हाथरस। पूरे देश एवं प्रदेशों में कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों व राजनीतिक दलों द्वारा कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते कल जनपद लखीमपुर खीरी में किसानों व भाजपा के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे के समर्थकों के बीच हुए हिंसक टकराव व संघर्ष में 8 लोगों की मौत हो जाने से पूरे देश एवं प्रदेश में भारी बवाल मच गया है और आज पूरे प्रदेश भर में जहां किसान संगठनों व राजनीतिक दलों द्वारा धरना प्रदर्शन कर विरोध किया जा रहा है। वहीं जनपद में भी विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा आज धरना देते हुए भारी विरोध प्रदर्शन किया गया और केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर हायतौबा करते हुए कोसा गया तथा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री एवं उनके पुत्र के खिलाफ कड़ी कार्यवाही व मृतकों के परिजनों को नौकरी व मुआवजा आदि देने की मांग की गई। धरना प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के विरोध में जमकर नारेबाजी भी की गई। धरना प्रदर्शन के दौरान भारी संख्या में पुलिस बल एवं प्रशासनिक अधिकारी तैनात रहे। ज्ञात रहे केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में तमाम किसान संगठनों व राजनीतिक दलों द्वारा उक्त कृषि कानूनों का जमकर विरोध किया जा रहा है और इस विरोध प्रदर्शन के चलते किसान संगठनों व राजनीतिक दलों द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा के मंत्रियों का घेराव व काले झंडे दिखाना आदि भी किया जा रहा है और इसी के चलते कल प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में किसानों व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा के समर्थकों के बीच हुए हिंसक टकराव से भारी बवाल मच गया है और कल हुए संघर्ष एवं टकराव में किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो जाने से घटना और ज्यादा भी वीभत्स हो गई है तथा इस भयंकर संघर्ष व टकराव से देश और प्रदेश के पूरे विपक्ष में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है। पूरा विपक्ष एवं किसान संगठन सत्तारूढ़ सरकारों के खिलाफ सड़क पर उतर पड़े हैं और जगह-जगह पर धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज जनपद में भी लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में समाजवादी पार्टी, समाजवादी पार्टी युवजन सभा, कांग्रेस पार्टी तथा किसान संगठनों द्वारा कलेक्ट्रेट व तालाब चौराहा पर धरना देकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर हाय तौबा करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने व उनके तथा उनके पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें गिरफ्तार किए जाने की मांग की गई।
लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक देवेन्द्र अग्रवाल के नेतृत्व में सपा कार्यकर्ताओं द्वारा कलेक्ट्रेट पर धरना देते हुए अपर जिलाधिकारी को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लखीमपुर खीरी में मृतक किसानों के परिजनों से मिलने जाने से रोक दिया गया है। कल लखीमपुर खीरी में भाजपाइयों द्वारा किसानों को गाड़ी से कुचलकर हुई हत्या के विरोध में अखिलेश यादव को रोकना अलोकतांत्रिक रवैया है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है और सरकार तानाशाही कर रही है। उन्होंने मांग की है कि प्रत्येक मृतक किसानों के परिजनों को 2 करोड़ की मदद और परिवार को सरकारी नौकरी दी जाए। गृह राज्य मंत्री और उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा हो तथा दोषियों को 302 के तहत तत्काल जेल भेजा जाए।
