उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का उद्देश्य प्रदेश में निवास करने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों का सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक विकास करना है। निगम की स्व-रोजगार योजनाओं का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्रता के लिए प्रार्थी अनुसूचित जाति का व्यक्ति हो, गरीबी की रेखा के नीचे निवास कर रहा हो, गरीबी की रेखा (बी0पी0एल0) ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतम रू0 46,080/- तथा शहरी क्षेत्र में रू0 56,460/- वार्षिक आय होनी चाहिए। उ0प्र0 अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा कई स्वरोजगार योजनायें संचालित हैं, जिनके माध्यम से प्रदेश सरकार अनुसूचित जाति के लोगों को आत्मनिर्भर बना रही है।
पं0 दीनदयाल उपाध्याय स्व-रोजगार योजनाः- इस योजनान्तर्गत राष्ट्रीयकृत बैंकों के सहयोग से कृषि/उद्योग/सेवा एवं व्यवसाय क्षेत्र की विभिन्न रोजगारपरक योजनायें गरीबी की सीमा रेखा से नीचे निवास करने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों को उनकी अभिरूचि एवं क्षेत्रीय आवश्यकता के आधार पर रू0 15.00 लाख तक की योजनायें उपलब्ध करायी जाती है जिस पर परियोजना लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम रू0 10,000/- अनुदान, परियोजना लागत का 25 प्रतिशत मार्जिन मनी ऋण (निगम की अंशपूॅजी से) 4 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर तथा शेष धनराशि बैंक ऋण के रूप में प्रचलित बैंक ब्याज दर पर उपलब्ध करायी जाती है। इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में 17,765 लाभार्थियों को लाभान्वित कराते हुए अनुदान/मार्जिनमनी/बैंक ऋण मद में कुल रू0 13614,54 लाख की धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस योजनान्तर्गत 1,00,000/- व्यक्तियों को लाभान्वित कराने का लक्ष्य है। जिस पर कार्यवाही की जा रही है।
नगरीय क्षेत्र दुकान निर्माण योजनाः- अनुसूचित जाति के बेरोजगार बी0पी0एल0 श्रेणी के व्यक्तियों को जिनके पास 13.32 वर्ग मीटर की स्वयं की भूमि उपलब्ध है, को स्वरोजगार स्थापित किये जाने हेतु दुकान निर्माण योजना संचालित है। दुकान निर्माण की लागत रू0 78,000 से रू0 85,000 निर्धारित है। इस योजना में निर्माण लागत में रू0 10,000 अनुदान तथा शेष धनराशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में होती है। जिसकी वसूली 10 वर्षों की समान मासिक किश्तों में बिना ब्याज के वसूल की जाती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 562 दुकाने निर्मित कराते हुए रू0 438.36 लाख की धनराशि व्यय की गयी। वित्तीय वर्ष 2021-22 में अबतक 281 दुकानें निर्मित कराते हुये रू0 219.18 लाख की धनराशि व्यय की गयी है।
लाण्ड्री एवं ड्राईक्लीनिंग योजनाः-इस योजनान्तर्गत अनुसूचित जाति के धोबी समाज के बी0पी0एल0 श्रेणी के परिवारों हेतु रू0 1.00 लाख तथा रू0 2.16 लाख की लागत की परियोजनाओं के अन्तर्गत बिना ब्याज के ऋण की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। परियोजना लागत में रू0 10,000 अनुदान तथा शेष धनराशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में होती है जिसकी वसूली 05 वर्षों की समान मासिक किश्तों में बिना ब्याज के वसूल की जाती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 198 लाण्ड्री स्थापित करते हुये रू0 19.80 लाख अनुदान तथा रू0 297.68 लाख ब्याजमुक्त ऋण की धनराशि व्यय की गयी है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 316 व्यक्तियों को लाभान्वित कराते हुए लाण्ड्री स्थापित करने का लक्ष्य है। जिसकी प्रक्रिया चल रही है।
