Saturday, November 30, 2024
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हाथरसः देश की बेटी का गैंगरेप प्रकरण…

‘‘प्रेम प्रसंग-मारपीट-मौत ?’’
99 प्रतिशत फेसबुकिया मठाधीशों को नहीं पता होगा कि ये पूरी घटना क्या है? लेकिन इस घटना पर विचार करें तो यह घटनाक्रम शुरुआत से ही बेहद पेचीदा एवं संस्पेंस पूर्ण रहा है। मृतका की माँ के बयान के अनुसार बिटिया (मृतका) खेत में काम कर रही थी और वहीं कुछ दूरी पर उसकी भी मौजूदगी थी! मृतका की माँ का कहना है कि मेरी बेटी (पीड़िता) को संदीप नामक युवक बाल पकड़कर खेतों में ले गया और एक घंटे बाद मेरी बेटी विक्षिप्त अवस्था में मिली…!
वहीं जब पुलिस ने प्रश्न किया कि आप वहां मौजूद थी तो आपने पीड़िता की चीख पुकार क्यों नहीं सुनी ?
तो पीड़िता की माँ का कहना था कि उसे सुनाई नहीं देता है यानिकि उसे कम सुनाई पड़ता है! इस लिये वह बेटी की चीख-पुकार नहीं सुन पाई।
वहीं आरोपी पक्ष के पैरोकारों का कहना है कि मृतका व आरोपी संदीप के बीच प्रेम प्रसंग था और इससे पहले भी इसी बात को लेकर दोनों पक्षों में कई बार वाद-विवाद हो चुका था। लेकिन प्रेमी युगल किसी की मानने को तैयार नहीं थे।
वहीं सूत्रों की मानें तो घटना के दिन भी पीड़िता/मृतका अपने प्रेमी संदीप से मिलने गईं थी। इसकी भनक जब पीड़िता के परिजनों को लग गई तो उन्होंने मौके पर जाकर सब कुछ वही देखा जिससे उन्हें ऐतराज था। आक्रोश में आकर उन्होंने ही पीड़िता की जमकर पिटाई कर दी। जिससे पीड़िता की हालत गंभीर हो गई। वहां के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने भी कुछ ऐसी ही कहानी बयां की है। हालांकि इस घटना के बावत मिली जानकारी की सत्यता की पुष्टि हम नहीं कर रहे बल्कि स्थानीय स्तर के लोगों ने जो बताया है वही लिख रहे हैं। सत्य क्या है यह तो जाँच का विषय है?इस घटना के पहलुओं पर प्रकाश डालें तो शुरुआत में पीड़ित पक्ष द्वारा जो प्राथमिकी स्थानीय थाना में दर्ज करवाई गईं थी वो केवल मारपीट की थी और मामला केवल संदीप तक सीमित था लेकिन एक हफ्ते बाद जब पीड़िता की हालात ज्यादा खराब होने लगी तो मामले का राजनीतीकरण शुरू हो गया। मामले में जातिवाद का रंग भरते हुए इसको जमकर तूल दे दिया गया और तीन अन्य युवकों को अभियुक्त बनाकर गैंगरेप का मामला दर्ज करवाया गया। पीड़िता ने भी अपने बयानों में बलात्कार करने की बात कही है, लेकिन चिकित्सकीय रिपोर्टों में इसका जिक्र नहीं किया गया, सिर्फ चोटों की बात कही गई है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इस रिपोर्ट को किसी दबाव में तो नहीं तैयार किया गया? यह भी गंभीर विषय है और इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिये।
अब मामला वास्तव में क्या है ये तो जांच का विषय है? लेकिन वर्तमान में फेसबुक, ट्वीटर व सोशल साइट्स के साथ ही व्हाट्सएप-यूट्यूब आदि यूनिवर्सिटीज पर अफवाहों का बाजार गर्मागरम है। हर एक व्यक्ति अपने अपने स्तर से अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहा है। कोई आरोपियों की फांसी की मांग कर रहा है तो कोई एनकाउंटर करने की दलील दे रहा है। कोई सरेआम चैराहे पर लटकाने की मांग करहा है, सब अपने-अपने स्तर फैसला दे रहे हैं। ऐसे में प्रतीत होता है कि देश की न्यायव्यस्था का कोई औचित्य व अस्तित्व ही नहीं बचा है। वहीं पूरे मामले को जातिवाद के रंग में सराबोर करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है, साथ ही राजनैतिक दल कोई अवसर नहीं गंवाना चाह रहे हैं और अपनी-अपनी रोटियां सेक रहे हैं।
वहीं देशभर से लोग अपने अपने स्तर से अपना आक्रोश जाहिर कर रहे हैं। जाहिर करना भी चाहिये क्योंकि कहा रहा है कि पीड़िता की जीभ काट दी गईं थी, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गईं, साथ ही पीड़िता के साथ गैंगरेप कर बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गईं थी! अब अगर यह सच है तो लोगों में आक्रोश पनपना स्वाभाविक है। लेकिन ठीक इसके विपरीत हाथरस पुलिस ने अपनी बात कहते हुए अपने स्तर से खंडन किया है। उसका कहना है कि ना ही पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ी गईं थी और ना ही जीभ कटी गईं, हां, मारपीट के दौरान पीड़िता के स्पाइनल कॉर्ड और जीभ में इंजरी आ गई थी।
अब ऐसे में यह तो स्पष्ट होता ही है कि पीड़िता के साथ मारपीट तो की ही गई थी। अब ये मारपीट किसने की, आरोपियों ने या उसके ही परिजनों ने? कहीं यह आॅनर किलिंग का प्रकरण तो नहीं ? यह तो निष्पक्ष जांच का विषय है और निष्पक्ष जांच हो पायेगी यह कहना जल्दबाजी होगी! क्योंकि स्थानीय पुलिस एवं जांच एजेसिंयों पर एक तरफ जन भावनाओं का दबाव रहता है तो दूसरी तरफ सत्ता का!
इस घटना पर पुलिस द्वारा उठाये गये कुछ कदम भी सवालों के घेरे में हैं। ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि मृतका का अंतिम संस्कार रात्रि में ही कर दिया गया और उसके परिजनों की इच्छाओं को नजरअन्दाज कर दिया गया। अगर मृतका का पोस्टमार्टम पुनः यानि कि दुबारा करवा लिया जाता तो शायद ज्यादा उचित रहता लेकिन जल्दबाजी में किये गये अंतिम संस्कार पर सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कोई तथ्य मिटाने के लिये जल्दबाजी की गई। कुछ भी हो लेकिन स्थानीय पुलिस के इस कदम से पूरे देश में उप्र पुलिस की थू-थू जमकर हो रही है! माहौल की नजाकत देखते हुए उप्र के मुखिया योगी आदित्य नाथ ने पाड़िता के परिजनों के प्रति अपनी सान्त्वना व्यक्त करते हुए मुआवजे का ऐलान कर दिया और परिजनों से वीडियो कालिंग के जरिये बात कर न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है। इतना ही नहीं इस मामले की जांच के लिये एक विशेश कमेटी का गठन भी कर दिया है।
कुछ भी हो लेकिन इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जानी चाहिये और मृतका के साथ शीघ्रतिशीघ्र किया न्याय होना चाहिए क्योंकि विलम्ब से मिला न्याय भी न्याय की श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है लेकिन जल्दवाजी में किसी निर्दोष को दोषी नहीं बनाया जाना चाहिये। वहीं जांच के बाद सभी दोषियों को संवैधानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कठोरतम् दंड की सजा मिलनी चाहिये ताकि ऐसे अपराधों को कारित करने वाले बार-बार सोंचे।

-S. S. Panwar