कानपुर, जन सामना। डॉ संजीव कुमार द्वारा रचित खंडकाव्य तिष्यरक्षिता का ऑनलाइन लोकार्पण हुआ। इस मौके पर देश के अनेक राज्यों एवं विदेश के विद्वान और साहित्य प्रेमी भी जुड, अपने आरंभिक वक्तव्य में वरिष्ठ व्यंग्यकार और कवि डॉ लालित्य ललित ने डॉक्टर संजीव कुमार को एक सजग एवं प्रखर साहित्यकार बताया जो अपने काम को बिना शोर मचाए अंजाम देते हैं। उन्होंने कहा कि डॉ संजीव केवल कवि, लेखक ही नहीं बल्कि एक कुशल अधिवक्ता, बेनामी संपत्ति के जानकार और एक कुशल यायावर भी हैं। तिष्यरक्षिता उनके द्वारा रचित अनेक लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है। यह ऐसी पुस्तक है जो ऐतिहासिक पक्षों को ध्यान में रखकर लिखी गई है और ऐतिहासिक पात्रों को पढ़ने वाले पाठकों के लिए उपयोगी है एवरिष्ठ समालोचक और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राकेश कुमार ने पुस्तक पर अपनी विशिष्ट विशेष टिप्पणी करते हुए कहा कि तिष्यरक्षिता परिचारिका से साम्राज्ञी बनी एक स्त्री की यात्रा है। डॉ संजीव कुमार ने एक स्त्री के अंतर्मन की यात्रा को रेखांकित किया है। डॉ संजीव कुमार ने कहा कि ऐतिहासिक विषय मुझे आकृष्ट करते हैं और उसमें भी विशेषकर स्त्री पात्र।