बिजनेस करेसपोन्डेन्ट (व्ययसाय संवाददाता) योजनाः-निगम द्वारा संचालित इस योजनान्तर्गत व्यवसाय संवाददाता राष्ट्रीयकृत बैंकों के अधिकृत एजेण्ट के रूप में कार्य करेंगे। बैकिंग करेसपोन्डेन्ट योजना में अभ्यर्थी की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट तथा कम्प्यूटर का ज्ञान आवश्यक है। इस हेतु सम्बन्धित बैंक द्वारा व्यवसाय संवाददाता से रू0 15,000 की धनराशि सिक्योरिटी के रूप में जमा करायी जाती है। जमा धनराशि की सीमा के अन्तर्गत व्यवसाय संवाददाता द्वारा ग्राहकों का राष्ट्रीयकृत बैंको में बचत खाता, आवर्ती जमा खाता, किसान क्रेडिट कार्ड, नामांकन कार्ड, आई0डी0 कार्ड, पैसा जमा करना तथा निकालना, ऑनलाइन धनराशि हस्तान्तरित करना आदि बैंकिंग सुविधा ग्राहकों को प्रदान की जाती है। योजना की इकाई लागत रू0 1,00,000 है जिसमें रू0 10,000 अनुदान, रू0 25,000 मार्जिन मनी ऋण 4 प्रतिशत ब्याज दर पर तथा रू0 65,000 की धनराशि ब्याजमुक्त के रूप में दी जायेगी। ऋण की वसूली ऋण वितरण के एक माह पश्चात 36 समान मासिक किस्तों में की जायेगी। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 24 लाभार्थियों को प्रशिक्षित कराते हुए रू0 25.30 लाख का व्यय कर उन्हें बिजनेस करेसपोन्डेन्ट बनाया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 500 व्यक्तियों को बिजनेस करेसपोन्डेन्ट बनाये जाने का लक्ष्य है।
टेलरिंग शॉप योजनाः- निगम के माध्यम से संचालित पं0 दीनदयाल उपाध्याय योजनान्तर्गत निर्धारित भौतिक लक्ष्य का 10 प्रतिशत अर्थात कुल 10,000 व्यक्तियों को उक्त योजना में आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है। टेलरिंग शॉप योजना हेतु महिला अभ्यर्थी को प्राथमिकता दी जायेगी। योजना की इकाई लागत रू0 20,000 है जिसमें रू0 10,000 अनुदान तथा योजना लागत का 50 प्रतिशत रू0 10,000 की धनराशि ब्याज मुक्त ऋण के रूप में दी जायेगी। ऋण की वसूली ऋण वितरण के एक माह पश्चात 36 समान मासिक किस्तों में की जाती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2836 लाभार्थियों को रू0 283.60 लाख अनुदान तथा रू0 283.60 लाख ब्याजमुक्त ऋण कुल रू0 567.20 लाख व्यय कर लाभान्वित कराया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 10,000 व्यक्तियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है।
मैनुअल स्केवेन्जरों के पुनर्वासन के लिये स्वरोजगार योजनाः- एम0एस0 अधिनियम-2013 में प्राविधानित व्यवस्था के अन्तर्गत कराये गये सर्वेक्षण में चिन्हित स्वच्छकारों हेतु मैनुअल स्केवेन्जरों के पुनर्वास की संशोधित स्वरोजगार (एस0आर0एम0एस0) योजनान्तर्गत रू0 15.00 लाख तक की परियोजनायें बैंको के सहयोग से वित्तपोषित की जाती है, जिसमें न्यूनतम रू0 12,500 तथा अधिकतम रू0 3.25 लाख अनुदान की सुविधा दी जाती है, शेष धनराशि बैंक ऋण के रूप में देय होती है। बैंक ब्याज दर पर ब्याज अनुदान दिये जाने की व्यवस्था है, जिससे कि लाभार्थी को बैंक ऋण पर मात्र 6 प्रतिशत ब्याज देना होता है। योजनान्तर्गत निःशुल्क प्रशिक्षण दिये जाने की सुविधा भी है, प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षार्थियों को रू0 3,000 प्रतिमाह वृत्तिका दी जाती है। इसके साथ ही साथ चिन्हित स्वच्छकारों को रू0 40,000 एक मुश्त नकद सहायता रू0 7,000 की मासिक किश्त में दी जाती है। एम0एस0 अधिनियम-2013 के अन्तर्गत कराये गये सर्वेक्षण में प्रदेश में अब तक 32,636 स्वच्छकारों को रू0 40,000 प्रति स्वच्छकार की दर से कुल रू0 130.54 करोड़ की धनराशि एकमुश्त नकद सहायता के रूप में सीधे उनके बैंक खाते में उपलब्ध करायी जा चुकी है। एम0एस0 अधिनियम-2013 लागू होने के फलस्वरूप ऋण हेतु इच्छुक 558 स्वच्छकारों हेतु रू0 479.325 लाख अनुदान की धनराशि जनपदों को ऋण वितरण हेतु अवमुक्त की गयी है। सीवर/सैप्टिक टैंक में सफाई के दौरान हुयी मृत्यु के मामलों में रू0 594.86 लाख की धनराशि मृतक आश्रित के परिवार को प्राप्त करायी जा चुकी है।
पं0दीनदयाल उपाध्याय आटा/मसाला चक्की योजनाः-इस योजनान्तर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में निगम द्वारा अनुसूचित जाति की उद्यमी महिलाओं हेतु पं0 दीनदयाल उपाध्याय आटा/मसाला चक्की योजना संचालित की जा रही है। यह सीधे निगम के माध्यम से संचालित की जाती है। प्रयोगिक परियोजना के तौर पर यह योजना 18 मण्डलीय मुख्यालयों के जनपदों में प्रति जनपद 125 महिलाओं हेतु कुल 2250 महिलाओं को उक्त योजना से आच्छादित किया जायेगा। इसके अन्तर्गत रू0 20,000 प्रति इकाई लागत, जिसमें रू0 10,000 अनुदान तथा शेष धनराशि ब्याजमुक्त ऋण के रूप में दिये जाने की व्यवस्था है।
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