इंटक यूनियन के नेता आज्ञा शरण सिंह ने “जन सामना” से की खास बातचीत
रायबरेली,पवन कुमार गुप्ता| एनटीपीसी की उच्चस्तरीय (केंद्रीय स्तर) की समिति जिसे राष्ट्रीय द्विपक्षीय समिति के नाम से जाना जाता है बताते हैं कि राष्ट्रीय द्विपक्षीय समिति द्वारा परियोजना के अंदर तीन वर्ष के कार्यकाल का एक चुनाव कराया जाता है।एनटीपीसी की देश भर में फैली परियोजनाओं में सक्रिय श्रमिक संगठनों के बीच केंद्रीय प्रतिनिधि यूनियन का चुनाव होता है।इसमें हर परियोजना से एक-एक संगठन चुनकर केंद्र में जाता है।जो एनटीपीसी के केंद्रीय प्रबंधन के साथ मिलकर श्रमिक समस्याओं व अन्य मसलों पर नीति निर्धारण करता है।इस बार यह चुनाव बीस सितंबर को है।आगामी बीस सितंबर को होने जा रहे एनटीपीसी ऊंचाहार के केंद्रीय प्रतिनिधि यूनियन चुनाव को लेकर इस समय परियोजना का राजनैतिक पारा चढ़ा हुआ है।प्रमुख रूप से दो संगठनों के मध्य बन रहे सीधे मुकाबले में इस बार कंग्रेस के संगठन इंटक को मिल रहे समर्थन से ऊंचाहार परियोजना का नेतृत्व एक बार फिर बदलने जा रहा है ।एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना में तीन संगठनों ने इसके लिए दावेदारी की है। जिसमें कांग्रेस का संगठन इंटक,भाजपा समर्थित संगठन बीएमएस और एक अन्य संगठन एटक मैदान में है।किन्तु मुख्य मुकाबला कांग्रेस के इंटक और एटक के मध्य है।दोनों संगठनों ने चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।परियोजना के एक-एक कर्मचारी से जनसंपर्क चल रहा है।संगठन विभिन्न मुद्दे भी उठा रहे हैं।इंटक के नेता आज्ञा शरण सिंह और एटक नेता जितेंद्र श्रीवास्तव इस चुनाव के प्रमुख चेहरे है।कर्मचारियों के विभिन्न लाभ और हित के मुद्दे तो तीनों पक्ष से रखे ही जा रहे है किन्तु इंटक एनटीपीसी के कोआपरेटिव में विगत वर्षों में हुई कथित धांधली और लूट का मामला भी उठा रही है।
“इंटक यूनियन” के नेता आज्ञा शरण सिंह ने अपने चुनाव के मुद्दे को कर्मचारियों के साथ साझा करने की पूरी कोशिश की है उन्होंने बताया कि १- समस्त कर्मचारियों के नौकरी से जुड़े जो भी नीतिरत मामले अभी तक लंबित हैं उन्हें जल्द से जल्द उच्च प्रबंधन द्वारा क्रियान्वित कराया जाएगा।२-अपने दूसरे संकल्प में उन्होंने कहा कि उच्च और निम्न वर्ग के कर्मचारियों के साथ दोतरफा नियम लागू किये जा रहा है जैसे कि अधिकारी वर्ग के लिए कुछ और निम्न वर्ग के लिए कुछ अलग।इन सब नियमों में पारदर्शिता लाया जाए एवं कर्मचारियों के पदोन्नति के स्तर को स्पष्ट किया जाए।साथ ही सरकार सार्वजनिक उपक्रमों को निजी क्षेत्र में देना चाह रही है उसे भी रोका जाए एवं संविदा प्रथा को खत्म करके मजदूरों के शोषण को रोका जाएगा।
फिलहाल दोनों पक्षों से पूरी ताकत चुनाव में झोंक दी गई है।परिणाम क्या होता है यह बीस सितम्बर की देर शाम तय होगा ।