Sunday, November 17, 2024
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हरेऔर छायादार वृक्षों पर हर रोज चल रही कुल्हाड़ी 

रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता| लकड़ी की कटाई करने वाले ठेकेदारों का जलवा तहसील क्षेत्र में कायम है।ऊंचाहार तहसील क्षेत्र में हरियाली के दुश्मनों का आरा बराबर हरियाली पर चल रहा है।पुलिस प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से हरियाली पर आरा चल रहा है।सबसे सोचने वाली बात यह है कि लकड़ी के ठेकेदार पुलिस और वन विभाग को चकमा देने में माहिर है।वहीं वन विभाग के अधिकारी और पुलिस प्रशासन भी उस चकमे में आकर उनकी गाड़ियों को छोड़ देते हैं।शायद उन्हें यह भी नहीं मालूम हो पाता है कि यह लकड़ी किस पेड़ की है।आम ,महुआ, नीम, जामुन या फिर शीशम उन्हें सिर्फ अपने ट्रिप से मतलब होता है।उन्हें ट्रिप मिला और वह लकड़ी किसी भी पेड़ की हो उसे ले जा सकते हो।ऐसा ही मामला बीते दिन पटेरवा चौराहे पर देखने को मिला है। जहां ओवरलोड लकड़ियों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉली जा रही थी।पुलिस के साथ-साथ वन विभाग को भी सूचना दी गई। मौके पर दोनों लोगों ने पहुंचकर महुआ की लदी लकड़ी को शीशम की लकड़ी बता कर छोड़ दिया गया और सूचना देने वाले का नाम भी लकड़ी के ठेकेदारों को बता दिया गया।जबकि सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाता है।वही देश के प्रधानमंत्री,सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री,जिला अधिकारी,पुलिस अधीक्षक सहित सभी लोग वृक्षारोपण दिवस मना कर वृक्षों का रोपण करते हैं और बीच-बीच में कुछ खास त्योहारों पर या पर्व पर वृक्षारोपण कर लोगों को संदेश देते हैं कि अधिक से अधिक वृक्ष को लगाएं। किसान अगर अपना पेड़ काटता है तो उसके ऊपर लाखों प्रकार की पाबंदी लगा दी गई है।वह कम से कम 5 पेड़ लगाए तब एक पेड़ काट सकता है। इतने नियम कानून के बावजूद भी किसान तो परेशान हो जाता है। लेकिन इन लकड़ी के ठेकेदारों ने अब तक कितने पेड़ लगाए हैं जो बराबर हरियाली पर इनकी कुल्हाड़ी और आरा चल रही हैं। लकड़ी ट्रैक्टर ट्रालियों में पूरी तरह से साफ-सुथरे अक्षरों में गाड़ी का रजिस्ट्रेशन क्रमांक भी नहीं होता है।आए दिन चेकिंग लगा कर दो पहिया वाहनों को पुलिस प्रशासन के लोग चेकिंग लगाकर चालान भी काटते हैं। लेकिन इस तरह की ट्रैक्टर ट्रालियों के ऊपर किसी की नजर नहीं जाती या फिर इन पर कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझते है या फिर किसी बड़े हादसे का प्रशासन को इंतजार है।लकड़ी लदी ट्रैक्टर ट्राली की घटना को लोगों ने प्रशासन को वीडियो बनाकर वायरल किया बावजूद वन विभाग के अधिकारी और पुलिस प्रशासन इस और कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं।