लखनऊ, जन सामना। अंतता देश में पहली बार प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 30 गुना तक अधिक तेज चलते पकड़े गये थे स्मार्ट मीटर लेकिन उच्चाधिकारियो ने दबा ली पूरी रिपोर्ट 1 साल बाद उपभोक्ता परिषद् ने खोज निकाली रिपोर्ट और सभी साक्ष के साथ ऊर्जा मंत्री से की मुलाकात और उठाई उच्च स्तरीय जाँच की मांग और दोषियों पर कठोर कार्यवाही।
मामले की गम्भीरता को देखते हुए प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दिए उच्च स्तरीय जाँच एवं दोषी अभियंताओं व मीटर निर्माता कंपनी के खिलाफ कठोर कार्यवाही के दिये निर्देश और 15 दिन में तलब की रिपोर्ट।
स्मार्ट मीटर तेज चलता है इसकी शिकायत पूरे देश में उपभोक्ताओ की जुबान पर आम बात है लेकिन आज तक किसी भी प्रदेश में स्मार्ट मीटर तेज चलने की जाँच का खुलासा केवल इसलिए नहीं हो पाया क्यों की जो भी उच्चाधिकारी इस प्रोजेक्ट में लगे है। वह सब मीटर निर्माता कंपनी की वकालत करने में मसगूल है। उपभोक्ता परिषद् की शिकायत पर वर्ष 2019 में ही राजधानी लखनऊ में स्मार्ट मीटर कई गुना तेज चलता पकड़ गया दो बार जाँच हुई दोनों बार तेज चलता मिला लेकिन उच्चाधिकारियों में मामले को रफादफा कर उपभोक्ता के मीटर बदल दिए लेकिन उपभोक्ता परिषद् की डिटेक्टिव नजर से कहा बचने वाले और आज उस दबी रिपोर्ट को 1 साल बाद उपभोक्ता परिषद् ने खोज निकला और उसको लेकर उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा नेे आज प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से शक्ति भवन उनके कार्यालय में मुलाकात कर ऊर्जा मंत्री के साथ एक अहम् बैठक की और दबाई गयी तेज स्मार्ट मीटर की पूरी रिपोर्ट उनके सामने रखते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग उठाई।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए तत्काल अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को यह लिखित निर्देश जरी किया कि स्मार्ट मीटर लगने के उपरांत कई गुना बढ़ी यूनिट पकड़े जाने के बाद भी प्रकरण को दबाना और उसे उच्च स्तर पर न भेजना गंभीर मामला है। तत्काल पूरे मामले की बिंदुवार उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर उपभोक्ता हित में जाँच कराकर दोषी अधिकारियों व स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए 15 दिन में रिपोर्ट प्रेषित करें। ऊर्जा मंत्री ने उपभोक्ता परिषद् को आश्वासन दिया की कोई भी दोषी बचने वाला नहीं है सरकार उपभोक्ताओ के साथ है।
स्मार्ट मीटर वर्ष 2018 अक्टूबर में लगना शुरू हुआ राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज अपट्रॉन व कुछ अन्य क्षेत्रों से यह काम जब शुरू हुआ उसी वक्त उपभोक्ता परिषद् ने यह मामला नियामक आयोग व मीडिया में उठाया कि मीटर तेज चलने की शिकायत उपभोक्ता कर रहे है। क्या इसकी सत्यता की जाँच होना बहुत जरूरी है क्योकि यह विधुत उपभोक्ताओ की विश्वसनीयता का सवाल है। इसलिए इस पूरे मामले पर मध्यांचल व पावर कार्पोरेशन को आगे आकर उपभोक्ताओं की शंका का समाधान करना चाहिए। इसके बाद पावर कार्पोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने वर्ष 2019 में यह आदेश जारी किया की किन्ही दो उपभोक्ताओं के परिषर में जहा स्मार्ट मीटर लगा हो वह चेक मीटर लगाकर यह देखा जाये की पुराने लगे मीटर की अपेक्षा कही स्मार्ट मीटर तेज तो नहीं चल रहे? और फिर लेसा के अपट्रॉन व ठाकुरगंज क्षेत्र में मध्यांचल कंपनी के निर्देश पर पांच उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर के पैरलल में चेक मीटर एक अच्छी कंपनी का लगाया गया। चैकाने वाला मामला यह है की ठाकुर गंज क्षेत्र में 3 उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर कई सौ गुना तेज चलते पाये गये। पहली बार जब 24 दिन के लिए जब उपभोक्ता के घर में चेक मीटर लगा तो उपभोक्ता हसींन खां जिनके स्मार्ट मीटर में 550 रीडिंग आयी और चेक मीटर में 67 यानी 483 यूनिट अधिक दूसरे उपभोक्ता तारावती जिनके स्मार्ट मीटर में 868 रीडिंग आयी और चेक मीटर में 29 यानी 839 यूनिट अधिक तीसरे उपभोक्ता लाल बहादुर सिंह जिनके स्मार्ट मीटर में 877 रीडिंग आयी और चेक मीटर में 59 यानी 818 यूनिट अधिक फिर क्या था अब मामले को कैसे दबाया जाये फिर दोबारा इन्ही उपभोक्ताओं के घर फिर चेक मीटर 4 से 5 दिन के लिए लगाया गया। फिर क्रमशा उपभोक्ता हसींन खां के यंहा 224 यूनिट अधिक आयी उपभोक्ता तारावती के यंहा 419 यूनिट अधिक उपभोक्ता लाल बहादुर सिंह के यंहा 146 यूनिट अधिक फिर आनन-फानन में मामला दबा दिया गया और उपभोक्ता के मीटर बदलवा दिए गये। सबसे बड़ी बात यह है कि इन सभी उपभोक्ताओं का भार भी कई गुना जम्प किया था सवाल यह है कि स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट ओपेक्स माॅडल पर है। अगर इसमे कमियां आ रही है तो विभाग के अभियंताओं को उपभोक्ताओं के साथ खड़ा होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य यह है कुछ उच्चाधिकारी ई0ई0एस0एल व मीटर निर्माता कंपनी के साथ खड़े दिखते है।
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