हाथरस, नीरज चक्रपाणि। किसानों को लूटने का कुचक्र रच कर ऐसे-ऐसे अध्यादेश ला रहे हैं जिससे किसान, व्यापारी इन मल्टीनेशनल कंपनियों के गुलाम बनकर रह जायें।आढतियां एसोसिएशन के तत्वावधान में मंडी सचिव के ऑफिस पर धरना प्रदर्शन कर व्यापार विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जो व्यापारी सरकार की रीढ़ की हड्डी होता था। आज सरकार उस व्यापारी को तहस-नहस कर बेरोजगार बनाने पर तुली हुई है। सरकार की दोगली नीतिया मंडी परिसर के व्यापार को तबाह कर रही है। मंडी परिसर के बाहर कोई शुल्क नहीं और मंडी परिसर के अंदर ढाई प्रतिशत का शुल्क व्यापार को असहज बना रही है जब यह किसान और व्यापार मल्टीनेशनल कंपनियों के कब्जे में हो जाएगा तो ऐसी मल्टीनेशनल कंपनियां किसानों और व्यापारियों का जमकर शोषण करेंगी, जो पाँलिसी यूरोप और अमेरिका में फेल हो चुकी हैं। उन पॉलिसियों को भारत सरकार अपने यहां लाकर एक बार फिर अराजकता की स्थिति पैदा करना चाह रही है। एक ईस्ट इंडिया कंपनी आई उसने देश पर 200 साल तक राज किया। आज अगर कई मल्टीनेशनल कंपनियां आकर किसानों के खेतों को, फसलों को और व्यापार को अपने कब्जे में ले लेगी तो एक बार देश फिर गुलामी की ओर चला जाएगा।सरकार गन्ना किसानों का भुगतान तो करा नहीं पा रही है। जो किसान सीधे गन्ना मिलों को गन्ना देते हैं उनका करोड़ों-अरबों रुपए आज भी उन मिल मालिकों पर बकाया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी जल्द से जल्द भुगतान के दिशा निर्देश, आदेश दिए गए हैं। लेकिन सरकार उन गन्ना किसानों का भुगतान तो करा नहीं पा रही है। ऐसी स्थिति भी गल्ला मंडियों में भी लाना चाह रही है। जिससे किसानों का करोड़ों-अरबों रुपए मल्टीनेशनल कंपनियों पर बकाया हो जाए और किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाए। किसान-व्यापारी विरोधी नीतियों को सहन नहीं किया जाएगा और एक समान मंडी शुल्क ना होने तक यह संघर्ष और लड़ाई जारी रहेगी। इसी संदर्भ में सदर विधायक हरीशंकर माहौर को ज्ञापन देकर सरकार तक अपनी बातों को पहुंचाने का कार्य आढतियां वर्ग करेगा, जब मंडी परिसर के बाहर कोई मंडी शुल्क नहीं है तो मंडी के अंदर भी मंडी शुल्क को खत्म किया जाए। इन्हीं मांगों को लेकर यह संघर्ष जारी है। धरना प्रदर्शन में महामंत्री उमाशंकर वार्ष्णेय, प्रवीन वार्ष्णेय मुकेश बंसल, नरेंद्र बंसल, राजेश कुमार वार्ष्णेय , बौहरे विनोद शर्मा, मनीष अग्रवाल, अमन बंसल, मदनलाल, संजय कुमार, भोला शंकर शर्मा, अमित शर्मा, अशोक कुमार गोयल, राधा रमन शर्मा, बंसीलाल, पवन ऐहन, दीपक अग्रवाल, नरेंद्र बंसल, प्रशांत शर्मा, अनिल गुप्ता, भानु प्रकाश, रोहित शर्मा, कुलदीप वार्ष्णेय, विष्णु अग्रवाल, पवन वार्ष्णेय, हरीश वार्ष्णेय, कुवरपाल, रामकुमार, नवनीत वार्ष्णेय, प्रदीप, विशन वार्ष्णेय आदि सैकड़ों व्यापारी उपस्थित थे।