केडीए और स्वास्थ्य विभाग का अवैध तरीके से चल रहे अस्पतालों पर दिखावे के लिए खेल रहा है कार्यवाही का खेल
कानपुर विकास प्राधिकरण और स्वास्थ्य विभाग शहर में मानकविपरित व अवैध तरीके से संचालित हो रहे हॉस्पिटलों और नर्सिंगहोमों पर दिखावे के लिए खेल रहा है कार्यवाही का खेल
स्वास्थ्य विभाग और हॉस्पिटल संचालकों के मिलीभगत से दिखावे के लिए सीलिंग और कार्यवाही का खेला जा रहा है! खेल
नौबस्ता हंसपुरम क्षेत्र में चल रहे कई मानकविहीन अस्पतालों को मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा सील किये जाने का दिया गया था! आदेश
सीलिंग व लाईसेंस निरस्तीकरण के आदेश के बाद भी पुराने ढर्रे पर संचालित हो रहे है मानकविहीन हॉस्पिटल व नर्सिंगहोम
कानपुर। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम तो देखिये सीधे नहीं तो टेढ़े रास्तों से भी मिली जुली व्यवस्था चलाने में गुरेज नहीं कर रहा शहर का स्वास्थ्य विभाग। बात अभी ज्यादा पुरानी नहीं बस चन्द दिनों पहले की है। नौबस्ता के हंसपुरम में चल रहे कई मानकविहीन अस्पतालों पर छापा मारकर खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अंश, निदान व अकाश हॉस्पिटल को सील करने और पैरामाउंट, दि-एक्सपर्ट, जागृति हॉस्पिटल, मल्टी स्पेशिएलटी हॉस्पिटल और जेके हॉस्पिटल का लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया था। और सख्त चेतावनी भी दी थी कि जब तक इन अस्पतालों के सारे मानक पूरे न हो जाएं इन्हें संचालित नहीं किया जाएगा पर शायद मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेशो को न सिर्फ इन निजी अस्पताल संचालकों ने बल्कि खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी के मातहतों ने भी ठेंगें पर रख दिया है। जिसका जीता जागता उदाहरण आपको हंसपुरम जाकर देखने को मिल जाएगा। जिन हॉस्पिटलों को खुद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सील करने और लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया था वही हॉस्पिटल मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखा कर पुनः संचालन किया जा रहा है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश को ठेंगा दिखा कर पुनः संचालित किए जा रहे है! हॉस्पिटल
कानपुर में चल रही निजी स्वास्थ्य सेवाओं की मंडियों पर सख्ती करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० अनिल मिश्रा ने शहर में चल रही अस्पताल की मंडियों में छापा मारकर कई अस्पतालों को सील किये जाने और अगले आदेशों तक इनके संचालन पर रोक भी लगा दी थी। अस्पतालों को सील किये जाने के आदेश देने के बाद शायद विभाग के आला अफसरों डियूटी खत्म हो गई इसीलिए दोबारा किसी ने मानकविहीन व अवैध तरीके से संचालित हो रहे हॉस्पिटलों और नर्सिंगहोमो की स्वास्थ्य विभाग के अधिकरियों ने सुध लेने की जरूरत नहीं समझी या यूं कहा जा सकता है कि अस्पताल संचालकों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से साठ-गांठ कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के आदेश को कूड़े के ढेर में डाल दिया है। और उन सभी हॉस्पिटलों का अवैध तरीके से संचालन फिर से सुरु कर दिया गया। मानकविहीन व अवैध तरीके से संचालित हो रहे हॉस्पिटलों और नर्सिंगहोमो का सच यही है कि ओपीडी से लेकर फार्मेसी और ऑपरेशन तक सब कुछ हो रहा है वो भी खुलेआम, बिना किसी डर और रोकटोक के।
हॉस्पिटलों और नर्सिंगहोमो की ईमारत से लेकर मूलभूत सुविधाए और सब कुछ है! अवैध
कथित सील अस्पतालों में मानकों के पूरा न होने और मूलभूत सुविधाओं के आभाव को आधार बना खेले गए सीलिंग के इस खेल में अगर कुछ खास है तो वो है ईमारत जिसमे हॉस्पिटल और नर्सिंगहोम संचालित हो रहे हैं, जिनका ना तो मानचित्र पास और ना ही पार्किंग की सुविधा है। जिससे साफ हो जाता है कि इस खेल में कानपुर का स्वास्थ्य विभाग अकेला नहीं बल्कि इस खेल में एक टीम प्राधिकरण की भी है जो इन अस्पतालों को शरण देने की जद्दोजहद में लगा हुआ है। विभागों द्वारा दिखावे की जा रही कार्यवाहियों के खेल में किसका फायदा किसका नुकसान ये सवाल तो बाद का है। क्या विभाग द्वारा मानक विपरीत व अवैध तरीके से संचालित हो रहे शहर के हॉस्पिटलों और नर्सिंगहोमो पर कोई कार्यवाही हो पायेगी। या विभागों के मिलीभगत और कथित कार्यवाइयों के इस खेल में शुरुआत से आखिर तक सिर्फ दिखावा ही रहेगा है।
इन हॉस्पिटलों पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ० अनिल मिश्रा ने दिए थे कार्यवाही के आदेश
– अंश हॉस्पिटल एन्ड ट्रामा सेंटर, निदान हॉस्पिटल, अकाश हॉस्पिटल, पैरामाउंट हॉस्पिटल, दि-एक्सपर्ट हॉस्पिटल, जागृति हॉस्पिटल, मल्टी स्पेशिएलटी हॉस्पिटल एवं जे के हॉस्पिटल।
जिन हॉस्पिटलों पर कार्यवाही किये जाने का आदेश दिया गया है। उन हॉस्पिटलों को अभी संचालन किये जाने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। इस तरह के अगर कोई भी हॉस्पिटल संचालित हो रहे है तो उन पर कार्यवाही की जायेगी। (अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी- डॉ० ए पी मिश्रा)