हमीरपुर, अंशुल साहू। लॉकडाउन को ध्यान में रखकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वर्णिता संस्था के तत्वावधान में जिनका देश ऋणी है, के अंतर्गत मां भारती की शूर पुत्री मैडम भीखा रुस्तम कामा की जयंती 24 सितंबर को आयोजित की गई। संस्था के अध्यक्ष डॉ0 भवानीदीन ने कहा की मैडम कामा वास्तव में सच्ची देशभक्त थी। मैडम कामा एक साहसी महिला थी, जिन्होंने 1907 में जर्मनी के स्टुटगार्ट में भारत का पहली बार झंडा फहराया था। मैडम कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को एक सम्पन्न पारसी परिवार में मुंबई में सोराबजी फ्रामजी पटेल के घर हुआ था। मां का नाम जीजाबाई था। बाल्यावस्था से ही कामा की सामाजिक और राजनीतिक सोच मजबूत होती गई। शुरु से ही कामा में गोरो के प्रति विद्रोही भावना जन्म ले चुकी थी। अंग्रेजों के दमन ने उनके विप्लवी विचार को आगे बढ़ाने में आग में घी का काम किया। उन्होंने यूरोप में 5 वर्षों तक रहकर विभिन्न समस्याओं का अध्ययन किया। मैडम कामा का विवाह 1885 में प्रसिद्ध व्यापारी रुस्तम कामा से हुआ था। 1896 में मुम्बई मे भयन्कर रुप से प्लेग फैला। इस अवसर पर अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बगैर जनता की बहुत सेवा की। वे 1902 मे लन्दन गयीं, जहां पर उनकी दादा भाई नौरोजी से मुलाकात हुई। दादा भाई के विचारों से प्रभावित हुई। वे अरविंद घोष और तिलक के विचारों से भी प्रभावित हुई। वे लंदन में बसने से पूर्व जर्मनी, स्काटलैण्ड और फ्रान्स में एक वर्ष बिताये। वहां रहकर देश की आजादी के लिए काम किया। मैडम कामा ने जर्मनी के स्टुटगार्ट मे सम्मेलन में भारत के पहले राष्ट्रीय ध्वज को फहराकर कहा कि भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति मिलनी चाहिए। उन्होंने स्वराज के लिए आवाज उठाते हुए कहा कि आगे बढ़ो, हम भारत के लोग हैं। भारत भारतीयों के लिए है। उनके देश की आजादी के किए गए कार्यो के आधार पर उन्हें भारतीय क्रांति की माता कहा गया। विदेशों में उन्हें भारतीय राष्ट्रीयता की महान पुजारिन के नाम से ख्याति मिली। वन्दे मातरम और तलवार नामक पत्र निकाले, जिनमें गोरो के विरोध और क्रान्तिकारियों के योगदान को प्रमुखता मिलती थी। कालांतर में इस महान नेत्री का 13 अगस्त 1936 को मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया। उनके आखिरी शब्द वंदे मातरम निकले थे। कार्यक्रम मे अवधेश कुमार गुप्ता एडवोकेट, राजकुमार सोनी, राधारमण गुप्ता, व्रन्दावन गुप्ता, दिलीप अवस्थी, गौरी शंकर, चन्द्र पाल सिहं सचान, रमेश गुप्ता और प्रान्शू सोनी आदि मौजूद रहे।