Sunday, November 17, 2024
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हिंदू संकृति के समान विश्व में कोई संकृति नहीं है

हाथरस। विश्व की पहली और महान संकृति के रूप में भारतीय संकृति माना जाता है विविधता में एकता का कथन यहां पर आम है अथार्त भारत एक विविधता पूर्ण देश है, जहां विभिन्न धर्मों के लोग अपनी संस्ति और परंपरा के साथ शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं। अलग-अलग धर्मों, परंपराओं, भोजन, वस्त्र आदि से संबंधित लोग यहां रहते हैं। हिंदू संस्ति के समान विश्व में कोई संस्ति नहीं है। हमारी संस्ति गीता, रामायण, भागवत से जुड़ी है। यह उद्गार विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय सह मंत्री दिनेश उपाध्याय ने हिंदू संकृति चिंतन शिविर को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वह अपनी हिंदू संकृति के रक्षार्थ एवं हितार्थअपने जीवन को न्यौछावर करने के लिए तत्पर हैं। भारत की संस्ति बहुआयामी है जिसमें भारत का महान इतिहास विलक्षण भूगोल और सिंधु घाटी की सभ्यता के दौरान बनी और आगे चलकर वैदिक युग में विकसित हुई। हमारी संस्ति से भगवानराम और कृष्ण की अवतार जुड़े हुए हैं और विश्व में किसी भी धर्मों में किसी ने भी अवतार ने जन्म नहीं लिया। राम और कृष्ण का जीवन त्याग, तप का प्रतीक है। उन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए अपना जीवन समपिर्त कर दिया। छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, स्वामी विवेकानंद, स्वामी रामकृष्ण परमहंस आदि महान विभूतियों ने हिंदू संकृति की रक्षा के लिए महान कार्य किए।
विशिष्ट अतिथि ड. सत्यदेव पचैरी ने कहा कि धर्म और संकृति की रक्षा के लिए मनुष्य का स्वस्थ होना आवश्यक है। स्वस्थ मनुष्य ही समाज के लिए और देश के लिए कार्य कर सकता है। बंदा बैरागी, गुरु गोविंद सिंह के बेटे जोरावर सिंह और सोरावर सिंह का धर्म और संस्ति के लिए त्याग वंदनीय है। ड. डीके राजपूत ने हिंदू संस्ति की एकता बनाए रखने पर जोर दिया। हिंदू संस्ति पर उमाशंकर वशिष्ठ, पं. प्रकाश चंद शर्मा सासनी, कृष्णगोपाल शर्मा, ड. नत्थी लाल शर्मा, डा. बीपी सिंह ने अपने विचार रखें। कायर्क्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि दिनेश उपाध्याय केंद्रीय सह मंत्री विश्व हिंदू परिषद एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के छविचित्र पर माल्यापर्ण करके किया गया।