प्रयागराज। 09 दिवसीय विराट किसान मेले के चतृर्थ दिवस दिनांक 02.02.2021 को विराट किसान मेले में पूर्व दिनों की भांति कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि यंत्रों एवं फार्म मशीनरी सहित लगभग 80 विभागों/संस्थाओं द्वारा लगाये गये स्टालों का कृषकों ने अवलोकन कर तकनीकी जानकारी प्राप्त करते हुए खरीददारी भी की गयी।
मेले में आये हुए कृषकों एवं वैज्ञानिकों तथा विभिन्न विभागों के अधिकारियों का स्वागत विनोद कुमार, उप कृषि निदेशक प्रयागराज द्वारा किया गया। डी0एस0 चौहान, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, नैनी प्रयागराज द्वारा समन्वित कृषि प्रणाली की सम्भावानाएं एवं फायदे के बारे में विस्तृत चर्चा की गयी, जिसमे उन्होंने बताया कि सहफसली खेती करके कृषक अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं। सहफसली खेती में चने या मसूर की 05 लाइनों के बाद एक लाइन सरसों या अलसी की खेती कर सकते हैं। खेती में फसल चक्र जैसे धान, गेहॅू एव जायद में मूंग, उड़द या हरी खाद के रूप में ढैंचा अपनाकर मृदा स्वास्थ्य भी सही कर सकते हैं और उत्पादन भी दोगुना कर सकते हैं।
डाॅ0 अजय कुमार वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, नैनी, द्वारा कृषकों को जानकारी देते हुए बताया गया कि रासयनिक उर्वरक के प्रयोग से लाभकारी जीवाणु नष्ट होते चले गये। मिट्टी का परीक्षण कराने के लिये आप कृषि विज्ञान केन्द्र, नैनी में परीक्षण करा सकते हैं। जीवांश कार्बन की मात्रा निम्न स्तर पर पहुॅंच गयी हैं, जिससे हमारे मित्र जीवाणु पनप नहीं पा रहे हैं। किसानों के लिये उसकी भूमि ही आधार हैं जिसे हम धरती माता कहते हैं। यदि हमारे जमीन के अन्दर लाभकारी जीव न हो तो वह मृत है। यही कारण है कि हमारे भूमि के अन्दर जीवांश की मात्रा खत्म होती जा रही है। पौधों की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता हैं। वर्तमान में एकीकृत तत्व प्रबंधन के माध्यम से मृदा स्वास्थ्य व उत्पादकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
डा0ॅ जीतेेन्द्र प्रताप सिंह, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, कौशाम्बी द्वारा बताया गया कि समन्वित कृषि प्रणाली किसान भाईयों की अच्छी आय के लिये विकसित की गयी है। समन्वित कृषि प्रणाली के अन्तर्गत कृषक पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन व सब्जी उत्पादन कों एक साथ मिला कर खेती किया जाय तो आय स्वयं बढ़ जायेगी और संसाधनों का समुचित उपयोग हो पायेगा।
डाॅ0 जी0पी0एम0 सिंह, कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र, शुआट्स नैनी प्रयागराज द्वारा बताया गया कि कृषक को यह तय करना चाहिए कि कृषि के परिप्रेक्ष्य में जो संसाधन कृषि कार्य में उपयोग कर रहा है, उसकी आय व उपयोगिता वर्ष के 365 दिन बनी रहे। डाॅ0 सिंह ने बताया कि आप जो भी कृषि यंत्र खरीद रहे हैं उसका मूल्य यदि 2 से 3 वर्षों में अर्जित नहीं हो पायी तो आय दोगुना होना सम्भव नहीं है। अतः कृषक भाई अपनी आय दोगुना करने के लिये पूर्ण उपयोगी यंत्र ही खरीदे।
डाॅ0 शिशिर कुमार कृषि वैज्ञानिक, शुआट्स नैनी, द्वारा कृषि उतपादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के तकनीकी के बारे में बताया गया कि कृषक अतिरिक्त आय के लिये कृषि के साथ अन्य उत्पादन तकनीक जैसे मछली पालन वाले तालाब के किनारे केला उत्पादन के साथ मुर्गी पालन करें, जिससे मुर्गी पालन का उप उत्पाद, मछली के भोजन में केले का उप उत्पाद मछली के भोजन में उपयोग हो सके। इसके अतिरिक्त यदि हम बागवानी में छायादार पौधों के स्थानों पर हल्दी उत्पादन या सूरन उत्पादन कर सकते हैं जिससे कृषक अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।
डाॅ0 समीर टोप्नो कृषि वैज्ञानिक, शुआट्स नैनी, द्वारा बताया गया कि अतिरिक्त आय के लिये केवल सामान्य खेती पर निर्भर न रहे अपितु फूलों की भी खेती करे सकते हैं। प्रयागराज में फूलों के विक्रय के विकल्प उपलब्ध है।
सुनील श्रीवास्तव ग्राम गुनाई विकासखण्ड मेजा एवं राम बहादुर ग्राम हाटा विकासखण्ड माण्डा प्रयागराज द्वारा अवगत कराया गया कि आवारा पशुओं की समस्या का हल न होने के कारण दलहन उत्पादन दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस सम्बंध में प्रशासन से अनुरोध है कि आवारा पशुओं की समस्या का समाधान करायें।
विराट किसान मेला में कृषि विभाग के साथ-साथ अन्य सभी सहयोगी विभागों के मण्डल/जनपद स्तरीय अधिकारी तथा दूर दराज के क्षेत्रों से किसानों को उप परियोजना निदेशक (आत्मा) प्रयागराज इन्दराकांत पाण्डेय द्वारा समस्त अतिथियों एवं कृषकों को आभार प्रकट करते हुये चतुर्थ दिवस का समापन किया गया।