Saturday, June 14, 2025
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अमृत तत्व का बोध कराती हैं भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं : कथा व्यास आचार्य गोपाल शास्त्री

हरचंदपुर, रायबरेली। भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं जीव को अमृत तत्व का बोध कराती हैं। यह लीलाएं जीवन में अनुशासन, मर्यादा और अध्यात्म की प्रेरणा देती हैं। सेवा और समर्पण की भावना से की गई आराधना से ही परमात्मा की कृपा प्राप्त होती है। मनुष्य को कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अहंकार ही व्यक्ति के पतन का कारण बनता है। क्षेत्र के जोहवाशर्की गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के षष्ठम दिवस पर कथा व्यास आचार्य गोपाल शास्त्री ने अपने अमृतमयी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र का अभिमान चूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई। बृजवासी श्रद्धा भाव से गिरिराज की पूजा करने लगे। उन्होंने बताया कि जब इंद्र को अपने अपमान का एहसास हुआ तो उसने घनघोर वर्षा शुरू कर दी, जिससे बृजवासियों में त्राहि-त्राहि मच गई। उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने एक हाथ की उंगली पर गिरिराज पर्वत को उठाकर बृजवासियों की रक्षा की। जो भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ परमात्मा के सामने समर्पण करता है, उसके जीवन में कभी संकट नहीं आता। कथा व्यास ने श्रीमद्भागवत की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि शुकदेव जी महाराज के अनुसार समस्त वेदों के जप, तप और अनुष्ठान भी इस पावन कथा के सोलहवें हिस्से के समान नहीं हो सकते। आज के समय में यह कथा भगवान के पावन नाम के स्मरण और आत्मकल्याण का सबसे सरल माध्यम है। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण की भव्य झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसने भक्तों को भावविभोर कर दिया। इस मौके पर सपत्नीक यजमान इंद्रेश कुमार चौरसिया, गायत्री चौरसिया, बृजेश चौरसिया, राजेंद्र साहू, अजय कुमार, जय शंकर, हरिओम, वैशाली पाठक, श्याम कुमारी, माया, मालती, सविता, ममता, पूनम, प्रीति, राम पाल चौरसिया, सहदेव चौरसिया, गुरु प्रसाद चौरसिया, मोहन त्रिवेदी, बिंदु दीक्षित, आशु त्रिपाठी, हेमंत दीक्षित सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।