ज्ञापन देने वालों में पूर्व विधायक देवेन्द्र अग्रवाल के अलावा पूर्व जिला अध्यक्ष भोला यादव पहलवान, मूलचंद निम, जिला महासचिव जैनुद्दीन चौधरी, शिव कुमार वार्ष्णेय, भगत सिंह, समीर अब्बास, पूर्व जिलाध्यक्ष चौधरी भाजुद्दीन, मुरसान चेयरमैन रजनीश कुशवाहा, बबलू सिंह, हाजी फजलुर्रहमान, गोलू प्रधान, रामप्रकाश, उदयवीर सिंह, अमित यादव, अनुज यादव, ताजेंद्र निम, सूबेदार सिंह, कैलाश ठेनुआं आदि तमाम लोग शामिल थे। जबकि वहीं समाजवादी पार्टी युवजन सभा द्वारा भी उक्त घटना के विरोध में ज्ञापन सौंपा गया है। जिसमें मांग की गई है कि प्रदेश सरकार जनविरोधी नीतियों को लेकर कार्य कर रही है और ऐसी सरकार को तत्काल बर्खास्त किया जाए। राज्यपाल से मांग की गई है कि किसानों की हत्या की जांच वह अपने स्तर से कराएं। ज्ञापन देने वालों में जिला अध्यक्ष श्याम सिंह प्रधान, पूर्व जिला महासचिव महेंद्र सिंह सोलंकी, हरवीर सिंह तोमर, हेमंत चौधरी, पंकज चौधरी, पंजाबी सिंह, गजेंद्र उपाध्याय, आजाद यादव, अनूप यादव, रोहिताश यादव आदि तमाम लोग शामिल थे।
उक्त घटना के विरोध में भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष चौधरी मलखान सिंह के नेतृत्व में किसानों द्वारा भी कलेक्ट्रेट पर धरना दिया गया। उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री को बर्खास्त कर किसानों की हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए। उप मुख्यमंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेकर अपने पद से स्तीफा दे देना चाहिए। मृतक किसानों को मुआवजा राशि एक करोड रुपए दी जाए, घायल किसानों व पत्रकारों का समुचित इलाज व सहायता राशि 25 लाख दी जाए, मृतक किसानों के परिवारों में से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाए। देश और प्रदेश में आंदोलित किसानों को समुचित सुरक्षा दी जाए। जिले के डीएम व एसपी को तत्काल बर्खास्त किया जाए और उन पर संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए। ज्ञापन देने वालों में जिलाध्यक्ष चौधरी मलखान सिंह के साथ जिला महासचिव सत्यदेव पाठक, राजकुमार सिंह, रामवीर सिंह, मंगलेश यादव, देवेंद्र कुमार, संजय कुमार आदि तमाम किसान शामिल थे।
किसानों के आंदोलन में लखीमपुर खीरी में घटित घटना एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को लखीमपुर खीरी जाने से रोके जाने के विरोध में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रत्याशी रामनारायन काके के नेतृत्व में तमाम सपा कार्यकर्ताओं द्वारा तालाब चौराहा पर डॉ. राम मनोहर लोहिया की प्रतिमा के समक्ष धरने पर बैठ गए और प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई तथा सपा कार्यकर्ताओं द्वारा जमकर हाय तौबा व नारेबाजी करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा व उनके पुत्र की गिरफ्तारी की मांग की गई। धरना में रामनारायण काके, अधिवक्ता प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष बालकृष्ण यादव एडवोकेट, शहर अध्यक्ष हेमंत गौड, डा. राधे श्याम रजक, चिंटू शर्मा, डॉ. पप्पू, टेकपाल कुशवाहा, नवाब कुरैशी, राजा बाबू, राशिद कुरैशी, योगेश समाधिया, हाजी नवाब हसन, आजाद कुरैशी, राम कुमार शर्मा, धर्मवीर कुशवाहा, निखिल अग्रवाल, रिंकू ठाकुर, बीएस राणा, अनिल वार्ष्णेय, डॉ. आरसी लाल, मनीष चौधरी, अनिल दीक्षित, छोटू यादव, इमरान, जीशान आदि तमाम लोग शामिल थे।
लखीमपुर खीरी की घटना के विरोध में कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नेतृत्व में भी तालाब चौराहा पर कांग्रेस पार्टी द्वारा धरना देते हुए जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया और कांग्रेसियों द्वारा हाथ में थाली लेकर उसे पीटते हुए मोदी योगी सरकार के खिलाफ जमकर तीखी नारेबाजी की गई और सरकार को जमकर कोसा भी गया। धरना प्रदर्शन में जिला अध्यक्ष चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के अलावा ऋषि कुमार कौशिक, श्रीमती कृष्णा वार्ष्णेय, बालकवि विष्णु, सत्यप्रकाश रंगीला, योगेश कुमार ओके, कन्हैयालाल पुलन्द आदि तमाम लोग शामिल थे।