जिमी को चेताया कि अब उन्हें सावधान रहना होगा। क्योंकि अब सरकार जुल्म करने पर उतर आई है। जिमी लाइ के पास ििब्रटश पासपोर्ट है। परंतु जिमी हांगकांग के दूसरे उद्योगपतियों की तरह चीन की सरकार से घबराकर देश छोड़ कर जाना नहीं चाहते। 73 साल के जिमी लाइ का कहना है कि मरते दम तक मेरी लड़ाई चीन की सरकार से चलती रहेगी। चीन की सरकार इस 73 साल के युवा से घबरा रही है।
-वीरेन्द्र बहादुर सिंह, नोएडा (उप्र)